राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी ने छात्रों के लिए एक अहम नोटिस जारी किया है। जिसके मुताबिक अब छात्रों को गांवे में जाकर एक परिवार को गोद लेना होगा।
नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) यूजी 2023 का रिजल्ट जारी किया जा चुका है। जल्द ही MBBS, बीडीएस सहित अन्य कोर्सेज में प्रवेश के लिए काउंसलिंग भी शुरू हो जाएगी। नीट में एडमिशन को लेकर NMC यानि कि राष्ट्रीय चिकित्सा समिति सख्त हो गया है। समिति ने संस्थानों से कहा है कि वे 30 अगस्त से हर हाल में एडमिशन पूरा कर लें। इसके बाद फर्स्ट ईयर में प्रवेश लेने वाले छात्रों की डिग्री मान्य नहीं होगी। वहीं, NMC ने आयु सीमा में भी बड़ा बदलाव करते हुए अभ्यर्थियों को राहत दी है। जिसके मुताबिक अब जून में 2023 में 17 वर्ष की आयु पूरी करने वाले छात्र MBBS की परीक्षा दे सकेंगे। इसी बीच NMC ने MBBS छात्रों के लिए एक और नोटिस जारी किया है।
जिसके मुताबिक अगस्त में शुरू होने वाले 2023-24 शैक्षणिक सत्र से अभ्यर्थियों के लिए गांव तक पहुंच पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा होगा। ऐसे में MBBS के छात्रों को गांवों की की विजिट करना अनिवार्य होगा और उन्हें न्यूनतम 80 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराना होगा। यह कदम ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जानकारी के मुताबिक 1997 के नियमों का स्थान लेने वाले नए स्नातक चिकित्सा शिक्षा विनियम, 2023 को सोमवार को अधिसूचित किया गया और यह 2023 एमबीबीएस बैच से लागू होगा। आपको बता दें कि ग्रामीण आउटरीच के तहत “परिवार गोद लेने का कार्यक्रम” चलाया जाता है। ऐसे में एमबीबीएस छात्रों को पाठ्यक्रम अवधि के दौरान पांच गोद लिए गए परिवारों के 26 दौरे करने होंगे और कुल मिलाकर 78 घंटे सेवा देना होगा।
जानकारी के मुताबिक MBBS छात्रों को पहले वर्ष में 27, दूसरे में 30 और तीसरे में 21 दिन का दौरान करना होगा। छात्रों के इस नंबर को संबंधित विषय में जोड़ा जाएगा। “यह पहली बार है जब गांव की पहुंच को एमबीबीएस पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाया गया है और गांव की उपस्थिति ने परीक्षा लिखने के लिए पात्रता मानदंड बनाया है। इससे शहरी और ग्रामीण केंद्रों के बीच स्वास्थ्य सेवा वितरण में असमानता को पाटने में मदद मिलेगी क्योंकि छात्रों को प्रत्येक पांच परिवारों को गोद लेना होगा।
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