महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने शुक्रवार को महावीर मंदिर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बताया कि मुझे बहुत हर्ष हो रहा है कि पिछले 3 महीने से लगातार 10 लाख से ज्यादा प्रतिदिन मंदिर की आमदनी हो रही है।
पटना: बिहार के पटना जंक्शन के समीप स्थित महावीर मंदिर, हनुमान जी को समर्पित सबसे पवित्र हिन्दू मन्दिरों में से एक है। यह देश के सर्वोत्तम और प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है। महावीर मंदिर उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। वहीं कभी साल में 11 हजार की आमदनी करने वाले महावीर मंदिर की आज रोजाना की इनकम 10 लाख रुपए के पार हो गई है।
“10 लाख से ज्यादा प्रतिदिन मंदिर की हो रही आमदनी”
महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने शुक्रवार को महावीर मंदिर में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर बताया कि मुझे बहुत हर्ष हो रहा है कि पिछले 3 महीने से लगातार 10 लाख से ज्यादा प्रतिदिन मंदिर की आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि महावीर मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर बन गया है जहां, भक्तों से प्रतिदिन दस लाख रुपए की आय हो रही है। जब उन्होंने इस मंदिर का प्रबंधन संभाला था तो मंदिर की एक साल की कुल आमदनी 11 हजार रुपए सालाना थी। महावीर मन्दिर में अब भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। किशोर कुणाल के मुताबिक वित्तीय अनुशासन, पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन से मंदिर की आय में बढ़ोतरी हुई। महावीर मन्दिर ने अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण में 10 करोड़ का सहयोग का संकल्प लिया है। उसमें से 6 करोड़ रुपये दिए जा चुके हैं।
पटना का महावीर मंदिर ऐसे ही नहीं मशहूर…
बता दें कि रामनवमी के पावन अवसर पर अनेक लोग महावीर मंदिर में आते हैं। लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा यह मन्दिर अपने धार्मिक महत्व और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है, कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है। महावीर मंदिर में भक्तों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। माननीय आचार्य किशोर कुणाल और उनके सहयोगियों के तमाम प्रयासों के बाद इस मंदिर का निर्माण हुआ। वहीं माननीय आचार्य किशोर कुणाल, महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव भी हैं। महावीर मन्दिर न सिर्फ लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है, बल्कि गरीब (निर्बल) लोगों के उपकार का माध्यम भी है।
वहीं मंदिर को रामानंद संप्रदाय के उच्चतम कैलिबर और बैरागी साधुओं के ‘पंडित’ (संस्कृत विद्वान) और साथ ही दलित पुजारी मिले हैं, जो सबसे अधिक सद्भा के साथ प्रदर्शन करते हैं। यहां विराजे हनुमान जी वास्तव में लोगों के संकट हरने वाले हैं, तभी इस मंदिर में चढ़ने वाला नैवेद्यम भोग और दान पेटी से प्राप्त राशि से गरीब (निर्बल) लोगों का कैंसर का इलाज करवाया जाता है और अन्य जरूरतमंदों की सेवा और परोपकार के कार्य में लगाया जाता है।
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