पटना में छठ व्रतियों की सुरक्षा को लेकर किए गए पुख्ता इंतजाम, जिले में 599 दंडाधिकारी और 3500 पुलिसकर्मी तैनात

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पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि छठ महापर्व के अवसर पर उत्कृष्ट भीड़ प्रबंधन, सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था और सुचारू यातायात प्रबंधन प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि छठ पर्व के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले में…

पटनाः बिहार में सूर्य देव की आराधना से जुड़ा चार दिवसीय महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। राजधानी पटना में इस महापर्व के दौरान व्रतियों और श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यापक स्तर पर इंतजाम किए गए हैं। 

NDRF की 8 और SDRF की 5 टीमें तैनात 
पटना के जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि छठ महापर्व के अवसर पर उत्कृष्ट भीड़ प्रबंधन, सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था और सुचारू यातायात प्रबंधन प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि छठ पर्व के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिले में विभिन्न स्थानों पर 599 दंडाधिकारियों और 3,500 पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है। इसके अलावा, यातायात प्रबंधन के लिए 1,200 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। सिंह के मुताबिक, किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) की आठ टीमें (जिनमें 400 जवान हैं) और एसडीआरफ (राज्य आपदा मोचन बल) की पांच टीमें (जिनमें 250 जवान हैं) तैनात की गई हैं। उन्होंने बताया कि छठ पर्व के लिए तैनात किए गए दंडाधिकारी समन्वयक की भूमिका भी निभाएंगे और विद्युत, आपदा प्रबंधन, नगर निगम, स्वास्थ्य, पूजा समिति सहित सभी भागीदारों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए छठ पूजा का सफल आयोजन सुनिश्चित करेंगे। 

16 घाटों को खतरनाक घाट घोषित किया गया
चंद्रशेखर सिंह के अनुसार, पटना में संवेदनशील स्थानों पर विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिए जाने के साथ 43 चिन्ह्ति स्थलों पर नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। नहाय-खाय की रस्म के दौरान गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान एवं सूर्य उपासना के समय एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को गश्त लगाते हुए देखा गया। जिलाधिकारी ने बताया कि पटना शहर में कुल 91 घाट हैं, जिनमें से 16 घाटों को छठ पर्व को लेकर खतरनाक घाट घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि व्रतियों से इन खतरनाक घाटों पर अर्घ्य न देकर पूजा के लिए सुरक्षित घाटों का चयन करने का आग्रह किया गया है।

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