शिक्षा विभाग बदहाली का शिकार,अराजकता के कारण छात्र, शिक्षक औऱ अभिभावक परेशान,
गैर सरकारी मान्यता प्राप्त 576 संस्कृत विद्यालयों का हो सरकारीकरण,
माननीय न्यायालय के आदेश के बावजूद संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मियों के वार्षिक वेतन वृद्धि और बढे हुये मँहगाई भत्ता पर रोक,
मदरसों को अनुदान और सहायता देने में सरकार उदार, न्यायालय को करना पड़ा हस्तक्षेप,
शिक्षा विभाग शीघ्र करे न्यायालय के आदेश का पालन,
पटना, 1 नवंबर 2023
भाजपा विधानमंडल दल के नेता श्री विजय कुमार सिन्हा ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार औऱ शिक्षा विभाग की नीयत में खोट के कारण उनकी नीतियां असफल हो रही है।शिक्षा विभाग वदहाल हो गया है और अराजकता के कारण छात्र, शिक्षक और अभिभावक परेशान हैं।
श्री सिन्हा ने गैर सरकारी मान्यता प्राप्त 576 संस्कृत विद्यालयों के सरकारीकरण की मांग करते हुये कहा कि वार्षिक वेतन वृद्धि और बढ़ी हुई मंहगाई भत्ता पर रोक हटाया जाय। उन्होंने कहा है कि माननीय हाईकोर्ट द्वारा आदेश पारित किये जाने के बावजूद सरकार टाल मटोल कर रही है।
श्री सिन्हा ने कहा कि 2013 ई॰ से पूर्व नियुक्त संस्कृत शिक्षकों और कर्मियों के वेतन और मंहगाई भत्ता के संबंध में राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा नीति मूलक निर्णय के बावजूद इसे रोक दिया गया है। 2011 एवं 2019 में माननीय न्यायालय के आदेश के बावजूद इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। अवमाननावाद में सरकार समय पर समय लिये जा रही है।
श्री सिन्हा ने कहा कि गैर सरकारी संस्कृत विद्यालयों को सहायता अनुदान एवं अन्य सुविधा देने में सरकार का हाथ पैर फुल रहा है। पर मदरसा, मस्जिदों और उनके पुस्तकालयों में करोड़ों का अनुदान देने में सरकार उदार है। यहाँ तक कि माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा लगभग 2500 मदरसों की जाँच का आदेश देने और फर्जी मदरसों की पहचान के बावजूद उसमें सकारात्मक कार्रवाई की जा रही है।
श्री सिन्हा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा बोर्ड को महागठबंधन सरकार ने बदहाल कर दिया है। इनके अध्यक्ष राजद सुप्रीमों की देखभाल में व्यस्त रहते है। नीतीश तेजस्वी सरकार को संस्कृत शिक्षा और शिक्षकों के प्रति अरूचि पैदा हो गई है।
श्री सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि मान्यता प्राप्त 576 संस्कृत विद्यालयों का सरकारीकरण किया जाय। साथ ही इनका वेतन वृद्धि और मंहगाई भत्ता पर से रोक हटाया जाय।सरकार को अब तुष्टिकरण की राजनीति को छोड़कर संतुस्टिकरण की राजनीति में विश्वास करना चाहिए।
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