मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

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पटना, 07 अगस्त जुलाई 2022 – मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस के अवसर पर आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूं और बुनकर भाईयों को विशेष तौर पर बधाई देता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में 7 अगस्त 1905 को स्वदेशी अभियान की शुरूआत की गयी थी ताकि देश के लोग अपने देश में बने सामानों का ही उपयोग कर सकें और स्वदेशी सामानों को बढ़ावा दिया जा सके। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने 7 अगस्त को राष्ट्रीय हस्तकरघा दिवस मनाने का निर्णय लिया। बिहार में 7 अगस्त 2018 को पहली बार हस्तकरघा दिवस का आयोजन किया गया। कोरोना के कारण पिछले कुछ वर्षों में इसका आयोजन नहीं हो सका। आज एक बार फिर से इसका आयोजन किया गया है, इसको लेकर मुझे काफी खुशी है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की सदैव मंशा रही है कि हस्तकरघा उद्योग को बढ़ावा दिया जाये ताकि बुनकरों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो। राज्य सरकार ने इसके लिए अनेक कदम उठाये हैं। बिहार के अस्पतालों में बुनकरों द्वारा तैयार की गयी सतरंगी चादर का इस्तेमाल किया जा रहा है सातों दिन अलग-अलग रंग के चादरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुझे जानकारी दी गयी है कि अब तक 7 लाख से अधिक सतरंगी चादरें बनायी गयी हैं। विभिन्न जगहों पर जाकर मुझे बुनकरों से मिलने का मौका मिला है। इसी दौरान पता चला कि ये लोग हस्तकरघा पर चादर का उत्पादन नहीं करते हैं क्योंकि उनके लूम का फ्रेम साइज छोटा है जबकि चादर बनाने के लिए बड़े और चौड़े फ्रेम की जरूरत है।

इसी को ध्यान में रखते हुए बुनकरों को 68 इंच के बड़े फ्रेमलूम को खरीदने के लिये राज्य सरकार द्वारा 90 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस राशि से बुनकर अपने पुराने हस्तकरघों को 68 इंच बड़े फ्रेमलूम में परिवर्तित कर रहे हैं। इससे वस्त्र निर्माण और अधिक होगा, उसकी मांग बढ़ेगी और बुनकरों को इसका लाभ मिलेगा। अभी तक 381 बुनकरों ने इसका लाभ लिया है। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बुनकर इसका लाभ उठायें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बुनकरों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं रही है जिसके कारण उन्हें कच्चा माल खरीदने में परेशानी होती है इसको देखते हुए बुनकरों को 10 हजार रूपये की दर से कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी जा रही है। वर्ष 2018-19 से अब तक 6,823 बुनकरों ने इसका लाभ लिया है। इस वर्ष से सभी इच्छुक बुनकरों को कार्यशील पूंजी उपलब्ध करा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में विकास यात्रा के दौरान और वर्ष 2012 में भागलपुर के नाथनगर में मैंने बुनकरों से बातचीत की, उनकी स्थिति को जाना। उस दौरान बुनकरों ने बताया कि बिजली का बिल अधिक रहने के कारण उसे हमलोग देने की स्थिति में नहीं रहते हैं। मुझे बताया गया कि 21 हजार पावरलूम बुनकरों के साथ यह समस्या है।

वर्ष 2006 से हमलोगों ने उनके द्वारा खपत की गई बिजली पर 150 रुपये की दर से विद्युत अनुदान दिया और फरवरी 2014 से इसे बढ़ाकर 3 रुपये प्रति यूनिट कर दिया है। उन्होंने कहा कि मलबरी सिल्क के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये भी राज्य सरकार द्वारा सहायता दी गई। क्रय आदि में 5,247 लोगों की सहायता दी गई तसर सिल्क उत्पादन के लिए किसानों को तसर विकास योजना का लाभ दिया गया है। जिसमें तसर वृक्षारोपण, रेशम कीट पालन उपकरण एवं कीटपालन गृह निर्माण हेतु सहयोग दिया जा रहा है। पिछले वर्ष राज्य में 452 लाख तसर कूकन का उत्पादन किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हस्तकरघा एवं टेक्स्टाइल क्षेत्र के विकास के लिए बिहार के टेक्सटाइल एवं लेदर पॉलिसी 2022 लायी गयी, इससे वस्त्र एवं चमड़ा प्रक्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। बुनकर भाई भी इसका लाभ उठायें।

उन्होंने कहा कि हमलोग चाहते हैं कि सरकारी गेस्ट हाउस एवं सरकारी कार्यालयों में बुनकरों द्वारा निर्मित हैंडलूम और खादी से बने चादर परदा, तकिया के खोल का क्रय किया जाय। डॉक्टर और मरीजों के लिये पोशाक क्रय करने का भी निर्णय लिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हस्तकरघाओं को उन्नत करने के लिए उद्योग विभाग अलग से समेकित योजना लायेगी। नये डिजाइन के कपड़े तैयार करने के लिए लूम में नई फीटिंग आदि की व्यवस्था की जायेगी। इसके लिए सभी को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। उन्होंने कहा कि विद्युतकरघा के उन्नयन के लिये नई योजना लायी जायेगी नई टेक्नोलॉजी के उपयोग से बिजली की कम खपत होगी और उत्पादन भी अधिक होगा। हस्तकरघा के लिये कच्चा माल केन्द्र की स्थापना की जायेगी ताकि बुनकरों को आसानी से कच्चा माल उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में महिलायें इस क्षेत्र में काम कर रही है, पुरुष भी काम कर रहे हैं। सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा। अधिक उत्पादन होने से दूसरे राज्यों में भी बने माल की आपूर्ति होगी। लोगों की आमदनी बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों से जितना संभव होगा आपलोगों का सहयोग करेंगे ताकि आपके साथ ही राज्य का भी विकास हो।

कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद, उप मुख्यमंत्री श्रीमती रेणु देवी, उद्योग मंत्री श्री सैयद शाहनवाज हुसैन, स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डे, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री श्री जमा खान, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, उद्योग विभाग के प्रधान सचिव श्री संदीप पौण्ड्रिक एवं विश्कोटेक्स के अध्यक्ष मोहम्मद नकीब अंसारी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने बुनकर सहयोग समितियों के द्वारा लगाये गये स्टॉल का निरीक्षण किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री का स्वागत उद्योग मंत्री श्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने पुष्प गुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंटकर किया। मुख्यमंत्री को बिश्कोटेक्स के अध्यक्ष मोहम्मद नकीब अंसारी ने अंगवस्त्र एवं पुस्तक भेंट कर स्वागत किया।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने हस्तकरघा एवं रेशम निदेशालय के वेबसाइट का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने बिहार हैंडलूम लोगो का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने बिहार हैंडलूम पुस्तिका का भी विमोचन किया।

मुख्यमंत्री ने 5 बुनकरों नालंदा की श्रीमती बेबी देवी, औरंगाबाद की श्रीमती संगीता देवी, भागलपुर के श्री महफूज आलम, मधुबनी के श्री बदरुल इस्लाम एवं गया के श्री अनिल प्रसाद को सांकेतिक रुप से चेक प्रदान किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, स्वास्थ्य सह पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री प्रत्यय अमृत वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, निदेशक हस्तकरघा एवं रेशम उद्योग श्री विवेक रंजन मैत्रेय, शिल्क विकास फोरम के संयोजक एवं हैंडलूम उत्पाद के प्रतिष्ठित निर्यातक, जनाब जियाऊल अंसारी एवं बुनकर सहयोग समिति से जुड़े बुनकर उपस्थित थे, जबकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न जिलों से अधिकारीगण एवं हस्तकरघा तथा हस्तशिल्प के क्षेत्र में कार्य करनेवाले बुनकर जुड़े हुए थे।

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