चांद पर पहुंचा भारत, अब आगे क्या होगा? कैसे मिलेगी आगे की जानकारी, जानिए

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भारत ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया है। इस तरह भारत अब चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है। वहीं साउथ पोल पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह भारत के लिए एक बड़ा पल है,

भारत ने चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया है। इस तरह भारत अब चांद पर पहुंचने वाला चौथा देश बन गया है। वहीं साउथ पोल पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। यह भारत के लिए एक बड़ा पल है, क्योंकि पिछली बार विक्रम लैंडर आखिरी मूमेंट पर क्रैश हो गया था, लेकिन इस बार कोई गलती नहीं की गई और चंद्रयान-3 की एक सफलतापूर्वक लैंडिंग करवाई गई।

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अब आगे क्या होगा?

अब विक्रम लैंडर का एक साइड पैनल मुड़ जाएगा, जिससे प्रज्ञान रोवर के लिए रैंप यानी उतरने के लिए रास्ता खुल जाएगा। अब रोवर से जुड़े कामों को शुरू किया जाएगा। बता दें कि रोवर का नाम प्रज्ञान है जो छह पहियों वाला रोबोटिक व्हीकल है, जो चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा। चांद का एक लूनर डे यानी चांद पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है। वैज्ञानिकों की कोशिश होगी कि वो रोवर के जरिए चांद से भारी संख्या में भेजे जा रहे डेटा को देखें। ये डेटा लैंडर से भेजा जा रहा होगा।

प्रज्ञान में इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है। चांद की सतह पर उतरने के चार घंटे बाद प्रज्ञान लैंडर से बाहर निकलेगा। प्रज्ञान एक सेंटिमीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से चांद की सतह पर चलेगा जो कैमरों की मदद से प्रज्ञान चांद पर मौजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा।

– प्रज्ञान चांद के मौसम का हाल पता करेगा। इसमें ऐसे पेलोड लगाए गए हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकेगी. ये इयॉन्स और इलैक्ट्रॉन्स की मात्रा को भी पता लगाएगा।

– जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर भारतीय तिरंगा और इसरो लोगो बनता चला जाएगा।

– प्रज्ञान को ऐसे बनाया गया है कि वो चांद की सतह की जानकारी जुटा सके। प्रज्ञान इन जानकारियों को जुटाकर लैंडर तक पहुंचाएगा।

– चांद की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर के पास दो हफ़्तों को समय होगा।

– प्रज्ञान सिर्फ लैंडर से संवाद कर सकता है और ये लैंडर ही होगा, जो धरती पर डाटा भेजेगा।

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चांद पर कदम रखने वाले 4 देश-

– चांद की सतह पर अब तक सिर्फ तीन देश ही पहुंच पाए हैं। इनमें अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं. सोवियत संघ (अब रूस) पहला ऐसा देश था, जिसने पहली बार चांद पर कोई वस्‍तु पहुंचाई थी। 13 सितंबर, 1959 को रूस ने लूना 2 रॉकेट को चांद पर उतारा था।

– 20 जुलाई, 1969 को अमेरिका ने अपोलो 11 अभियान के तहत पहले इंसान को चांद पर भेजा। अमेरिकी अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्‍ट्रांग चांद पर उतरने वाले पहले इंसान बने थे।

– चीन ने 3 जनवरी, 2019 को चांद के पिछले हिस्‍से में अपना चांगे-4 शोध यान उतारा था। इस हिस्‍से पर शोध यान पहुंचाने वाला चीन पहला देश बना था।

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अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा काफी असर 

अंतरिक्ष यात्रा में लगे इस देश के लिए यह केवल राष्ट्रीय गौरव की बात नहीं है। चंद्रयान-3 की सफलता का भारत की अर्थव्यवस्था पर काफी असर पड़ सकता है। दुनिया ने पहले ही अंतरिक्ष संबंधी प्रयासों से रोजमर्रा की जिंदगी में मिले फायदे देखे हैं जैसे कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जल पुनर्चक्रण के साथ स्वच्छ पेयजल तक पहुंच, स्टारलिंक द्वारा विश्वभर में इंटरनेट का प्रसार, सौर ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियां आदि। उपग्रह से मिलने वाली तस्वीरों और नौवहन के वैश्विक आंकड़ों की बढ़ती मांग के साथ कई रिपोर्टें दिखाती हैं कि दुनिया पहले ही अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि के चरण में है।

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