पूरे दिन नवजोत सिद्धू के नजदीकी सुखजिंदर रंधावा के सीएम बनने की चर्चा जोरों पर रही। लेकिन शाम होते होते माहौल बदल गया। रंधावा के नाम पर विरोध उठा तो हाईकमान ने चन्नी को प्रदेश की बागडोर सौंपने का निर्णय ले लिया।
विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू और हरीश रावत राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए पहुंचे. तकरीबन आधे घंटे तक चली मुलाकात के बाद के बाद चन्नी ने जानकारी दी कि सोमवार सुबह 11 बजे शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसमें वह सीएम पद की शपथ लेंगे. चन्नी को कैप्टन अमरिंदर सिंह का विरोधी बताया जाता रहा है. हालांकि, कैप्टन ने चन्नी को सीएम चुने जाने के बाद बधाई दी और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह सीमावर्ती राज्य पंजाब को सुरक्षित रखेंगे…
र्यकाल का समय जो चरणजीत सिंह चन्नी को मिला है, उनके सामने आने वाली चुनौतियां बड़ी होगी। कांग्रेस ने दलित कार्ड तो खेला है। चरणजीत चन्नी अमरिंदर सिंह की ब्यूरोक्रेसी से कैसे काम लेंगे। इसके अलावा सुखजिंदर रंधावा व परगट सिंह को कोई बड़ा मंत्रालय मिलेगा। कहा जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस में सीएम पद के झगड़े को समाप्त करने के लिए चन्नी को मुख्यमंत्री पद दिया गया है। लेकिन तमाम गृह और हेवीवेट मंत्रालय का बंटवारा संतुलित ढंग से किया जाएगा। बड़ा सवाल ये है कि उन नेताओं की क्या भूमिका होगी जो सीएम बनते-बनते रह गया या फिर उन्हें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुठबाजी थमेगी।
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