पटना. नीतीश सरकार में योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र यादव ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर बड़ा बयान दिया है. सोमवार को उन्होंने कहा कि अब बिहार सरकार केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की मांग नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि हम लोग लगातार कई वर्षों से केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते-करते थक चुके हैं. इसलिए अब हमारी सरकर विशेष राज्य के दर्जे को लेकर कोई मांग नहीं करेगी. अब हम लोग केंद्र से बिहार के लिए हर क्षेत्र में सहायता करने की मांग करेंगे.
बिजेन्द्र यादव ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए कमिटी का गठन हुआ और रिपोर्ट भी जारी की गयी. उसके बाद भी कुछ नतीजा नहीं निकला, किसी भी मांग की कोई सीमा होती है.
माना जा रहा है कि मंत्री बिजेन्द्र यादव के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में बवाल मचना तय है. क्योंकि पिछले कई वर्षों से राज्य की विभिन्न राजनीतिक पार्टियां लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती रही हैं. ऐसे में अब सरकार के मंत्री ने इसको लेकर जो बयान दिया है उससे राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज होने वाली है.
बता दें कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग एक दशक से भी ज्यादा पुरानी है। समय और परिस्थिति के मुताबिक ये मुद्दा बिहार की राजनीति में सुर्खियां बटोरता रहा है। इस दौरान कई मौके ऐसे आए हैं, जब केंद्र सरकार की ओर से विशेष राज्य के दर्जे के सवाल को खारिज कर दिया गया है। अब आइये आपको बतातें कि आखिर क्यों बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। क्यों नहीं मिला विशेष राज्य का दर्जा?
14वें वित्त आयोग की सिफारिश की वजह से अब नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों को 14वें वित्त आयोग की सिफारिश की वजह से अब नॉर्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों को छोड़कर किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी पहले से हो रही थी। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और गोवा की सरकारें भी विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने लगीं।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के कारण एनडीए के महत्वपूर्ण सहयोगी चंद्रबाबू नायडू नाराज होकर अलग तक हो गए थे। अभी जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है उसमें असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। इनमें से कई राज्यों की स्थिति विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद बेहतर हुई है। उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ।
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