पटना के एक डॉक्टर ने कर दिया हैरतअंगेज कारनामा, तीन दिन के बच्चे को दी नई जिंदगी,

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पटना के एक सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार ने तीन दिन के बच्चे को नई जिंदगी दी. गैस्ट्रोस्काइसीस की गंभीर बीमारी से बचा लिया है.

Patna डॉक्टर संजीव कुमार: डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है. इसे पटना (Patna) के एक सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार (Dr. Sanjeev Kumar) ने चरितार्थ कर दिया है. डॉक्टर ने न सिर्फ तीन दिन के बच्चे को नई जिंदगी दी बल्कि एक नई बीमारी को जो लाखों में एक पाए जाते हैं उसे ठीक करके एक नई मिसाल का कायम किया है. चौंकाने वाली बात यह रही कि डॉक्टर के पास यह पहला केस आया था. पहले केस ही पूरी तरह सफल हुआ

क्या था मामला
दरअसल, 30 जनवरी को दरभंगा के ग्रामीण क्षेत्र के रहने वाले रविंद्र शाह की पत्नी सुषमा देवी की पहली संतान दरभंगा के एक निजी अस्पताल में मेजर ऑपरेशन से हुआ. परिवार में खुशी थी लेकिन संतान जो हुआ उसकी स्थिति देखकर सब लोग हैरान थे. बच्चे का छोटा और बड़ा दोनों आंत बाहर निकला हुआ था. दरभंगा के अस्पताल के डॉक्टर इस जटिल समस्या को देख कर हैरान थे. वहां से आनन-फानन में पटना के मेडीमैक्स हॉस्पिटल में रेफर कर दिया गया. रविंद्र शाह अपनी मां के साथ बच्चे को लेकर पटना पहुंचे. 

कैसे किया ऑपरेशन
मेडीमैक्स हॉस्पिटल के गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार जटिल समस्या को देख कर हैरान हुए. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. 31 जनवरी को संजीव कुमार ने कुछ अपने और सहयोगी डॉक्टरों से के साथ टीम बनाकर तीन दिन के बच्चे का निकला हुआ आंत का ऑपरेशन कर ठीक करने का निर्णय लिया. एक फरवरी को ऑपरेशन किया गया. इसमें पांच घंटे तक सर्जरी की गई. इस दौरान ऐसा भी लगा कि बच्चे को बचा पाना मुश्किल है. फिर बच्चे को भेंटीलेटर पर रख कर पहले डॉक्टर ने बच्चे के पेट में जगह बनाई. क्योंकि आंत बाहर निकला हुआ था. पेट में आंत रखने की जगह नहीं थी. डॉक्टर ने बाहर निकले आंत को पेट में जगह बना कर रखा और ऑपरेशन कर उसे ठीक कर दिया. आठ फरवरी को पूरी तरह ठीक करके बच्चे को दरभंगा रवाना करवा दिया. 

कौन सी है बीमारी
गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार ने एबीपी न्यूज को बताया की जब बच्चा आया था तो उसकी दोनों आंत बाहर देख कर हम लोग उसी वक्त ठीक करने का निर्णय ले लिए. हालांकि मेरे पूरे कैरियर में यह पहली घटना थी. इसके बारे में दिल्ली और अन्य शहरों से जानकारी मिली थी. मेरे लिए यह पहला केस था. सीनियर गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि इस बीमारी को गैस्ट्रोस्काइसीस कहा जाता है. यह बहुत ही गंभीर बीमारी है. इसमें पूरी आंत एब्डोमिनल के दायरे से बाहर रहती है. इसका स्टोमैक एवं रेक्टम शरीर के अंदर रहता है. जब बच्चा दूध पीता है तो वह स्टोमैक के रास्ते बाहर आता है और फिर छोटी एवं बड़ी आंत होते हुए अंदर जाता है.

क्या बोले डॉक्टर
डॉक्टर ने कहा कि अगर इस का ऑपरेशन जल्द नहीं किया जाता तो फिर बच्चे को बचा पाना असंभव था. यह बीमारी दुर्लभ और दस लाख बच्चों में एक को होती है. इस तरह की बीमारी का सफल ऑपरेशन पहली बार बिहार में किया गया है. डॉक्टर संजीव ने दरभंगा के डॉक्टर को भी धन्यवाद दिया. जिसने समय पर पटना रेफर कर दिया. जिससे बच्चे की जान बचाने में सहायक साबित हुआ. डॉक्टर संजीव ने बताया कि अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है. दूध पीता है और पचा भी लेता है. डॉक्टर ने कहा कि बच्चे के अभिभावक रविंद्र शाह कम पैसे वाले मध्यम वर्गीय परिवार से थे. हम लोग उसकी पूरी बीमारी 60 से 70 हजार में ठीक कर दिए. लेकिन सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि यह बीमारी बिहार में ठीक हो गई. यह काबिले तारीफ है और एक अलग मिसाल भी बन चुका है. सीनियर गैस्ट्रो सर्जन डॉक्टर संजीव कुमार का हॉस्पिटल पटना के बाकी अन्य हॉस्पिटलों की अपेक्षा काफी छोटी है. हॉस्पिटल में ज्यादा व्यवस्था नहीं है लेकिन संजीव कुमार के काम करने का अंदाज और उनकी समझ से आए दिन वे चर्चा में रहते हैं.

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