ज़िंदगी की उड़ान में बहुत सी अड़चनें आएँगी
पर तू ना घबराना नहीं नारी है
तू अपनी क़ीमत पहचान
अस्तित्व को अपनी कभी खोना नही
हसरतें होंगी तेरी बहुत कुछ पाने की
पर वजूद को अपने दाँव पर लगाना नही
मिटा कर अपने आत्मसम्मान को
कभी कुछ पाने की लालसा रखना नही
पहचान ज़रूरी है तेरी मानते है हम पर नाज़ है
तू उस कोख की भी जिस कोख से जन्मी है
तू आसान नही है स्त्री का जीवन जानती है
दुनिया पर मानेगी नही
बोझ परिवार और इज़्ज़त का तुझपे ही निशाना साधेगी
हक़ तेरा मालिकाना होगा पर
खुद की भी फ़ैसले ना लेती होगी
कभी तो बस कर लो खुद का सम्मान बना लो
खुद की भी पहचान खुद में खुद को ढूँढना सिख लो
हर परिस्थिति में बस मुस्कुराना सिख लो
क्यूँकि तू ना है अबला नारी ना है
किसी के सर का बोझ बस गुरूर रख
इस बात का खुद पर तुझमें है
ताक़त और सहने की क्षमता बात है
बस लाज मान और मर्यादा की !
(लेखिका )
निशा मनीष थापा
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