राज्य के सभी 94 लाख गरीब परिबारों को 10 हजार रुपया प्रतिमाह ग़रीबी भत्ता दे सरकार,
राज्य में गिरती कानून व्यवस्था और अपराध के कारण 33 वर्षो में नहीं हुआ औद्योगिक विकास,
बिहार में पलायन औऱ प्रतिभा का हनन कर राज करना सरकार की प्राथमिकता, विकास से कोई मतलब नहीं,
जातीय सर्वे रिपोर्ट में दिख रहा है बदहाल बिहार की वास्तविकता,
पटना, 18 नवम्बर 2023
बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपये की सहायता देने की योजना में लाभुकों को लघु उद्यमी बनाने की शर्तों को छलावा बताया है तथा कहा है कि 6000 रुपये से कम मासिक आय वाले परिवार 2 लाख रुपया में कैसे लघु उद्यमी बनेंगे, यह समझ से परे है।6000 रुपये की मासिक आमदनी के साथ5 आदमी के परिवार को चलाने में कर्ज में पूरा परिवार डूब जाता है औऱ अब 2 लाख रुपये देकर उद्यमी बनाना राज्य के गरीबों के साथ मजाक किया जा रहा है।
श्री सिन्हा ने सरकार से मांग की है कि 94 लाख गरीब परिबारों को सरकार प्रतिमाह10 हज़ार रुपया ग़रीबी भत्ता दे ताकि वे इज्जत पूर्बक अपने जीवन का निर्बाह कर सके।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार राज्य की सभी योजनाओं और भुगतान का नियम बनाने के समय सुनिश्चित करती है कि भुगतान से पूर्व लाभुकों से किस प्रकार अवैध राशि की उगाही की जाय। राज्य में रोज हत्या, बलात्कार, लूट, डकैती के कारण निवेशक आने से डर रहे है। 33 वर्षों में राज्य का औद्योगिक विकास इसी कारण नहीं हो रहा है। अब 2 लाख की छोटी राशि से उद्यमी बनाने की बात हास्यास्पद है।
श्री सिन्हा ने कहा कि बिहार में राज करना ही सरकार की प्राथमिकता है। विकास से इन्हें कोई लेना देना नहीं है। राज्य में केन्द्रीय योजनाओं के कारण पथों का विस्तार दिखता है। सरकार ने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, सिंचाई, ग्रामीण कार्य सहित अन्य कार्य विभागों को चुनावी फंड इकट्ठा करने का स्त्रोत बना लिया है। राज्य में कार्यरत बाहरी एजेन्सियों मालोमाल हो गई है। उन्हें बिना काम का भुगतान होता है और आउटसोर्सिग के नाम पर वे लूट मचाये हुये है। अधिकारी को प्रत्येक माह फिक्स कमीशन के द्वारा एजेंसियां अपने कार्य की निरन्तरता बरकरार रखते है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार द्वारा जारी जातीय सर्वे रिपोर्ट में बिहार की बदहाल स्थिति उजागर हो गई है। अनेक आर्थिक मानकों पर बिहार देश में नीचे से प्रथम अथवा द्वितीय हैं। अभी तक राज्य की आर्थिक प्रगति का सरकार ढिढ़ोरा पीट रही थी। अब देश के सामने वास्तविक स्थिति उजागर हो गई है।
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