जदयू के राज्यसभा सदस्य महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया है। वे लंबे अरसे से बीमार चल रहे थे। बताया जा रहा है कि रविवार की आधी रात तकरीनबन 12.30 बजे उन्होंने आखिरी सांस लीं। उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक थी। उन्हें देश के सबसे धनी सांसदों में शुमार किया जाता था। बेहद गरीबी में बचपन गुजारने वाले किंग महेंद्र मशहूर दवा कंपनी एरिस्टो (Aristo) के मालिक भी थे। अभी उनका राज्यसभा में दो साल का कार्यकाल बचा हुआ था।
किंग महेंद्र का जन्म 1940 में बिहार के जहानाबाद जिले के गोविंदपुर गांव में हुआ था। चार दशक से भी ज्यादा समय से वह राजनीति में थे। पहली बार 1980 मे कांग्रेस के टिकट पर जहानाबाद से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। आज उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में दोपहर 12 बजे किया जाएगा।
जहानाबाद जिले के लोगों को किंग महेंद्र पर हमेशा गर्व रहा। एक छोटे से गांव से अपना सफर करते हुए वे बेहद ऊंचे मुकाम तक पहुंचे। कहा जाता है कि अरिस्टो कंपनी में खासकर जहानाबाद के लगभग 2000 से ज्यादा लोगों को इन्होंने नौकरी दी थी।
किंग महेंद्र देश के बड़े व्यावसायियों में शुमार थे। दवा व्यवसाय में उनकी तूती बोलती थी। उन्होंने 1980 में राजनीति की तरफ कदम रखा था। वे कांग्रेस के टिकट पर जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। हालांकि, प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस की लहर में भी वे 1984 का चुनाव हार गए। संजय गांधी और राजीव गांधी के करीबी रहे किंग महेंद्र के राजनीतिक रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984 का लोकसभा चुनाव वह हार गए तो राजीव गांधी ने अगले ही साल उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया। तब से उन्होंने पार्टी भले बदली, लेकिन राज्यसभा सदस्य लगातार बने रहे।
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