नीतीश कुमार जब से एनडीए से अलग हुए हैं, तब से बीजेपी एक रणनीति के तहत बिहार में सियासत कर रही है। शायद यही कारण है कि अमित शाह बार-बार बिहार आ रहे हैं। बीजेपी बिहार में ‘ऑपरेशन नीतीश’ पर काम कर रही है। सीएम नीतीश की छवि को बेनकाब कर सबक सिखाना चाहती है।
पटना: एक जमाने में जॉर्ज फनार्डीस और नीतीश कुमार जैसे नेताओं के साथ मिलकर लालू यादव की सरकार पर जंगलराज का आरोप लगाकर आंदोलन छेड़ने वाली भाजपा ने अब राज्य में अपने पुराने सहयोगी रहे नीतीश कुमार को लेकर अपनी रणनीति पूरी तरह से बदल दी है। जंगलराज को लेकर लालू यादव पर हमलावर रहने वाली भाजपा अब लगातार तीखे शब्दों में बिहार विधान सभा से लेकर बिहार की जनसभाओं तक अपने पुराने सहयोगी नीतीश कुमार पर हमला बोल रही है। भाजपा की नई रणनीति को लेकर यह कहा जा रहा है कि पार्टी ने अब पूरे प्रदेश में नीतीश कुमार की छवि को बेनकाब कर उन्हे सबक सिखाने की योजना बनाई है ताकि उनके समर्थक मतदाताओं में सेंघ लगाकर अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में लाभ उठाया जा सके।
नीतीश को कुशासन बाबू साबित करना चाहती है बीजेपी
रणनीति के तहत नीतीश कुमार को सुशासन बाबू का खिताब देने वाली भाजपा अब उन्हें कुशासन बाबू साबित करते हुए यह आरोप लगा रही है कि सिर्फ मुख्यमंत्री बने रहने के लिए उन्होंने जंगलराज के प्रतीक लालू यादव से हाथ मिलाकर बिहार को धोखा दिया है। यही वजह है कि भाजपा के आला नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं तक सभी लगातार और बार-बार एक तरफ जहां नीतीश कुमार की छवि पर चोट कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ बिहार के मतदाताओं को राजनीतिक संदेश देते हुए लगातार यह कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा की इस नई रणनीति की कमान पार्टी के सबसे कुशल रणनीतिकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं संभालते नजर आ रहे हैं।
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