एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को ना समझें सामान्य पीठ का दर्द, ये लक्षण दिखें तो जरूर जाएं डॉक्टर के पास: डॉ. निहारिका सिन्हा

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Ankylosing spondylitis Treatment: एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing spondylitis) एक ऐसी अवस्था है, जिसे अक्सर गलती से एक ‘सामान्य पीठ दर्द’ मान लिया जाता है। यह एक सूजन संबंधी अवस्था है, जो रीढ़ की जॉइंट्स को प्रभावित करती है। इसमें रीढ़ का लचीलापन कम हो जाता है, शरीर की मुद्रा खराब हो जाती है और घूमना-फिरना बंद होने का खतरा पैदा हो जाता है। वर्क फ्रॉम होम’ और कंप्यूटर आदि की स्क्रीन के सामने लगातार बैठना अब आम हो गया है। इस स्थिति में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को अक्सर जीवनशैली जनित स्पॉन्डिलाइटिस के रूप में नजरअंदाज कर दिया जाता है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस या एएस पुरुषों में ज्यादा होता है। यह जीवन के सबसे सक्रिय और उत्पादक वर्षों के दौरान आरम्भ होता है। इसके फलस्वरूप मरीजों के जीवन की गुणवत्ता बेहद खराब हो जा सकती है।

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस पर विस्तार से जानकारी दे रही है अवनी  केयर  पटना की कंसल्टिंग रूमैटोलॉजिस्‍ट डॉ. निहारिका सिन्हा

जीवोत्पाद (Biologics) एएस को नियंत्रित करने के लिए मुख्य उपचार

हाल के समय में बायोलॉजिक्स (जीवोत्पाद) एक उन्नत उपचार विधि रूमटोलॉजिस्ट्स के लिए उपचार (Ankylosing spondylitis Treatment in Hindi) की प्रथम पंक्ति के रूप में प्रमुख विकल्प बन गया है। एएस के मरीजों का प्रतिरक्षण तंत्र संधियों में अतिरिक्त सूजन पैदा करता है। इससे जॉइंट्स क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनमें पीड़ा, कड़ापन हो जाता है या वे आपस में जुड़ जाती हैं। बायोलॉजिक्स को निर्दिष्ट प्रोटीनों और पदार्थों को लक्षित और प्रभावित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो सूजन पैदा करने की प्रक्रिया में सम्मिलित हैं। बायोलॉजिक्स न केवल दाहक पीड़ा को कम करने में मदद करते हैं, बल्कि एएस से सम्बंधित आंखों की सूजन, हृदयधमनी रोगों

और डिप्रेशन जैसी स्वास्थ्य की अन्य अवस्थाओं के जोखिम भी कम करती हैं। बायोलॉजिक्स उपचार लम्बे समय में नई हड्डी बनने को भी रोक सकते हैं।

इसके अलावा डॉ. निहारिका सिन्हा ने बतायी की, एएस के लिए सटीक और समय पर मदद लेना जरूरी है। सामान्य चिकित्सक के पास जाने से सही निदान और उपचार में देरी ही होगी, इसलिए इस रोग के विशेषज्ञों जैसे कि रूमटोलॉजिस्ट्स से चिकित्सीय सहायता और देखभाल लेना अनिवार्य हो जाता है। भारत में युवा आबादी में से 0.5 प्रतिशत लोग एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं। अगर लक्षण आरम्भ होते ही सही समय पर लोग समाधान के कदम नहीं उठाएंगे, तो यह अनुपात चिंताजनक स्तर पर पहुंच सकता है।

महिलाओं की तुलना में पुरूष होते हैं ज्‍यादा प्रभावित

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस सबसे कमजोर वर्ग को प्रभावित करता है, जैसे कामकाजी युवा आबादी। महिलाओं की तुलना में इससे पुरूष ज्‍यादा प्रभावित होते हैं, जिसका मौजूदा अनुपात 3:1 है। अगर एएस का सही इलाज समय पर न हो, तो यह पूरी रीढ़ को प्रभावित कर सकता है, जिससे कार्यात्‍मक अक्षमता हो सकती है। अक्‍सर इसके निदान में देरी रूमैटोलॉजिस्‍ट के पास मरीज को विलंब से भेजे जाने के कारण होती है। अभी एएस का सबसे अच्‍छा इलाज है बायोलॉजिक्‍स और लाइफस्‍टाइल में बदलाव।

डॉक्टर से दिखाने का सही समय क्या है?

एएस के मरीजों के सामने जागरूकता और रोग के निदान की कमी प्रमुख समस्याएं हैं। अधिकांश मरीजों का निदान अवस्था में आने के काफी बाद में होता है। कुछ मरीजों का निदान तो अवस्था आरम्भ होने के 7 वर्ष बाद होता है। जॉइंट्स के आपस में जुड़ने से बचने, दर्द कम करने, दुर्बल करने वाली भंगिमा की विकृति के विकास को रोकने और रोग की प्रगति को नियंत्रित करने के लिए शुरुआती चरण में निदान होना अति महत्वपूर्ण है। हालांकि, एएस एक अपरिवर्तनीय रोग है, ऐसे में इसे सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव के द्वारा नियंत्रित रखा जा सकता है।

अगर किसी को पीठ के निचले हिस्से या नितम्बों में दर्द हो, जो धीरे-धीरे बढ़ता हो और सुबह में अधिक तेज रहता हो (Ankylosing spondylitis symptoms in Hindi) या दर्द के कारण आपकी नींद खुल जाती हो, तो चिकित्सीय देखभाल कराना अनिवार्य हो जाता है। आंखें लाल हो गई हों और उनमें पीड़ा हो, रोशनी से परेशानी हो या दृष्टि में धुंधलापन हो तो किसी नेत्र विशेषज्ञ से भी अवश्य और तुरंत दिखलाना चाहिए। सही उपचार और सहायता से पीड़ित व्यक्ति को निदान के बावजूद सामान्य और उत्पादक जीवन जीने में मदद मिलती है।

(डॉ. निहारिका सिन्हा)

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