नवरात्रि में कन्याओं का पूजन और उनको भोजन करा, मां दुर्गा के विभिन्न रूपों को करें प्रसन्न, इस बात का जरूर रखें ध्यान

150 0

नवरात्र में कन्या यानी कंजक पूजन का विशेष महत्व होता है. सामान्यतः लोग नवरात्र शुरू होते ही कन्या पूजन करने लगते हैं किंतु अधिकांश लोग सप्तमी से कन्याओं को पूजन और भोजन कराने लगते हैं हालांकि अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व माना जाता है.

शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर दिन रविवार से शुरु हो रहे हैं और 21 अक्टूबर, शनिवार को महासप्तमी, 22 अक्टूबर, रविवार को महाअष्टमी, 23 अक्टूबर, सोमवार को महानवमी तथा 24 अक्टूबर, मंगलवार को विजयदशमी का उत्सव मनाया जाएगा.

नवरात्र में कन्या यानी कंजक पूजन का विशेष महत्व होता है. सामान्यतः लोग नवरात्र शुरू होते ही कन्या पूजन करने लगते हैं किंतु अधिकांश लोग सप्तमी से कन्याओं को पूजन और भोजन कराने लगते हैं हालांकि अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व माना जाता है. जो लोग पूरे नवरात्रि में व्रत रखते हैं वह दशमी के दिन कन्या खिलाने के बाद ही पारण करते हैं.

कन्या को भोजन खिलाने में दो वर्ष से दस वर्ष तक की नौ कन्याओं को बुलाना चाहिए. नौ की संख्या के पीछे माता के नौ स्वरूपों का भाव रहता है.

एक बालक को अवश्य बुलाएं
कन्या बुलाने के साथ ही एक काम करना कभी नहीं भूलना चाहिए, वह है इसी आयु का एक बालक जिसे भैरव के रूप में बुलाया जाता है. बिना भैरव का पूजन किए माता पूजन को स्वीकार नहीं करती हैं. कन्याओं की संख्या नौ से अधिक भी हो सकती है.

उम्र के हिसाब से है माताओं का स्वरूप:-
1-दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है और माता सुभद्रा अपने भक्तों के सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं.

2- नौ वर्ष की कन्या साक्षात दुर्गा कहलाती है जिसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और सभी कार्य पूर्ण होते हैं.

3- आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है, इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त  होती है.

4- सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का माना जाता है. चंडिका का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

5- छह साल की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है जो विद्या, विजय और राजयोग दिलाती हैं.

6- पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है और उसका पूजन करने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है.

7- चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है और उसके पूजन से परिवार का कल्याण होता है.

8- तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है और इसके पूजन से धन्य धान्य के साथ ही परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

9- दो वर्ष की कन्या के पूजन से दुख दरिद्रता दूर होती है.

ऐसे करें कन्या पूजन:-
-कन्याओं को बुलाने के बाद पहले देवी मां का पूजन करें और साथ ही कन्याओं और बालक के भी पैर धोकर उन्हें उचित आसन पर विराजमान करें.

-सभी के तिलक और कलाई पर मौली यानी कलावा का रक्षा सूत्र बांधे.

भोजन प्रसाद का सबसे पहले माता को भोग लगाएं और फिर उसे कन्याओं और बालक को परोस कर सम्मान पूर्वक खिलाएं.

-सबसे अंत में पैर छूकर आशीर्वाद लें और सभी को कोई गिफ्ट भी दें, फिर घर के प्रवेश द्वार तक छोड़ने भी जाएं.

Related Post

मुख्यमंत्री ने समाधान यात्रा के क्रम में मधुबनी जिले की जीविका दीदियों के साथ किया संवाद

Posted by - जनवरी 11, 2023 0
पटना, 11 जनवरी 2023 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार आज समाधान यात्रा के क्रम में मधुबनी जिले की जीविका दीदियों…

मुख्यमंत्री ने ‘समाधान यात्रा के क्रम में पटना जिले के बिहटा प्रखण्ड में विकास योजनाओं का लिया जायजा, समस्याओं के समाधान को लेकर अधिकारियों को दिए निर्देश

Posted by - जनवरी 29, 2023 0
पटना, 29 जनवरी 2023 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज ‘समाधान यात्रा के क्रम में पटना जिले के बिहटा…

मुख्यमंत्री ने समाधान यात्रा के क्रम में पटना जिले की समीक्षात्मक बैठक की

Posted by - फ़रवरी 16, 2023 0
पटना, 16 फरवरी 2023 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज समाधान यात्रा के क्रम में सम्राट अशोक कन्वेंशन केन्द्र…
Translate »
Social media & sharing icons powered by UltimatelySocial
LinkedIn
Share
WhatsApp