नीतीश सरकार के विकास मॉडल का दुनिया में डंका- डॉ. रणबीर नन्दन

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बिहार अपने मूल पर पुनः लौटने लगा है। पूरी दुनिया को लोकतंत्र की परिभाषा देने वाले बिहार की तस्वीर को नीतीश कुमार के नेतृत्व में बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है या यों कहें कि अतीत के गौरव को स्थापित करने में नीतीश कुमार सफल हुए हैं।

मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार के 15 साल पूरे करने को एक ऐतिहासिक लम्हा करार दिया है। उनके विजन के दम पर बिहार नित्य नए विकास के आयाम को गढ़ रहा है। अगर आप समाज, प्रदेश व देश को आगे ले जाने के विजन के साथ आगे बढ़ते हैं तो ही आपको एक बेहतर लीडर के रूप में जाना जाएगा। अगर आप केवल कुछ भावनाओं को भड़काते और सत्ता हासिल कर भी लेते हैं तो एक दिन ऐसा आता है कि आपको खारिज कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री जी ने जब से सत्ता संभाली, तब से उनका विजन बिहार को आगे ले जाने का रहा है। 15 साल में इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

वर्ष 2005 के नवंबर में जब  नीतीश कुमार ने बहुमत के साथ सत्ता की बागडोर आपने हाथ में ली, तभी उन्होंने बिहार के नाम को उपहास का विषय से बदलने की ठान ली। 15 साल बाद आज देश क्या विश्व के किसी भी कोने में जाएंगे तो बिहारी कहलाना शर्म नहीं, गर्व का विषय बन गया है। यह एक सशक्त नेतृत्व का कमाल है, जिसने प्रदेश की तरक्की के लिए दिन-रात मेहनत की। लगातार विकास दर को दोहरे अंकों में बनाए रखा। बदहाल प्रदेश को मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर वाले प्रदेश के रूप में स्थापित करने की कोशिश लगातार कर रहे हैं।

आपको याद दिला दूँ की वर्ष 2005 में तो 100 में से 13 बच्चे स्कूल का मुंह भी नहीं देख पाते थे। आज एक फीसदी से भी कम बच्चे ऐसे होंगे। सरकार उन बच्चों को भी स्कूलों से जोड़ने पर काम कर रही है। स्कूल से बाहर होने वालों में बच्चियों की सबसे बड़ी संख्या होती थी। आज मैट्रिक परीक्षा में छात्र व छात्राओं की संख्या लगभग बराबर होने लगी है। इसके पीछे सरकार की नीतियों का बड़ा योगदान है। मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत कक्षा एक से 12वीं तक की बच्चियों को मदद दी जाती है। इसके तहत कक्षा एक व दो की छात्राओं को 600 रुपए, कक्षा तीन से पांचवीं तक के लिए 700 रुपए और कक्षा छठी से आठवीं तक की छात्राओं के लिए एक हजार रुपए प्रति छात्रा भुगतान किया जाता है। इसके अलावा सामान्य कोटि की छात्राओं को भी 50 से 150 रुपए तक की छात्रवृत्ति प्रारंभिक कक्षाओं में प्रदान की जाती है। सरकार समाज के कमजोर तबके की बच्चियों के लिए 535 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का संचालन कर रही है। इन स्कूलों में 50318 छात्राएं एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रही हैं। इसके अलावा हर स्कूल में मध्याह्न भोजन व मुफ्त किताब की उपलब्धता कराई जा रही है।

इतना ही नहीं राज्य के सभी पंचायतों में 12वीं तक के स्कूल खोले जा रहे हैं। अभी प्रदेश में 5083 पंचायतों में उच्च माध्यमिक स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। इसी शैक्षणिक सत्र से बचे 3304 पंचायतों में नौवीं की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इससे बच्चियों को अब दूर जाकर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा नहीं ग्रहण करनी पड़ेगी। सरकार ने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बालिका इंटरमीडिएट प्रोत्साहन योजना को शुरू किया है। इसके तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित किए जाने वाले इंटर परीक्षा में पास करने वाली सभी श्रेणी की अविवाहित छात्राओं को 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 3,22,668 छात्राओं को 322.67 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। किशोरी उत्थान योजना के तहत मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना में कक्षा सातवीं से 12वीं तक की छात्राओं को 300 रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। इससे बच्चियां अपने स्वास्थ्य का ख्याल अपने स्तर पर रख सकती हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 19,45,143 छात्राओं को 58.35 करोड़ की राशि उपलब्ध कराई गई।

बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत नौवीं से 12वीं कक्षा तक की छात्राओं को पोशाक खरीदने के लिए 1500 रुपए दिए जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 10,92,067 छात्राओं को 163.81 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। इसी प्रकार मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना के तहत नौवीं कक्षा में दाखिला लेने वाली हरेक छात्रा को तीन हजार रुपए की सहायता राशि दी जा रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 5,26,100 छात्राओं को 157.83 करोड़ रुपए जारी किए गए। वहीं, मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी से पास करने वाली सामान्य व बीसी-2 श्रेणी की छात्राओं को 10 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना के तहत 56,118 छात्राओं के बीच 56.12 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है। इसी प्रकार सामान्य कोटि की कक्षा नौवीं व 10वीं की छात्राओं को 150 रुपए छात्रवृत्ति के रूप में दिए जा रहे हैं।

 वर्ष 2005 से पहले बिहार में शिक्षा की क्या स्थिति थी, किसी से छुपी है क्या? हाईस्कूल नहीं होने के कारण बच्चियों को प्राथमिक कक्षाओं के बाद स्कूल छोड़ना पड़ता था। स्कूलों में ड्रेस न होने के कारण आने वाले बच्चों की संख्या काफी ज्यादा थी। ऐसे में स्कूल में बच्चों के लिए ड्रेस, किताब, शिक्षक और क्लासरूम की व्यवस्था का जो सिलसिला शुरू हुआ, अनवरत जारी है। बच्चियों के लिए शुरू की गई साइकिल योजना ने माध्यमिक शिक्षा की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाए। वहीं, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हर जिले तक इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि, विश्वविद्यालय व कॉलेजों की संख्या में नियमित इजाफा और उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों की नियुक्ति की दिशा में कार्य चल रहे हैं। अब प्रदेश में आईआईटी भी है और आईआईएम भी। ट्रिपल आईटी, निफ्ट, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, चंद्रगुप्त मैनेजमेंट संस्थान, आर्यभट्‌ट नॉलेज यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों ने प्रदेश की छवि को बदल कर रख दिया है।

कौन क्या सोचता है, कौन क्या कहता है, इसकी मुख्यमंत्री ने परवाह नहीं कि और प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर का मजबूत जाल बिछा डाला। आज के समय में हर गांव-टोले को पक्की सड़क से कनेक्ट किया गया है। अब राज्य के किसी भी कोने से राजधानी तक पांच घंटे में पहुंचने के लिए सड़क नेटवर्क और विस्तृत किया जा रहा है। फोर लेन व सिक्स लेन सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। आप देखेंगे कि पटना आने के लिए पहले गांधी सेतु पुल और राजेंद्र सेतु पुल की ही सुविधा थी। अब यह संख्या बढ़कर आधा दर्जन से अधिक हो चुकी है और इसमें से कई का निर्माण चल रहा है। इस प्रकार की सोच एक इंजीनियर मुख्यमंत्री की हो सकती है। बिहार म्यूजियम उनकी भव्य सोच का परिणाम है तो ज्ञान भवन व सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर उत्कृष्ट कारीगरी का नमूना।

 आज के समय में बिहार घोटालों के लिए कुख्यात नहीं है। कुछ लोग चारा खा गए और अलकतरा पी गए। वहीं, 15 साल के मुख्यमंत्री काल में नीतीश कुमार जी पर आरोप लगाने वाले सूरज को दीया दिखाने भर की कोशिश करते रहे हैं। ईमानदारी से प्रदेश की प्रगति में लगे हुए हैं। उन्होंने प्रदेश के विकास के लिए समवर्ती सोच और सबका साथ सबका विकास के जिस नारे को आधार बनाया है, उसे पूरा भी किया है। 24 नवंबर को जब वे मुख्यमंत्री के रूप में 15 साल पूरे करेंगे तो नेतृत्व के वे नई परिभाषा गढ़ेंगे। इस मौके पर पार्टी की ओर से सरकार के बेमिशाल 15 साल कार्यक्रम का आयोजन होगा। हम माननीय मुख्यमंत्री के कार्यों व उनके संदेशों को प्रदेश में अंतिम व्यक्ति तक ले जाएंगे।

मुख्यमंत्री के विजन की तारीफ हर जगह हो रही है। शराबबंदी के बाद समाज में बदलाव के लिए उन्होंने बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ भी राज्यव्यापी अभियान चलाया है। इसके साथ-साथ भविष्य की चिंता करते हुए उन्होंने जल जीवन हरियाली योजना की शुरुआत की। जब तक जल और हरियाली है, तभी तक जीवन सुरक्षित है। जल और हरियाली के बिना मनुष्य हो या जीव-जंतु या पशु-पक्षी किसी के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित करने, पारिस्थिकीय संतुलन बनाए रखने और जल संरक्षण व संचयन के उद्देश्य से राज्य की सरकार ने जल जीवन हरियाली अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत 11 बिंदुओं की कार्ययोजना तैयार की गई है, जिस पर वर्ष 2022 तक 24,524 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। योजना को मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। सभी जानते हैं कि एक पेड़ एक साल में 20 किलो धूल सोखता है। 700 किलो ऑक्सीजन छोड़ता है तो 20 हजार किलो कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। गर्मियों में एक पेड़ के पास सामान्य से लगभग 4 डिग्री कम तापमान रहता है। इस तरह घर के पास 10 पेड़ लगे हों तो आदमी की उम्र 7 साल तक बढ़ जाएगी। माननीय मुख्यमंत्री आम लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। उनके स्तर पर चलाया गया हर घर को नल का जल योजना की राष्ट्रीय स्तर पर तारीफ हुई और केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत इस योजना को लिया है।

कोरोनकाल में जिस संयम के साथ मानव सेवा किया गया वो काबिल-ए-तारीफ है।

कोरोना वैक्सीनेशन में बिहार टॉप छह राज्यों में शामिल है। राज्य में छह माह में छह करोड़ वैक्सीन लगाने का अभियान एक जुलाई 2021 से शुरू हुआ, जिसमें चार करोड़ टीकाकरण पूरा हो चुका है। जबकि टीकाकरण शुरू होने के बाद अब तक कुल 7.5 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज लग चुकी है। इसमें 5.25 करोड़ को एक डोज तो 2.25 करोड़ लोग पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो गए हैं। दूसरी लहर में पूरे देश में हाहाकार मचा था बिहार में 165 कोविड केयर सेंटर में 11382 बेड की व्यवस्था की गई थी, इनमें 3359 ऑक्सीजनयुक्त बेड थे। 110 डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर(डीसीएचसी) में 7871 बेड थे, जिसमें 5158 ऑक्सीजन युक्त तथा 90 आईसीयू व 81 वेंटिलेटर बेड रहे। 12 कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में 3574 बेड थे जिसमें 3474  ऑक्सीजनयुक्त, 455 आईसीयू व 271 वेंटिलेटर बेड थे। इसके अतिरिक्त 239 निजी अस्पतालों में 5432 बेड उपलब्ध थे।

वहीं तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार की तैयारी पर डॉ. नंदन ने बताया कि राज्य के सभी सदर अस्पतालों के लिए प्रति अस्पताल 40 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 60 डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर, 10 बाइपैप मशीन तथा अनुमंडलीय अस्पतालों के लिए 25 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 35 डी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर, 5 बाइपैप मशीन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंदों के लिए 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 20 बी टाइप ऑॅक्सीजन सिलेंडर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रां के लिए 5 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 10 बी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर एवं अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 2 ऑॅक्सीजन कंसंट्रेटर और 2 बी टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया है। साथ ही हेल्थ सब सेंटर को छोड़ सभी स्तर के अस्पतालों के वाह्य रोगी कक्ष में आवश्यकतानुसार पल्स ऑक्सीमीटर रखने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावे गृह भ्रमण के दौरान आशा कार्यकर्ता पल्स ऑक्सीमीटर से लोगों के ऑक्सीजन की स्थिति मापने का काम करेंगी। इंफ्रा रेड थर्मामीटर सभी जिलों में उपलब्ध है। इसका उपयोग संक्रमण के दौरान बस अड्डों, रेलवे स्टेशन एवं कोविड अस्पताल में किया जाएगा। राज्य के 119 स्थानों पर पीएसए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसमें सभी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल, सभी सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं रेफरल अस्पताल शामिल हैं। झारखण्ड बनने के पश्चात अल्प प्राकृतिक संसाधन वाले बिहार को आज आत्मनिर्भर बनाने का जो प्रयास नीतीश जी ने किया है, वह ऐतिहासिक है और बिहार की भावी पीढ़ी का एक नई दिशा देने का काम करेगा।

(लेखक पूर्व सदस्य, बिहार विधान परिषद)

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