राजागोपाल पी व्ही को न्याय और शांति की सेवा में उनके असाधारण कार्य के लिए निवानो शांति पुरस्कार दिये जाने की घोषणा

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अहिंसा को दुनिया में विस्तार देने एवं शांति पुरस्कार की घोषणा पर विख्यात गांधीवादी राजगोपाल का हुआ नागरिक अभिनंदन

भोपाल/पटना। राजागोपाल पी व्ही जी को न्याय और शांति की सेवा में उनके असाधारण कार्य के लिए दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था निवानो पीस फाउंडेशन, जापान ने 40वां निवानो शांति पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई है।
एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने बताया है कि शांति दूत प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के लिए चयनित श्री पीवी राजगोपाल जी का आगमन आगामी 5 अप्रैल 2023 को बिहार में होगा। इस अवसर पर कई संगठनों के द्वारा उनको सम्मानित किया जाएगा।
एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी ने श्री पी वी राजगोपाल जी को विश्व का शांति एवं अहिंसा पुरस्कार मिलने पर हार्दिक प्रसन्नता जाहिर करते हुए उनको बधाई दी है।
11 मई को जापान की राजधानी टोक्यो में श्री राज गोपाल जी को विश्व का सर्वाधिक ख्याति प्राप्त शांति पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर उन्हें एक करोड़ 23 लाख रुपये की राशि (जापानी करेंसी में 20 मिलीयन येन) दी जाएगी।
इस उपलक्ष्य में गांधी भवन, भोपाल में उनका नागरिक अभिनंदन किया गया। इसके साथ ही सर्वधर्म सद्भावना मंच एवं समस्त समाज सेवी संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में समारोह का आयोजन किया गया। वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान ने विख्यात गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. का परिचय देते हुए कहा कि राजगोपाल जी को लोग प्यार से राजू भाई कहते हैं.इन्हें याद करते हुए कबीर की याद आती है. कबीर जैसा जीवन और कबीर गायन में वे रचे-बसे हैं. वे कथकली नृत्य में पारंगत हैं, इसलिए वे अपनी भाव-भंगिमा से अपने विचारों को व्यक्त कर पाते हैं. उन्होंने चंबल में हिंसा के ताने-बाने को अहिंसा के माध्यम से खत्म किया.यह दुनिया का अतुलनीय काम है.उन्होंने गांधीवादी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया, जो देश-दुनिया में अहिंसा के माध्यम से शांति, समानता एवं न्याय के लिए काम कर रहे हैं. गांधीवादी राजगोपाल पी.व्ही. ने कहा कि अपने लोगों से मिला प्यार किसी भी पुरस्कार से बड़ा होता है.पुरस्कार का इस समय तीन महत्व है.पहला, आज सरकार द्वारा हर सामाजिक आंदोलन को दबाया जा रहा है, जबकि मानव अधिकार की बात संविधान में है.अलग-अलग तरह से संस्थाओं को परेशान किया जा रहा है, ऐसे समय में इस पुरस्कार का महत्व है. यह पुरस्कार गांधी जी के काम को स्वीकार करने का महत्व है, जब देश में उन्हें नकारने की बात हो रही है.तीसरी बात यह है कि यह पुरस्कार दुनिया में अहिंसा को महत्व देता है. आज देश में नफरत से बाहर आकर प्रेम एवं भाईचारे को बढ़ाने की जरूरत है.आज मैं चार स्तरीय तरीके से अहिंसा पर काम कर रहा हूं. मेरा पूरा जोर है कि सत्ता को कैसे अहिंसक बनाया जाए?

वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी हिंसा का शिकार देश जापान है, वह अहिंसा के महत्व को समझता है.ऐसे देश से राजगोपाल को सम्मान मिलना देश के लिए गौरव की बात है. गांधीवादी विचारक सुश्री अनुराधा शंकर ने कहा कि मंच का काम मील का पत्थर है. राजा जी का काम सभी को जोड़ता है.राजा जी आज के जमाने के कबीर हैं.वे जिनसे मिलते हैं, उनको जोड़ते हैं. भारत माता में हम सभी लोग है.उन्होंने देश को जागृत किया है. समाज के अंतिम तबके के अधिकारों के लिए काम किया है. जापान का यह सम्मान एशिया का नोबेल पुरस्कार है. सद्भावना मंच के संयोजक महेन्द्र शर्मा ने कहा कि राजगोपाल जी ने गांधीवादी एवं सर्वोदयी विचारों को दुनिया में विस्तार दिया है. भंते सागर थेरा जी ने कहा किं सभी धर्मों के व्यक्ति यहां मंच पर है, अपने-अपने सिद्धांत एवं मतों के अनुसार चलते हुए इंसानियत की बात कर रहे हैं.भोपाल इस तरह का आयोजन करने वाला इकलौता शहर है.फादर आनंद मुटुंगल ने कहा कि देश को शांतिमय एवं भाईचारा वाला देश बनाने की जरूरत है. राजगोपाल जी को जिस अहिंसक मूल्यों के लिए जापान से जो सम्मान मिला, उसे जीवन में अपनाने की जरूरत है. प्रो. मनोज जैन ने कहा कि राजगोपाल जी को सम्मान मिलने से देश गौरवान्वित हुआ है.सर्वधर्म सद्भावना मंच के हाजी हारुन ने कहा कि इस वक्त देश में कुछ लोग आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम पानी डालने का काम कर रहे हैं.गदर करने वाले चंद लोग होते हैं. हम प्यार मोहब्बत की बात करते हैं.देश सदियों से धर्मनिरपेक्ष रहा है. इस मौके पर प्रदेश भर से आए नागरिक एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार, लेखक शैलेन्द्र शैली, जमीयत उलेमा के प्रदेश प्रमुख, संत पुजारी संघ के अध्यक्ष दीक्षित जी, पूर्व विधायक महेश मिश्रा सहित कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर सैकड़ों नागरिक उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन सतीश पुरोहित ने किया.

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