बीसीएल कन्वेंनर ने बीसीए अध्यक्ष के काले कारनामों का खोला पिटारा।

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आज दिनांक 21 अगस्त 2022 शुक्रवार को बिहार क्रिकेट संघ के तथाकथित अध्यक्ष श्री राकेश कुमार तिवारी के द्वारा किए जा रहे अनैतिक भ्रष्टाचार और गैर कानूनी कार्यों का पर्दाफाश करने हेतु बिहार क्रिकेट एसोसिएशन गवर्निंग काउंसिल के संयोजक श्री ओम प्रकाश तिवारी बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव श्री अजय नारायण शर्मा बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व संयोजक श्री सुवीर चंद्र मिश्रा एवं धर्मवीर पटवर्धन के द्वारा प्रेस वार्ता की गई जिस के मुख्य अंश निम् वत हैं।

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए BCA के पूर्व सचिव श्री अजय नारायण शर्मा ने कहा कि बीसीए का जो निबंधन लम्बी न्यायिक लड़ाई  और कानूनी पेच के बाद हमारी कमेटी ने कराया था आज उस रजिस्ट्रेशन पर खतरा मंडरा रहा है तथा बिहार के खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। बिहार क्रिकेट संघ अभी अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है 666 रन बनाने वाला खिलाड़ी घर में बैठा है और 20और 25 रन बनाने वाले खिलाड़के माध्यम से बीसीए के पदाधिकारी प्रतिभावान खिलाड़ियों को चिड़ा रहे हैं, मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। मैं बिहार क्रिकेट संघ के सभी जिला संघों के पदाधिकारियों से कहूंगा एकत्रित होकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के माननीय सचिव श्री जय शाहजी से मिलकर श्री राकेश कुमार तिवारी से बीसीए को बचाने की आग्रह करूंगा। उनसे आग्रह करूंगा कि बीसीसीआई के एंटी करप्शन सीबीआई ईडी से बिहार क्रिकेट के क्रियाकलापों की जांच कराई जाए।      

मेरे भी राजनैतिक मत भेद रहे हैं लेकिन इस ने तो हद कर दिया और अपने राजनैतिक विरोध करने वाले श्री रविशंकर प्रसाद सिंह श्री संजय कुमार मंटू श्री विनीत भार्गव पर दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया। यह गतिविधि नीच मानसिकता को दर्शाता है।  

   गवर्निंग काउंसिल के संयोजक श्री ओम प्रकाश तिवारी ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि 11 अक्टूबर 2022 को श्री राकेश कुमार तिवारी के अवैध कार्य में सहयोग नहीं करने के कारण पूर्व से जानमाल व्यवसाय को क्षति तथा इमेज को डैमेज करने का धमकी देते आ रहे थे। एक प्रायोजित कार्यक्रम के तहत पुलिस से डराने हेतु सुनियोजित साजिश की और मीडिया बंधुओं को भ्रम में रखकर खबर छपवा कर अपने शीर्ष राजनैतिक पहुंच और दिल्ली पुलिस में अपने प्रभाव को प्रदर्शित किया राकेश कुमार तिवारी के बयान पर मीडिया में छपी खबरें झूठी मनगढ़ंत और एकतरफा थी जिसका मुख्य उद्देश्य हमारी छवि को धूमिल करना था।                  

 हमारे यहां दिल्ली पुलिस की रेड या छापामारी पड़ी ही नहीं थी राकेश कुमार तिवारी अध्यक्ष बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पर दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में यौन उत्पीड़न का एक एफ आई आर दर्ज है जिसमें पुलिस प्रायोजित क्लोजर लगाई है और पीड़िता  उसके विरूद्ध सक्षम न्यायालय गई है और जिसकी सुनवाई चल रही है अगली तारीख 11 नवंबर 2022 को पड़ी है।            

उक्त FIR  के काउंटर में श्री राकेश कुमार तिवारी द्वारा 27 2022 दिनांक 14 2022 को एक ब्लैकमेल करने का FIR. उसी थाना में किया गया जिसमें अभियुक्त के रूप में बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव श्री रविशंकर प्रसाद सिंह पूर्व सचिव श्री संजय कुमार मंटू एवं एक दिव्यांग पूर्व क्रिकेटर विनीत भार्गव तथा उत्पीड़न मामले कि पीड़िता के भाई आशुतोष बोरा को अभियुक्त बनाया गया है।  इस केस में ना तो अभियुक्त में और ना ही गवाह में मेरे नाम की चर्चा है फिर भी अपने राजनैतिक पहुंच का इस्तेमाल करते हुए एक आईपीएस पुलिस अधिकारी के पुत्र को टीम में स्थान देकर  मेरे यहां नोटिस देने आई दिल्ली पुलिस की और को अखबारों के सामने इस तरह से प्रस्तुत किया की श्री कुमार तिवारी यौन उत्पीड़न के केस से बरी हो गए हैं ताकि 18 अक्टूबर को बीसीसीआई के एजीएम में अपना चेहरा दिखा सके क्योंकि यो उत्पीड़न के मामले के बाद उन्हें प्रतिष्ठित गेम क्रिकेट से जुड़े प्रशासकों के बीच जाने में शायद ग्लानि महसूस हो रही थी।  अपने चेहरे को चमकाने के लिए इन्होंने बिहार सहित दिल्ली से जुड़े कई समाचार पत्र समूह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया से आप समूह को झांसे में डालकर अपने पक्ष में खबर चलवा लिया।  11 अक्टूबर की घटना के बाद मैं ओम प्रकाश तिवारी बिहार क्रिकेट संघ के अध्यक्ष श्री राकेश कुमार तिवारी और दिल्ली पुलिस के खिलाफ एस.एस.पी पटना के माध्यम से कदम कुआं थाना में शिकायत दर्ज करा दिया है तथा माननीय सीजीएम के अदालत में भी अपना केस दर्ज करा दिया है।            

 3 सितंबर 21 को श्री राकेश कुमार तिवारी ने बीसीएल की एक बैठक दिल्ली के लिए मेरिडियन होटल में आयोजित किया था जिसमें थार क्रिकेट लीग बिहार क्रिकेट लीग के चेयरमैन, संयोजक  ओमप्रकाश तिवारी स्वयं एलिट स्पोर्ट्स के चेयरमैन श्री निशांत दयाल और एक अन्य वेंडर शामिल हुए। उसी दिन अध्यक्ष श्री तिवारी के निर्देशानुसार मैं और बीसीएल के चेयरमैन एक दूसरे वेंडर  से मिलने गुरुग्राम मेरिडियन होटल गए, वहां भी श्री राकेश कुमार तिवारी की प्रायोजित पुलिसिंग गतिविधियां हुई लेकिन आप लोगों को यह बताया गया कि वहां बीसीएल के चेयरमैन और संयोजक ओमप्रकाश तिवारी गिरफ्तार हुए थे। मैं आपको बता दूं या घटना सरासर झूठ है हम लोग 4 सितंबर 21 को अध्यक्ष जी के साथ एक ही फ्लाइट से पटना आए थे। अगर हम गिरफ्तार हुए वहां मेरा बेल किसने कराया और फिर पुलिस के रिकॉर्ड में तो वह होनी चाहिए थी ।   बीसीए अध्यक्ष श्री राकेश कुमार तिवारी अपना एकाधिकार के लिए निर्वाचित सचिव श्री संजय कुमार मंटू, संयुक्त सचिव कुमार अरविंद को लोकपाल को प्रभावित कर हटा दिया है तो मैंने विरोध किया तब से मैं उनसे दूरी बना लिया। जब से दूरी बनाया है तब से वह बार-बार मुझे व्यवसाय को नुकसान करने की धमकी देकर मुझे प्रभावित करने का अनेकों प्रयास किया। 11 अक्टूबर 2022 को पुलिस का इस्तेमाल करके मेरे लैपटॉप में उनके अवैध कार्य के जो साक्ष्य थे उसे मिटाने का असफल प्रयास किया। मेरे पास जो भी साक्ष्य है उसे मैं सक्षम न्यायलय के  समक्ष रखूँगा और मेरे प्रतिष्ठा का जो क्षति पहुंचने का असफल प्रयास किया गया है उसके विरुद्ध मानहानि का वाद दर्ज कराने की तैयारी कर रहा हूँ।

बिहार क्रिकेट संघ जो एक रजिस्टर्ड संस्था है, बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया का एक पूर्ण सदस्य है।

इसकी एक का निश्चित नियमावली है और सौभाग्य की बात यह है इस नियमावली को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई एवं सभी राज्य संघों को एकरुपता से लागू करने की बात की गई है, और भी महत्वपूर्ण यह है कि कोई भी नियम का बदलाव बिना सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व अनुमति के नहीं हो सकता, यह बिहार क्रिकेट संघ की नियमावली 52 में उद्धृत भी है।

बिहार क्रिकेट संघ के पिछले 26 जून 2020,

 25 सितंबर 2020,

9 अक्टूबर 2021

25 मार्च 2022

28 अगस्त 2022 एवं 25 सितंबर 2022 की आम सभा एवं पिछले सात कार्यकारिणी की बैठक का कोई भी लेखा-जोखा किसी भी सदस्य को नहीं दी गई है और ना ही बिहार क्रिकेट संघ के वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है यह नियमावली के 11.5 एवं नियमावली 41 का घोर उल्लंघन है। जबकि हर एक सभा में लिए गए निर्णय को अगली सभा में पढ़कर संपुष्टि कराई जानी होती है, बिना किसी सदस्य को नियम 11.5 के अंतर्गत कोई भी कागजात दिए बगैर संपुष्टि कराई जा रही है उपरोक्त सभी सभा एवं कार्यकारिणी सभा का कोई भी निर्णय किसी भी सदस्य के पास अद्यतन उपलब्ध नहीं है। जब कोई विरोध का स्वर उठा उसके नाम से कोई निर्णय तुरंत बना ली जाती है और तुरंत उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है इसे डर और भय के वातावरण में बिहार क्रिकेट चलती जा रही है।

यहां तक की लोकपाल से लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक के आदेश को नहीं मानने वाला यह तानाशाही रवैया वाला अध्यक्ष लोकपाल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक झूठी हलफनामा देने वाला अध्यक्ष निबंधन विभाग एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय को आंख में धूल झोंक कर संविधान में संशोधन करा लेने की दोबारा कोशिश पुण; 4 अक्टूबर 2022 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देना स्पष्ट अध्यक्षता का निशानी है और जिसमें जिला संघों की सार्वभौमिकता समाप्त करने की साजिश है, और जो संशोधन अभी तक किसी भी सदस्य को प्राप्त नहीं है,

समझने की बात है निबंधन विभाग से संशोधन करा ली जाती है और जब सुप्रीम कोर्ट में पूछा जाता है जो यह अवमानना है तो वहां संशोधन का प्रस्ताव वापस ले लिया जाता है, फिर कुछ दिन बाद उसे दोबारा प्रस्तावित कर धोखे में रखकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का भी एवं निबंधन विभाग दोनों को धोखे में रखकर इस संशोधन को पास करा लेने की गहरी साजिश अपराधिक साजिश की जा रही है, सभी जिला संघ के सदस्यों से आग्रह करता हूं इस पर पुरजोर विरोध करते हुए मूल सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए संविधान को ही जो अभी वेबसाइट पर अपलोड है, कोही माने और इस सुप्रीम कोर्ट में दी गई हलफनामे के विरुद्ध अपना विरोध दर्ज करें, अन्यथा यह संस्था किसी एक व्यक्ति के संपूर्ण सर्वाधिकार में चला जाएगा

नियम 41 के तहत सभी निर्णय एवं ढाई लाख से ऊपर का कोई भी ट्रांजैक्शन वेबसाइट पर अपलोड करना है, जो अभी तक नहीं किया जा रहा है

बिहार क्रिकेट संघ का वेबसाइट को वेबसाइट डेवलपर से जबरन छीन कर अपने बेटे के नाम पर डोमेन करा लेना, सरासर कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट यानी हितों का टकराव है, और दंडनीय अपराध है।

आप सभी ने देखा होगा की चुनाव की घोषणा 28 अगस्त होने के बाद जब संस्था चुनाव पदाधिकारी के अधीन थी तो वेबसाइट में सभी जिला के पदाधिकारियों के नाम में भरपूर फेरबदल की गई और कुछ एक जिलों के नाम मिटा दिए गए, यह भी एक दंडनीय अपराध है।

माननीय जस्टिस लोढ़ा समिति की अनुशंसा में  प्रशासन, कार्यालय,  क्रिकेट और शिकायत कोषांग को चार महत्वपूर्ण विभागों में बांटा है, परंतु यह चारों विभाग एक नियम को ना मानने वाले अध्यक्ष के लिए एक है, कोई भी निर्णय जब चाहे तब ले लेते हैं किसी भी विरोधी को कभी भी एक स्वर उठाने पर बाहर कर देते हैं।

बिहार क्रिकेट संघ का बीच वाला शब्द क्रिकेट तो बिहार क्रिकेट संघ में दूर-दूर तक दिखता ही नहीं है, क्रिकेट टीम की प्रथम 10 प्राथमिकताओं में से नहीं है, उनकी प्राथमिकता है खिलाड़ियों से पैसा लेना, कितना भी प्रतिभावान खिलाड़ी हो पैसा ना दे उसे नहीं खिलाना, चयनकर्ता एवं कोच को अपने बस में रखना, शायद यह अपने आप में एक मात्र अध्यक्ष हैं जो प्लेइंग इलेवन भी बनाते हैं, यहां तक की बात अगर ना माने कुछ तो उसे माननीय लोकपाल द्वारा हटा दिया जाते हैं और अगर उसके बाद भी शतक  रन बनाने वाला खिलाड़ी इनकी बात ना माने तो उसी को भेज कर वहां अपनी दबदबा बनाते हैं, इस तरह का एक मामला कोलकाता सीबीसीआईडी में दर्ज भी है और इसकी जांच चल रही है।

हास्यास्पद है कि कुछ चयनकर्ता लगातार अपने मूल कार्य पर उपस्थित है और यहां मैदान में भी उपस्थित हैं, दरअसल वह चयनकर्ता नाम क्या है चैन तो जो दरबार में पहुंच आएगा उसे में उसकी होगी इन्हें तो सिर्फ दस्तखत बनाना है।

जिला क्रिकेट संघ के सदस्यों और पदाधिकारियों में इतना डर और भय व्याप्त करा चुके हैं की जैसे ही कोई कुछ बोलेगा उसका हाल मधुबनी अरवल और लखीसराय खगड़िया जैसा कर दिया जाएगा

फलत: जिला संघ आते हैं,  और रजिस्टर पर हस्ताक्षर बना देते हैं और उन्हें कहा जाता है कि मिनट चला जाएगा जो आज तक नहीं आया ।

लखीसराय, खगड़िया, पूर्वी चंपारण, अरवल, पटना एवं मधुबनी सदस्यों को चुनाव से वंचित रखा गया, चुनाव में वोटर लिस्ट में नाम होना अनिवार्य है अभी आप चुनाव लड़ सकते हैं परंतु या अध्यक्ष अपने आप में अनूठा उदाहरण है इसका चुनाव वोटर लिस्ट में नाम ना हो फिर भी वह अध्यक्ष शिव लिए गए हैं, यह निश्चित रूप से गैर संवैधानिक है और इस पर जल्द ही कोई निर्णय सक्षम न्यायालय से आने की उम्मीद रखता हूं।

जिला में 4 सदस्यों द्वारा यानी कार्यकारिणी के 5 सदस्यों में से 4 सदस्यों द्वारा चुनी गई टीम को नहीं खिला कर अपने मनमाने व्यक्ति द्वारा भेजे गए टीम को इसीलिए खिलाया जाता है उससे उनकी सेटिंग है।

पूरी लीग खेल कर पूरा खिलाड़ी मेहनत करते परेशान

चयन उसकी होनी है जो ना रजिस्टर्ड है, है पदाधिकारी का संतान

बोर्ड के टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी बाहर कर दिए जाते हैं और चार मैचों में 26 बनाने वाले खिलाड़ी खेल लेते हैं,

बिहार क्रिकेट संघ जो 14 करोड़ की घनी आबादी वाला राज्य है जहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन प्रतिभा सही जगह स्थान नहीं मिलने के कारण घुट रही है सिमट रही है और डिप्रेशन का शिकार हो रही है

इन सब बिंदुओं पर प्रखर विरोध का कारण है, मुझे मौखिक रूप से कहां जाता है कि मुझे निष्कासित कर दिया गया जबकि कोई भी पत्र या वेबसाइट पर या प्रकाशित नहीं हुआ है।

माननीय लोकपाल महोदय का आदेश था कि सभी जिलों का वोटर लिस्ट का सत्यापन कर उन संदर्भित जिलों में जिला के सदस्यों के बीच एक कमेटी बनाकर चुनाव सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारी एवं सेवानिवृत्त प्रशासनिक पदाधिकारी से कराना था, अमूमन एक कमेटी में वह लोग आते हैं जिन्हें चुनाव नहीं लड़ना था और सदस्यों के बीच से बनाई जानी थी, पर महोदय ने अपने मन से तदर्थ समिति चुन ली वही तो दर्द समिति बिना सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारी और सेवानिवृत्त प्रशासनिक पदाधिकारी के चुनाव कराने की घोषणा कर खुद चुन कर आ गए। और जहां नहीं चुनकर आए वहां वहां चुनाव में बैलेट को जला दिया, फिर माननीय लोकपाल के आदेश के बावजूद उसी व्यक्ति को एढक बनाए रखें।

क्रिकेट का विकास तो कोसों दूर खिलाड़ियों के मानसिक दबाव से जो एक महत्वपूर्ण कमी आ रही है वाह प्रतिभावान बच्चों में उत्साह की।

नवनिर्वाचित समिति में 3 नए सदस्य और सभी ने कटिबद्ध हो कर काम करने की कुछ संकेत अवश्य दिखाएं और नियमन कुल काम करने की प्रतिबद्धता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं और वहां भी मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी एवं तानाशाह अध्यक्ष ने उनको भी निष्क्रिय करने के लिए ताना बनना बनना शुरू कर दिया है, जिला संगरूर से विनम्र निवेदन है न्याय की इस लड़ाई में न्याय के साथ खड़े हो,  और असंवैधानिक गैर लोकतांत्रिक अनैतिक कार्य करने वाले को सब मिलकर दंडित करें।

आइए हम सब मिलकर इस भ्रष्ट और अनैतिक नियम को ना मानने वाला झूठ सच और उसने वाला और संस्था का अहितकारी व्यक्ति के विरुद्ध एकजुटता दिखाएं और इसे उखाड़ फेंके।

संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए बीसीए के प्रबंधक लॉजिस्टिक श्री धर्मवीर पटवर्धन ने कहा कि श्री राकेश कुमार तिवारी जी के हाथों में बिहार का क्रिकेट, क्रिकेट का खिलाड़ी और क्रिकेट प्रशासकों का कैरियर तलवार की नोक पर है। चरण वंदना नही करने वाले की करियर को कुचल देने की पूरी तैयारी कर रखा हैं। उनके अनुसार हर जिला संघ एक पात्र है ये माननीय अध्यक्ष महोदय तय करेंगे कि किस वर्तन का इस्तेमाल पूजा में करेंगे और किस वर्तन का स्राध में। कब किस वर्तन को धोना है और किसको बिना धोए फेक देना है।  उनके अनुसार पूर्व का क्रिकेट संचालक सही से हिसाब नही दिए इसलिए कर्मचारियों का वेतन नहीं मिला। नए एक्टिविटी इंचार्ज ईमानदारी से सारा  हिसाब इनके पास देंगे उसी से हमे वेतन मिलेगा।

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