हरिहरानंद गुरुकुलम बालीघाई , पुरी उड़ीसा आश्रम से आए स्वामी समर्पणानंद बाबा ने सभी श्रद्धालुओं तथा क्रिया योग के अभ्यासियों को अपनी देखरेख में ध्यान का अभ्यास कराया।
समर्पणानंद बाबा ने कहा कि विश्व में जितने भी तरह के योग हैं, उन सब की जननी क्रियायोग ही है। 20,000 तरह के योग खासकर पतंजलि योग सूत्र में क्रिया योग का विशद विवरण मिलता है।
यह जीवन को संतुलित करने का एक माध्यम है । यह तन,मन, ज्ञान आत्मा को संतुलित करता है । मान अभिमान को संतुलित करने की व्यवस्था है ।
उन्होंने कहा कि सांसों पर आधारित पूरी व्यवस्था को ही क्रिया योग कहते हैं। इससे साधक शरीर, मन ,आत्मा का अनुभव प्राप्त करता है।
उसे योगा अभ्यास करते हुए आत्मा की अनुभूति प्राप्त होती है ।उपलब्धि प्राप्त होती है। साधना के दौरान है उसे पता चलता है कि आत्मा ही परमात्मा है । आत्मा ही ईश्वर है । आत्मा परमात्मा में कोई फर्क नहीं है। सभी उपलब्धियां क्रिया योग में सहज ही प्राप्त होती हैं ।
क्रिया योग गृहस्थ के लिए भी आसान है । परिवार में रहते हुए आप सहजता के साथ क्रिया योग को कर सकते हैं
इससे सभी कामकाज में कुशलता आती है । जितने भी बड़े-बड़े नेता अफसर हैं अगर वह क्रिया योग करें तो कहीं भी युद्ध नहीं होगा। यूक्रेन रूस के बीच युद्ध भी बंद हो जाएगा।
क्रिया योग से मानसिक आध्यात्मिक, बौद्धिक सभी स्तरों का विकास होता है। उन्होंने कहा कि असली जीवन साथी मनुष्य का सांस है । श्वास क्रिया है, पत्नी नहीं है । सांस की असली जीवन साथी होती है। उसी को साथ लेकर योग करने से शरीर भी संतुलित रहता है।
मौके पर परमहंस प्रज्ञानंद, परमहंस योगानंद ,परमहंस सत्यानंद गिरी ,हरिहरणानंद जी का आदर पूर्वक स्मरण रण किया गया एवं उनके कार्यों एवं उपलब्धियों की चर्चा की गई।
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