एम.के. सी. एल पर श्रम विभाग की विशेष समिति एवं आचार समिति का प्रतिवेदन सदन पटल पर रखा जाय – विजय कुमार सिन्हा
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा में विधान सभा स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रेस वार्ता किया।
श्री सिन्हा ने कहा कि पिछले तीन उपचुनाव के परिणाम ने यह साबित कर दिया की नीतीश कुमार द्वारा अनैतिक गठबंधन को राज्य की जनता नकार चुकी है। यदि थोड़ी भी नैतिकता बची है तो माननीय मुख्यमंत्री को इस्तीफा देकर नया जनादेश प्राप्त करना चाहिए। श्री सिन्हा ने कहा कि मुंख्यमंत्री का निर्णय एवं सस्पेंस के बाद से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है जिसके कारण प्रशासनिक अराजकता फैल रही हैं। भ्रष्टाचार और अपराध बेलगाम हो गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में राजनैतिक अनिश्चितता का माहौल बन गया है। इससे प्रशासनिक अराजकता बढ़ गई है। राज्य का विकास प्रभावित हो गया है। श्री तेजस्वी प्रसाद यादव बहुत बार चोर दरवाजा शब्दों का रट लगा चुके हैं। फिर स्वयं चोर दरवाजा से आकर सत्तासीन हो गये। उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री दोनो को गद्दी छोड़ने का आदेश कुढ़नी की जनता ने दिया है।
वहां के सिन्डिकेट के नेता जदयू के पार्षद श्री दिनेश सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों पर अवैध रूप से दबाब डालने की चर्चा है। इनके द्वारा प्रशासन एवं धन का दुरूपयोग नहीं किया जाता तो हमारे जीत का अंतर 25 हजार से अधिक का होता। इन्होंने जीविका दीदी के माध्यम से घर घर जाकर महिलाओं को भी प्रभावित करने का प्रयास किया।
कुढ़नी में माननीय मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री की अंतिम सभा में 32 मंत्री एवं विधायक मंच पर थे। यहां तक की तेजस्वी यादव द्वारा भावनात्मक झांसा बड़े भाई श्री लालू प्रसाद जी के नाम पर दिया गया लेकिन जनता ने नकार दिया।
आज अध्यक्ष विधान सभा के कक्ष में आगामी सत्र से पूर्व सर्वदलीय बैठक में भाग लेकर उन्होंने एम.के.सी.एल पर विशेष समिति एवं आचार समिति के प्रतिवेदन को सदन पटल पर रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि एम.के.सी.एल घोटाला करोड़ों का है। जो पशुपालन घोटाला से बड़ा है।सिर्फ श्रम विभाग में नहीं अन्य विभागों एवं बिहार विधानसभा में भी यह घोटाला फैला।
श्री सिन्हा ने उक्त बैठक में नयाचार(प्रोटोकॉल) समिति के गठन की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि नयाचार समिति का गठन की घोषणा उन्होंने विधायको की मांग पर की।इसका गठन भी कर दिया गया सरकार बदलने के बाद उसकी बैठक का शुभारंभ भी नही हुआ। विधायिका को मजबूती प्रदान करने और प्रशासनिक अराजकता पर लगाम लगाने एवं जनप्रतिनिधियों का सम्मान बढ़ाने हेतु यह कमिटी बिहार में आवश्यक है। आगामी सदन के बाद प्रोटोकॉल कमिटी की बैठक आहूत किया जाए।
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