आज यानी कि 15 अगस्त पूरा देश 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। अंग्रेजों से मिली आजादी को हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाजा जाता है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से जनता को संबोधित किया, साथ ही तिरंग फहराया।
ndependence day 2023 : आज यानी कि 15 अगस्त पूरा देश 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। अंग्रेजों से मिली आजादी को हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाजा जाता है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से जनता को संबोधित किया, साथ ही तिरंग फहराया। पूरे देश में देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और फ्लैग होस्टिंग भी की जाती है। आमतौर पर यही माना जाता है कि 15 अगस्त के दिन गुलामों से आजादी मिली थी तो इसीलिए यह स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन हम आपको बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से भारत 30 जून 1947 को ही आजाद हो गया था। तो ऐसे में फिर स्वतंत्रता दिवस के लिए 15 अगस्त का दिन क्यों चुना गया? तो आइए जानें-
30 जून को ही मिल गई थी ‘अंग्रेजों’ से आजादी
वैसे तो भारत को ब्रिटिश हुकूमत से 30 जून 1947 को ही आजादी मिल गई थी। यानि कि 30 जून को अंग्रेजों ने भारत को सत्ता सौंप दी थी, लेकिन उसी समय नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच भारत व पाकिस्तान के बंटवारे की बहस शुरू हो गई। जिन्ना इस दौरान मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग कर दी। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे होने लग पड़े, जिसके बाद भारत को 15 अगस्त 1947 को ही आजादी करने का फैसला लिया गया। भारत की आजादी को लेकर 4 जुलाई 1947 को माउण्टबेटन द्वारा ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल पेश किया गया था। इस बिल को ब्रिटिश संसद द्वारा तुरंत मंजूरी दे दी गई और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी देने की घोषणा कर दी गई।
15 अगस्त को इसलिए चुना गया आजादी का दिन
माना जाता है कि 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटिश की सेना में लार्ड माउण्टबेटन अलाइड फोर्सेज़ में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। यही कारण था कि आखिरी वायसराय लार्ड माउण्टबेटन ने इस दिन को भारत की आजादी का दिन चुना।
आजादी के साथ मिला बंटवारे का दर्द
अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद भारत में मनुष्य जाति के इतिहास का सबसे बड़ा विस्थापन हुआ। दोनों (भारत-पाकिस्तान) तरफ की 1 करोड़ 45 लाख जनसंख्या विस्थापित हुई। 72 लाख 26 हजार मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गए। 72 लाख 49 हजार हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। माना जाता है कि तब अलग-अलग अनुमानों में 8 से 10 लाख लोगों की मौत हुई थी।
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