आज का ज्वलंत प्रश्न :?

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आप कहाँ के हिन्दू हैं?

 आपने,

1. चोटियां छोड़ीं

2. पगड़ी छोड़ी,

3. तिलक, चंदन छोड़ा

4. कुर्ता छोड़ा, धोती छोड़ी,

5. यज्ञोपवीत छोड़ा,

6. संध्या वंदन छोड़ा

7. रामायण पाठ, गीता पाठ छोड़ा

8. महिलाओं, लड़कियों ने साड़ी छोड़ी, बिछिया छोड़े, चूड़ी छोड़ी , दुपट्टा, चुनरी छोड़ी, मांग बिन्दी छोड़ी।

9. पैसे के लिये, बच्चे छोड़े (अब आया पालती है)

10. संस्कृत छोड़ी, हिन्दी (भाषा) छोड़ी,

11. श्लोक छोड़े, लोरी छोड़ी

12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोड़े

13. सुबह शाम मिलने पर राम राम, राधे कृष्ण छोड़ी

14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पैर छूना छोड़े

15. घर परिवार छोड़े (अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)

अब कोई रीति या परंपरा बची है आपकी?

ऊपर से नीचे तक गौर करिये, आप कहां पर हिन्दू हैं? भारतीय हैं, सनातनी हैं, ब्राह्मण हैं, क्षत्रिय हैं, वैश्य हैं या शुद्र हैं।

कहीं पर भी उंगली रखकर बता दीजिए कि हमारी परंपरा को मैंने ऐसे जीवित रखा है।

जिस तरह से हम धीरे-धीरे बदल रहे हैं, जल्द ही समाप्त भी हो जाएंगे।

बौद्धों ने कभी सर मुंड़ाना नहीं छोड़ा।

सिक्खों ने भी सदैव पगड़ी का पालन किया!

मुसलमानों ने न दाढ़ी छोड़ी और न ही 5 बार नमाज पढ़ना।

ईसाई भी संडे को चर्च जरूर जाता है।

फिर हिन्दू अपनी पहचान-संस्कारों से क्यों दूर हुआ?

कहाँ लुप्त हो गयी – गुरुकुल की शिक्षा, यज्ञ, शस्त्र-शास्त्र, नित्य मंदिर जाने का संस्कार? क्या कोई भी सरकार इसे रोक सकती थीं?

नहीं, हम स्वयं रुके।

हम अपने संस्कारों से विमुख हुए, इसी कारण हम विलुप्त हो रहे हैं।

अपनी पहचान बनाओ!

अपने मूल-संस्कारों को अपनाओ!!!

यह संदेश मेरे पास आया और मैंने उसे आपको भेजा है।

आप  अपने धर्म व संस्कृति को बचाने में सहयोग करें।

आप सभी गंभीरता से विचार करें। अपनी एकता के साथ आप अपना भाईचारा बनाए रखें।

 जय श्री राम

नीरज नैन

(बाघपत उत्तर प्रदेश)

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