बिनासंघर्ष सफलता नहीं मिलती, बिना भटके मंजिल नहीं मिलती, बिना परिश्रम लक्ष्य हासिल नहीं होता। लक्ष्य पाने के लिए सतत मेहनत जरूरी है। जीवन उसी का सफल है जो लक्ष्य के प्रति सचेत है, सतत कार्यरत होकर परिश्रम करता है
‘जिंदगी के सफर में काफी झंझावतों को सहते हुए ईमानदार कोशिश और मेहनत के बूते खुद को स्थापित की’
मन में कुछ कर गुजरने की ललक हो, दृढ़ संकल्प हो तो आदमी जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है। बस उसे एक सही दिशा का चुनाव कर बिना रुके, बिना थके अपनी राह पर तब तक आगे बढ़ते रहना चाहिए, जब तक मनचाही मंजिल पर वह पहुंच न जाए। खुद पर विश्वास रख सतत परिश्रम ही सफलता का एक मात्र मूलमंत्र है। इसी राह पर युवावस्था में निकल पड़ी समाजसेवी कनक लता चौधरी । जिंदगी के सफर में काफी झंझावतों को सहते हुए ईमानदार कोशिश और के बूते खुद को खड़ा किया। कनक लता चौधरी समाजसेवी के साथ एक कवियत्री भी है वो अपनी रचनाओ से इस समाज में अलग पहचान बनाई है रखते हैं और आर्थिक रूप से तंगी जरूरत मंद को मदद भी करती है।
जब परिवर्तन को स्वीकार कर लिया
कनक लता चौधरी हर बार यही कहती हैं कि हमारी संस्कृति और सभ्यता ने कितने ही परिवर्तनों को स्वीकार कर लिया हो अपने को परिष्कृत कर लिया हो, लेकिन परिवार संस्था के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आई। वे बने और बन कर भले टूटे हों लेकिन उनके अस्तित्व को नाकारा नहीं जा सकता है। हम चाहे कितनी भी आधुनिक विचारधारा में पल रहे हों, लेकिन अंत में अपने संबंधों को विवाह संस्था से जोड़ कर परिवार में परिवर्तित करने में ही संतुष्टि का अनुभव करते हैं।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बने
कनक लता चौधरी युवा होने के साथ युवाओ प्रेरणा देती है,वो कहती है की खुद संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं। कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सीखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं। समाजसेवी गलियारे में पटना से लेकर दिल्ली तक अपनी पहचान कायम करने वाली कनक लता चौधरी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इनकी सबसे खास बात ये है कि हमेशा युवा पीढ़ी को मेहनत और लगन के लिए प्रेरित करती रहती हैं। साथ ही युवा कवियत्री के लिए हर स्तर पर कदम से कदम मिलाकर चलती हैं।
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