पटना | गठिया,जिसे ऑर्थराइटिस भी कहा जाता है, यह हमारी रोगों से लड़ने की शक्ति में समस्या होने और सूजन होने का रोग है। जिसका अर्थ है कि आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति गलती से स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करने लगती हैं जिससे शरीर के प्रभावित अंगों में पीड़ादायक सूजन होने लगती है। गठिया का असर आम तौर पर कलाई, हाथों और घुटनों के जोड़ों पर होता है। गठिया में जोड़ों में सूजन जाती है और जोड़ों के उत्तकों में खराबी जाती है। उत्तकों में आई इस खराबी से लम्बे समय तक और तेज दर्द, अस्थिरता (संतुलन का अभाव) और जोड़ों की कुरुपता जाती है। यह जानकारी अर्थोपेडिक सर्जन डॉ. निहारिका सिन्हा ने दी।
डॉ. निहारिका सिन्हा ने बतायी कि गठिया के मरीजों के अकसर कम-से-कम दो जोड़ों में सूजन होती है। जो प्राय: हाथ के छोटे जोड़ों, पांवों तथा कलाइयों में सूजन रहती है। गठिया के कारण होने वाली जोड़ों की अकड़न बाकी तरह की अकड़न से इसलिए अलग होती है। कुछ लोगों में यह दर्द बहुत हल्का रहता है और रोग नियंत्रण में रहता है किंतु बहुत सारे लोगों को इसके कारण बहुत तीव्र दर्द होता है। बहुत सूजन, अकड़न, बहुत ज्यादा थकावट, जोड़ों को मोड़ने में मुश्किल और हिलना-जुलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजों में रोग के लक्षणों का जल्दी पता लगने से इसका पहले पड़ाव पर ही इलाज किया जाना चाहिए जिस से इस रोग के लम्बे समय के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
रोग से संबंधित निदान सुविधाओं की कमी के कारण इसका पता चिकित्सक द्वारा शारीरिक जांच, वर्गीकरण मापदंड,खून की जांच और मरीज द्वारा खुद बताई गयीं बातों के आधार पर किया जाता है, क्योंकि गठिया की जांच के लिए अभी तक कोई टेस्ट विकसित नहीं हुआ है। गठिया का इलाज दवाओं और खुद का ध्यान रखने से संभव है। इलाज में दवाई दी जाती है जिससे रोग के बढ़ने की गति कम हो जाती है और जोड़ खराब नहीं होते।
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