कर्तव्यों संग नारी भर रही है उड़ान, ना कोई शिकायत ना कोई थकान नारी में शक्ति अपार है. नारी इस सृष्टि का आधार है, नारी का हमेशा सम्मान करो क्योंकि नारी ही नर के जीवन का सार है।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के प्रेम, त्याग, आत्मविश्वास और समाज के प्रति उनके योगदान को याद कराता है । संस्कृत मैं एक श्लोक है – ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवताः’, जिसका मतलब है ‘जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं।
इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार डाक परिमंडल द्वारा पटना जी.पी.ओ.परिसर में सम्मान सह पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन कर विभिन्न क्षेत्रों जैसे:-प्रशासन, कला, शिक्षा,स्वास्थ्य, समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण, घरेलू हिंसा निवारण आदि में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर श्रीमती शाहीना परवीन महिला सशक्तिकरण में,श्रीमती अर्चना पांडे पहली महिला कैब ड्राईवर, श्रीमती संध्या सिन्हा महिला रोजगार को बढ़ावा देने में, श्रीमती सविता अली रेप और दलित महिलाओं को न्याय दिलाने का काम, श्रीमती अमृता झा महिला उद्धमी एवं श्रीमती दिप्ती लेखा राय महिला कृषक अतिथि के रूप में मौजूद रही। बिहार डाक परिमंडल द्वारा विभिन्न पदों पर आसीन रहते हुए सराहनीय प्रदर्शन देने के लिए 43 महिला कर्मचारियों/ अधिकारिओं को सम्मानित भी किया गया।
इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी श्रीमती भारती चौधरी, आई.एन.ऐ भारतीय महिला सदस्य एक विडियो संदेश के माध्यम से इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी । यह गर्व की बात है कि वो हमारे डाक विभाग से जुड़ी हुई हैं ।
इस पुरस्कार वितरण समारोह में “डाकघरों में महिला कर्मचारी” एवं “रानी झाँसी रेजिमेंट” पर विशेष आवरण का विमोचन किया गया ।
ज्ञात हो कि सुभाष चन्द्र बोस द्वारा सन 1942 में भारत को आज़ाद कराने में महिलाओं को योगदान देने के लिए इस रेजिमेंट की स्थापना की गई। पिछले दिनों 24 फरवरी से 27 फरवरी 2022 के बीच राज्य स्तरीय ऑनलाइन डाक टिकट प्रदर्शनी में डाक विभाग द्वारा बालिका शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर दो विशेष आवरण का विमोचन किया गया ।
इस अवसर पर बिहार के बगहा प्रखंड के बकुली गाँव में प्रचलित लोक परंपरा तथा भागलपुर के धरहरा गाँव में प्रचलित लोक परंपरा को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया गया । बकुली गाँव में यह परंपरा बेटी के विवाह के पूर्व तालाब खुदवाया जाता है तथा विवाह के बाद बेटी को दान दे दिया जाता है ताकि बेटी का आर्थिक भविष्य सुरक्षित रहे ।
इसी प्रकार भागलपुर के धरहरा गाँव में यह परम्परा है कि बेटी के जन्म के अवसर पर पेड़ लगाये जाते हैं।
वर्तमान में बिहार में पांच महिला डाकघर कार्यरत है जिसमें सारी सेवाएँ महिलाओं द्वारा दी जा रही है | साथ-हीं पटना आर.एम.एस. के एक सेट का संचालन भी महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है | पटना जी.पी.ओ. परिसर के इस कार्यक्रम का संचालन महिलाओं द्वारा किया गया है।
भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही बेटी-बचाओ, बेटी पढाओं योजना के तहत सुकन्या समृद्धि खाता को हर एक बच्ची तक पहुँचाने का बिहार डाक परिमंडल ने संकल्प लिया है । इस योजना के तहत बच्ची के जन्म से लेकर 10 वर्ष तक की आयु का खाता खोला जा सकता है। इसमें मात्र रु 250/- से खाता खोलकर अधिकतम रु 1,50,000/- जमा कर सकते है | बिहार डाक परिमंडल द्वारा 2020 2021 में लगभग 414190 सुकन्या खाते खोले जा चुके है । इस समारोह में मौजूद अतिथियों ने डाक विभाग के इस कार्यक्रम एवं उनके महिलाओं के प्रति सराहनीय योगदान को सराहा ।
इस समारोह के आयोजन का उद्देश्य है कि बिहार में शिक्षा, कला, स्वास्थ्य,पर्यावरण संरक्षण, महिला उधमिता, घरेलू हिंसा निवारण, बाल-विवाह निरोध,प्रशासन आदि विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाए ताकि नारी मशक्तिकरण को बढ़ावा मिले तथा उन्हें आत्म-सम्मान के साथ हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी के परचम लहराएँ।
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