रांची. चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए हैं. लेकिन, लालू के अधिवक्ता ने लालू के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए लालू यादव को रिम्स में रखने का आवेदन दिया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. यानि लालू प्रसाद यादव को फिलहाल रिम्स के पेइंग वार्ड में ले जाया गया है, जहां उनका इलाज भी किया जाएगा. बता दें, चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए हैं. सीबीआई के विशेष जज एसके शशि की अदालत ने लालू यादव को दोषी करार दिया है. 21 फरवरी को लालू के सजा के बिंदुओं पर सुनवाई होगी. यानी 21 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी.
इस मामले में लालू यादव के अलावा 74 अन्य आरोपियों को दोषी करार दिया गया है. इनमें से 36 दोषियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है. जिनमें पूर्व सांसद जगदीश शर्मा व पूर्व विधायक ध्रुव भगत शामिल हैं. अदालत ने लालू यादव को अगली सुनवाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. हालांकि लालू फिलहाल जेल नहीं जाएंगे, उन्हें स्वास्थ्य कारणों की वजह से रिम्स भेजा गया है.
मेडिकल बोर्ड का किया जाएगा गठन
लालू यादव के आने को लेकर रिम्स के पेइंग वार्ड के पहले तल्ले का कमरा A11 की सफाई करायी गई है. वहीं कमरे में लगे फ्रिज, टीवी, एसी, गीजर समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की टेस्टिंग भी की गयी है. साथ ही लालू यादव के इलाज के लिए होगा मेडिकल बोर्ड का गठन भी किया जाएगा. बोर्ड में कई विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सक रहेंगे. दरअसल लालू प्रसाद कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, ऐसे में कोर्ट ने उनके रिम्स में शिफ्ट करने के आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें रिम्स भेजने की अनुमति दे दी है.
जानें किस मामले में पाये गए दोषी
बता दें,झारखंड में चारा घोटाले के कुल पांच मुकदमों में लालू प्रसाद यादव अभियुक्त बनाए गए थे. चार मुकदमों में पहले ही फैसला आ चुका है और इन सभी मामलों में अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी. जिस पांचवें मुकदमे में मंगलवार को फैसला दिया गया है, वह रांची के डोरंडा स्थित ट्रेजरी से 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. वर्ष 1996 में दर्ज हुए इस मामले में शुरुआत में कुल 170 लोग आरोपी थे. इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया. दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया. छह आरोपी आज तक फरार हैं.
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