शिकवा शिकायत बहुत सुनी,
बहुत रतजगी हुई अँधेरी रातों में,
स्याह गमों में लिपटी बाते बहुत सुनी,
आज पूछता है दिल बस एक सवाल, जो वाजिब है बेबजह नहीं।
क्या खुशियों के चिराग जले नहीं है; क्या अंधियारा छंटा नहीं है?
क्या हमारे सपने परवान चढ़े नहीं है; क्या उजियारा हुआ नहीं है?
फिर क्यूँ हम हर पल क्रंदन करे?
आइये ना दोस्तों !
आज गर्व से हम भारत माँ का वंदन करें!!
ये सच है, हमने शहीदों की थाती को ठीक से सम्हाला नहीं है,
ये सच है, हमने उनके सपनो को हुबहू अपने जज्बों में पाला नहीं है,
ये भी सच है, हमने देश के सीने पर खंजर हजार चुभोये हैं,
जाति और धर्म के नाम पर, अपने हाथ अपने अपनों के खून से भिंगोये हैं,
पर आज मांगता है हमारा दिल बस एक जबाब, जो वाजिब है बेसबब नहीं।
कि बावजूद इसके !
क्या हमारे लोगो ने दुनिया को अपनी सहिष्णुता और “सर्व धर्म सदभाव” की शिक्षा दी नहीं है?
इस देश की मिट्टी में जन्मे लोगों ने, भू के कोने-कोने में अपने वैदिक ज्ञान की दीक्षा दी नहीं है?
फिर क्यूँ हम हर रोज अपनी बुराइयों का रुदन करे?
आइये ना दोस्तों!
हम गर्व से अपने देश के सपूतो का अभिनन्दन करे!
दोस्तों, सच ये भी है
कि इस देश में भ्रष्टाचार और उसकी चर्चा, हर गली – नुक्कड़ पर सुबह और शाम होती है,
गरीबो के धन पर कुंडली मारने और गला काट प्रतियोगितायें भी सरे आम होती है,
फिर भी दिल में एक सुकून है कि ऐसा बहुत कुछ है हममें, जिसकी वजह से बेमिसाल हैं हम!
देश की ऊँची नाक हैं, भारत की अनूठी शान है हम!
फिर क्यूँ ना हम भारतवासी, अपनी हर बुरी इच्छाओं का शमन करें?
आइये ना दोस्तों!
इस गौरव गान से, हम आप एकता के मीठे सुरों का संगम करें।
हाथ जोड़ कर, शीश नवा कर, प्रेम पुष्प से अपने देश का सपना परिपूरण करें।
© ब्यूरो चीफ कनक लता चौधरी
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नमस्ते दोस्तों। 74वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। 🙏🏻🙏🏻
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