अब हम विचार करते है कि विकास करते करते हमारे साथ क्या मजाक हुआ। हम और ज्यादा विकसित हुए या हमे बहुत जबरदस्त अँधेरे में रखा गया। हम देखते है कि हम क्रमिक विकास के सिद्दांत से विकसित नहीं हुए हैं । इस क्रमिक विकास मे तो चींटियाँ भी हमसे अच्छी है। हम सर्वश्रेष्ठ इंसान चींटियों के भी स्तर के नही रहे। चींटियाँ तो पूरी तरह से आत्म निर्भर, आत्म कुशल या अपने आप के लिए पर्याप्त है। क्या ऐसा हम इंसानो के लिए कह सकते हैं ?
(1) अनुकूलन : — वह हर तरह के मौसम से दो चार होना जानती है।
(2) बढिया नक्शा नवीस : — वह बिना किसी स्कूल, कॉलेज & यूनिवर्सिटी गए, बिना किसी वास्तु-कला,आर्किटेक्चर की डिग्री के, बिना किसी भी तरह के अनुभव के अपने घर की समस्या का समाधान करने मे सक्ष्म होतीं है। इनका जीवन काल इतना छोटा होता है कि पढ़ाई लिखाई के लिए और किसी भी तरह के अनुभव लेने की बात ही नहीं उठती। इन्हे पता होता है कि घर बनाने के लिए कौन सी जगह ठीक रहेगी। क्योंकि हर तरह की मिट्टी और जगह इनके घर बनाने के लिए उचित नहीं होती। फिर सिर्फ इतना ही नहीं यह अपने घर मे अलग अलग कामों के लिए अलग अलग चेंबर/कमरे बनातीं है। इनके छोटे से दिमाग को पता होता है कि कौन सा कमरा बच्चों को पालने के लिए बनाया गया है, कौन से कमरे मे खाना रखना है, किस कमरे मे कूड़ा करकट रखना है ओर किस कमरे मे रानी होगी। इनके बनाए घर हर तरह के मौसम ओर हालातों का सामना करने के लायक होते है। इनके घरों मे वेंटिलेशन का पूरा पूरा ध्यान रखा होता है। पता नहीं कौन इन को ये सब बातें बताता है ?
(3) मौसम का पूर्वानुमान : — हमारी तरह इनके पास बहुत शक्तिशाली कंप्यूटर्स भी नहीं होते, जो इन्हे मौसमो के बारे मे जानकारी दे सके। पर फिर भी ना जाने कैसे इन्हें मौसम के मिजाज का पता चल जाता है। बारिश होने से पहले यह अपना भोजन इकट्ठा करने का कार्यक्रम बीच मे ही छोड़ अपने घरों मे वापिस चली जातीं है। कमाल है इन्हें मौसोमो की जानकारी होती है और हमे नही।
(4) सहज अनुभूति : — इन छोटे छोटे से अधने प्राणियों को कौन बताता है कि यह यह मौसम इनके लिए सही है ओर यह यह मौसम नहीं, जो यह विषम परिस्थितियों के लिए पहले से ही खाना इकट्ठा कर लेती है। क्या हम इंसानो के पास ऐसी सुविधा है ? क्या हमे पता होता है कि अब बाढ़ आएगी या सूखा पड़ेगा। पहले से ही कोई बंदोबस्त कर लो ? हमारा अति विकसित दिमाग और इन्द्रियाँ कुछ नही बताती।
(5) सूँघने की क्षमता : — इन नदारद प्राणियों की सूँघने की क्षमता हम इंसानो से ज्यादा होती है। इन्हे पता चल जाता है कि बंद डिब्बे मे क्या है पर हमे नही।
(6) थकावट : — इन्हें थकावट भी नही होती। यह सारे दिन और रात काम कर सकतीं है।
(7) रात्रि दृष्टि :— यह रात को भी बड़े आराम से काम कर लेती है। इन्हे कोई परेशानी नही होती।
(8) जलना :— यह भरी दोपहर मे भी बड़े आराम से काम कर लेती है। इन्हे गर्म जमीन से कोई नुक्सान नही होता। इनके पैर नही जलते और ना ही बदन को गर्मी लगती है और लू लगती है।
(9) प्रकृतिक जैविक हथियार : — यह अपनी हैसियत के हिसाब से बहुत ही अच्छे प्राकृतिक जैविक हथियार (natural biological weapons) रखतीं हैं। खतरे मे, जरूरत पड़ने पर यह काट कर इंसानो की भी बस करवा देती है।
(10) हिम्मत : — इंसान ओर चींटी के साइज़ ओर भार की तुलना करने पर पता चलता है कि हम इनसे बहुत ही बड़े प्राणी है पर फिर भी यह इंसानो को काटने की हिम्मत कर लेती है। हम इंसान बिल्ली, चूहों, शेर ओर हाथी आदि को काट सकते है ? अगर काटे भी तो कितना नुक्सान पहुँचा सकते है ?
(11) भार उठाने की क्षमता : — चींटियाँ अपने भार से 50 X ज्यादा भार उठा लेतीं है ओर हम अपने शरीर के वजन के हिसाब से कितना भार उठा सकते है ?
(12) योग्यता : — इनके पास मिट्टी खोदने के लिए बहुत ही उत्तम औज़ार होते है। पर हम इंसानो के पास ऐसा भी कोई औज़ार नहीं है। हम सख्त मिट्टी को जरा भी नहीं खोद सकते पर यह चींटियाँ झट से यह काम कर लेती है। हमे मिट्टी खोदने जैसे मामूली से काम के लिए भी औजारों की जरूरत पड़ेगी।
(13) गुरुत्वाकर्षण बल : — यह बहुत ही आराम से गुरुत्व आकर्षण के बल से बाहर निकल जातीं है पर हम इंसान इस बल से बाहर निकलना नहीं जानते। यह इस बल से बाहर आ जाती है तभी यह दीवार पर ओर छत पर चढ पातीं है।
(14) अंधेरे मे देखने की योग्यता : — चींटियाँ बड़े ही आराम से अपने भूमिगत/अंडर ग्राउंड घरों मे बिना बिजली के सब कुछ साफ साफ देख लेती है। क्या हम किसी भूमिगत बंद घर मे कुछ साफ देख सकते है ?
(15) ऑल राउंडर : — बिना हमारी तरह विकसित हाथ, पाँव ओर दिमाग के, बिना पढ़ाई लिखाई के यह अपने सारे काम बहुत ही सुचारू ढंग से करने मे सक्षम है। यह अपने बच्चों की बहुत ही अच्छे ढंग से देख भाल करतीं है। हम इंसान सब तरह की समझ ओर बोध होने के बावजूद भी इंसानो के बच्चे कई कई तरह की बीमारियाँ ओर परेशानियों से ग्रस्त रहते है।
(16) प्रजनन तंत्र :— इन्हे प्रजनन के मामले मे कोई परेशानी नहीं होती पर हम इंसानो को इस से जुड़ी कितनी परेशानी होती है। अभी हमारे गुण/genes बहुत ही बढिया है। पर बहुत ही निक्कमा काम करते है। कभी बच्चा ही नहीं होता, कभी हो जाए तो बच्चा ही जीवित नहीं रहता ओर ढेर सारे पंगे, पर चींटियों का जीवन बहुत ही सुचारू रूप से, शान्ति से चलता है। पर हमारा सब से ज्यादा विकसित शरीर, दिमाग हमे कोई ना कोई परेशानी से ही ग्रस्त रखता है।
हम इंसानो को अब यह सोचना शुरू कर देना चाहिए कि हम इस क्रमिक विकास मे विकास करते करते कहाँ पहुँच गए है ? इन करोड़ों सालों के विकास मे हमने क्या क्या हासिल किया ओर क्या क्या खोया ? हम इस क्रमिक विकास मे सिर्फ मूर्ख ओर अपंग बन कर ही रह गए है।
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