सुधाकर सिंह ने ट्वीट कर लिखा, “हर साल की भांति इस साल भी बिहार के छात्र-छात्राओं का संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में विपरीत परिस्थितियों में अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
पूर्व मंत्री व राजद विधायक सुधाकर सिंह नीतीश सरकार पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। सुधाकर ने एक साथ आठ ट्वीट कर बिहार सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि बिहार सिर्फ श्रमवीर (मजदूर) पैदा कर रहा। सरकार बताए कि UPSC की परीक्षा में सफल हुए बिहारी छात्रों के सफल होने में बिहार की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था का कितना योगदान हैं?
“उच्च शिक्षा के लिए पलायन कर जाते हैं बिहार के छात्र”
सुधाकर सिंह ने ट्वीट कर लिखा, “हर साल की भांति इस साल भी बिहार के छात्र-छात्राओं का संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में विपरीत परिस्थितियों में अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा। इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। परन्तु, क्या संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में बिहार के छात्र-छात्राओं की सफलता, बिहार की शिक्षा व्यवस्था को मापने का पैमाना हो सकता है? जवाब है नहीं। बिहार एक मात्र ऐसा राज्य है जहां तीन साल का स्नातक चार से पांच साल में और दो साल का स्नातकोत्तर तीन से चार साल में पूरा किया जाता है, विलंबित सत्र की वजह से हर साल न्यूनतम 15 लाख छात्र प्रभावित होते हैं और यह समस्या दशकों से है। परिणामस्वरूप, बिहार के छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा के लिए अन्य राज्यों में पलायन कर जाते है।
“मजदूर पैदा कर रहा है बिहार”
राजद विधायक ने आगे लिखा, “बिहार राज्य की करीब 32 फीसदी आबादी 16-17 के आयु वर्ग की है और इसका सिर्फ 44.07 फीसदी हिस्सा ही माध्यमिक से उच्च माध्यमिक शिक्षा की तरफ जाता है, जबकि प्राथमिक से माध्यमिक में स्थानांतरित होने वाले बच्चों का प्रतिशत 84.64 है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की बहुत बड़ी आबादी बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के श्रम बल में तब्दील हो रही है। अगर इसको संक्षेप में बोला जाए तो बिहार श्रमवीर (मजदूर)पैदा कर रहा है। बिहार में शिक्षा के बदहाली के बावजूद बिहार के छात्र दूसरे राज्यों से तैयारी कर इतना सफलतम परिणाम लाते हैं तो जरा सोचिए की युवाओं को बिहार में अच्छी शिक्षा व्यवस्था मिले तो राज्य का कितना विकास होगा।
“राज्य के विकास पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव”
सुधाकर सिंह ने लिखा, “इसके अलावा एक दूसरा पहलू भी है। राज्य के महत्वपूर्ण संसाधन छात्रों के रहन-सहन और शिक्षण शुल्क मद में प्रति वर्ष करीब 80 हजार करोड़ रुपए का राज्य के बाहर पूंजी पलायन भी हो रहा है. साथ ही राज्य से एक बार बाहर निकल जाने पर प्रतिभाशाली छात्र वापस बिहार नहीं के बराबर लौटते है, जिसका खामियाजा राज्य के विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। क्योंकि राज्य को चलाने के लिए विभिन्न तरीके के कार्यों के लिए स्किल्ड एवं कमिटेड लोगों की जरूरत होती है। लेकिन उस तरह के प्रशिक्षित मानव संसाधन की उपलब्धता नहीं होने से स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी है जिसका खामियाजा यह है कि जितना प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता है उतना लोग उपलब्ध नहीं है।
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