यूपी में एनडीए की रणनीति पर भारी पड़ेंगे विरोधी!

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– मुरली मनोहर श्रीवास्तव

यूपी चुनाव कई मायने में अहम है। यहां की राजनीति पर दिल्ली की सत्ता केंद्रित होती है। जबकि देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं उसमें भी सबसे अधिक दिल्ली के आस पास के राज्य इसमें शामिल हैं। अब ऐसे में यूपी चुनाव में जनता का मिजाज क्या होगा यह तो अभी बाद में पता चलेगा, लेकिन कल तक जो बसपा और सपा जैसी पार्टियों को छोड़कर भाजपा के आगमन को भांपकर इसके साथ हो लिए थे वो अचानक से भाजपा से दूरी बनाकर अपने पुराने घर क्यों लौटने लगे हैं। इस बात की चर्चा जब आम है तो पार्टी को भी इसकी भनक जरुर होगी। इन सारे तथ्यों पर पार्टी को गंभीरता से विचार करना चाहिए। मगर अब विचार करके भी क्या कर सकते हैं। क्यों कि सियासत जैसे-जैसे भंवर में पहुंचता जा रहा है इनके अपने साथ रहने वाले इनसे दूर होने लगे हैं।

केवल मंदिर और मस्जिद का राजनीति करने वाली भाजपा आगे की डगर को किस तरह से पार लगाएगी ये तो वही जानें। परंतु सपा जिस प्रकार विछुब्धों को एक साथ जोड़कर राजनीतिक पारी खेल रही है इससे आगामी परिणाम चौंकाने वाले भी हो सकते हैं। इस नजाकत को दोनों को समझना होगा। ऐसा नहीं की भाजपा से दूर होकर आने सपा को जीत दिला देंगे, इस खुशफहमी में रहने की जरुरत अखिलेश को भी नहीं है। वहीं अगर मौसम वैज्ञानिक इन नेताओं का दल बदलकर इनके साथ आने की दो वजहें हो सकती हैं एक तो अपना टिकट कटता हुआ दिख रहा होगा या फिर चुनाव पूर्व यूपी की सत्ता के मौसम को भांप गए हैं।

वैसे भी यूपी में भाजपा ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों से अभी भी कोसों दूर नजर आ रही है। अगर इस तरह से रहा तो भाजपा की लुटिया डूबती जरुर दिख रही है। इन सभी बातों को दिगर आगे की रणनीति बनाकर चलना होगा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश में 172 विधानसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप दे दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों को चुनावी मैदान में उतारने की संभावना है। आपको बता दें कि दोनों ही नेता फिलहाल विधान परिषद के सदस्य हैं।

आपको बता दें कि बीजेपी ने जिन 172 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं, उनमें से अधिकांस सीटों पर 10 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा चुनाव के शुरुआती चरणों में वोटिंग होनी है। बीजेपी उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और राज्य इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी चुनावी मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। अब आगे क्या होगा यह तो सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं।

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