पूर्णिमा देवी का जन्म पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंaग स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी हरिप्रसाद शर्मा के घर हुआ था। बाद में उनकी शादी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक डॉ. एचपी दिवाकर से हुई,
पटना : चेहरे पर झुर्रियां, आंखों में अतीत की यादें, और कंपकपाती होठों से गीत.. “मानों तो मैं गंगा मां हूं न मानों तो बहता पानी”.. पटना के काली घाट पर बैठकर अपने बूढ़ी जुबान से गीत गाती बूढ़ी महिला का नाम पूर्णिमा देवी है। कभी एक जमाने में अपनी आवाज से सबको झुमाने वाली लोक गायिका पूर्णिमा देवी आज पटना के गांधी घाट पर भीख मांगने के लिए मजबूर है। आज हम बातें करेंगे अपने जमाने की मशहूर लोकगायिका पूर्णिमा देवी के बारे में।
पूर्णिमा देवी का जन्म पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी हरिप्रसाद शर्मा के घर हुआ था। बाद में उनकी शादी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक डॉ. एचपी दिवाकर से हुई, जिनकी हत्या 1984 में हो गई। उसके बाद पूर्णिमा देवी अपने रिश्तेदार के घर पटना आ गई। 90 के दशक में पटना में रहकर पूर्णिमा देवी अकाशवाणी में गीत गाया करती थी। साथ ही स्टेज प्रोग्राम कर के अपने बच्चों का भरण पोषण करती थी। पूर्णिमा के दो संतान है। एक बेटा गायक था लेकिन अभी मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
मुंबई में टीवी सीरियल में काम करती है बेटी
वहीं बेटी मुंबई में टीवी सीरियल में काम करती हैं। जब पूर्णिमा देवी का साथ सभी ने छोड़ दिया तो पटना के गंगा नदी के किनारे 2003 में आ गई। वहीं बैठकर पूर्णिमा अपने अतीत को याद करती हैं और गीत गाया करती हैं। जो भी लोग घाट पर आते हैं कुछ आर्थिक सहायता कर देते हैं जिससे उनकी मदद हो पाती है। पूर्णिमा देवी की उम्र अब 90 साल की हो गई है। हालांकि अभी वो बातचीत करने में ज्यादा समर्थ नहीं है। पंजाब केसरी से बातचीत में उनकी आंखें डबडबा जाती हैं।
स्थानीय लोगों से मिलता है काफी सहयोग
पूर्णिमा देवी को स्थानीय लोगों से काफी सहयोग मिलता है। काली घाट मंदिर में आने वाले लोग उन्हें खाने के लिए देते हैं। साथ ही पुजारियों के द्वारा भी देखरेख किया जाता है। जिस बेटी को पूर्णिमा देवी ने अपनी मेहनत से मुंबई पहुंचा दिया। आज वही बेटी मायानगरी के माया में फंसकर अपनी मां को ही भूल गई। आज भी इस बूढ़ी मां को तलाश है बेटी के एक नजर के दीदार का।
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