अररियाः पटना हाईकोर्ट के एक फैसले ने बिहार में 22 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों की नौकरी खतरे में डाल दी है। कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए अयोग्य करार दिया है। इन सभी शिक्षकों की नियुक्ति छठे चरण के तहत की गई थी। वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार शिक्षा विभाग एक्शन मोड में आ गया है।
दो दिनों के अंदर मांगी जानकारी
दरअसल, बिहार के सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा एक से पांच तक नियुक्त बीएड डिग्री धारकों से संबंधित सूचना मांगी जा रही है, ताकि उनकी नियुक्तियों को रद्द किया जा सके। इसी कड़ी में अररिया के जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र जारी कर बीएड पास शिक्षकों से संबंधित सूचना मांगी है। पत्र में कहा गया है कि दो दिनों के अंदर ऐसे शिक्षकों के बारे में अनिवार्य रूप से जानकारी दी जाए ताकि प्रतिवेदन समेकित कर निदेशालय को भेजा जा सके।
पटना हाईकोर्ट ने सुनाया था ये फैसला
बता दें कि हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव रॉय की पीठ ने कहा कि ‘‘प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा वाले उम्मीदवार प्राथमिक विद्यालय शिक्षण नौकरियों के लिए पात्र हैं। बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।”
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