बिहार में लागू शराबबंदी कानून में संशोधन की बात पक्की है. इस बाबत विभागीय स्तर से तैयारी की जा रही है. हालांकि, कई समाचार पत्रों में ऐसी खबरें चलाई जा रही हैं कि चीफ जस्टिस की फटकार के बाद सरकार ने ये कदम उठाने का फैसला लिया है. लेकिन असलियत में ऐसी कोई बात नहीं है. इस संबंध में जानकारी देते हुए एक्साइज कमिश्नर बी. कार्तिकेय धंजी ने कहा, ” समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जा रहा है कि मद्य निषेध अधिनियम 2016 में संशोधन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को कानून को लेकर फटकार लगाई है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है.”
कोर्ट के पास नहीं रहेगा अधिकार
उन्होंने कहा,” जो संशोधन है, वो लंबे समय से विचाराधीन थे. इसमें जो पेनाल्टी लेकर छोड़ने का प्रावधान है, उसका अमेंडमेंट 2018 में ही हो गया था. अधिनियम में 2018 में ही पेनल्टी लेकर छोड़ने का प्रावधान हो गया था. लेकिन अब जो बदलाव ला रहे हैं, वो ये है कि जो अधिकार संशोधन के बाद न्यायालय के पास जाना था, 50 हज़ार की पेनल्टी लेकर छोड़ने का वो अब हम प्रस्तावित कर रहे हैं कि कार्यपालक दंडाधिकारी के पास ये अधिकार हो. उनके पास से ही उन्हें (शराबियों) पेनल्टी लेकर छोड़ने की कार्रवाई हो. ये प्रस्ताव में ही है. इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. अलग-अलग फोरम पर फीडबैक लिया जा रहा है.”
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