चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार की सियासत को दिशा देने की कोशिश में जुटे हैं. गांधी जयंती के मौके पर प्रशांत किशोर पद यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं. फिलहाल प्रशांत किशोर जनता को जागरूक करने का काम करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय करेंगे. प्रशांत किशोर के यात्रा को लेकर बिहार में सियासी संग्राम चढ़ा है.
पटना: बिहार की राजनीति को नई दिशा देने के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर आगे आए हैं. प्रशांत किशोर गांधी जयंती के मौके पर पद यात्रा पर निकल रहे हैं और लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान की शुरुआत कर रहे हैं. जन सुराज अभियान के तहत प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर से पदयात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं. यह पद यात्रा बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू होगी. प्रेस रिलीज जारी कर प्रशांत किशोर ने कहा कि इस पदयात्रा के माध्यम से वो लगभग 3500 किमी पैदल चलेंगे, बिहार के हर पंचायत और प्रखंड में पहुंचने का प्रयास करेंगे.
इस पदयात्रा को पूरा करने में लगभग एक से डेढ़ साल तक का समय लगेगा. इस बीच वो पटना या दिल्ली नहीं लौटेंगे. स्वतंत्रता के बाद 50 के दशक में भारत के अग्रणी राज्यों में शामिल बिहार, आज देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है. आज गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से लोगों का यहां बुरा हाल है. अब समय है, स्थिती को बदलने का और लोगों के जीवन में बेहतरी के लिए, बिहार की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन का. इस संकल्प के साथ और आने वाले 10 सालों में बिहार को देश के शीर्ष 10 राज्यों की श्रेणी में शामिल कराने के लिए, जन सुराज का यह अभियान समाज के सही लोगों को जोड़कर, एक सही सोच के साथ, सामूहिक प्रयास के जरिए एक ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश है, जिससे सत्ता परिवर्तन सही मायनों में व्यवस्था परिवर्तन का जरिया बने.’ – प्रशांत किशोर, चुनावी रणनीतिकार
इस पदयात्रा के 3 मूल उद्देश्य हैं : –
1. समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना
2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों एवं पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर, उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना
3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करनाPK 2 अक्तूबर से बिहार में करेंगे पदयात्रा : प्रशांत किशोर के प्रस्तावित यात्रा को लेकर बिहार के राजनीतिक दलों में बेचैनी है. राजनीतिक दल प्रशांत किशोर को एक सिरे से खारिज कर रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड ने प्रशांत किशोर को भाजपा की बी टीम बताया है तो राजद और भाजपा ने प्रशांत किशोर को बिहार की राजनीति में अप्रासंगिक करार दिया है. दरअसल प्रशांत किशोर के निशाने पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के शासनकाल का 30 साल है. 30 साल के दौरान बिहार ने क्या कुछ पाया, क्या कुछ खोया. इसका लेखा-जोखा प्रशांत किशोर जनता के बीच पेश करेंगे.
‘प्रशांत किशोर अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाते हैं. इस बार भी उनकी योजना शायद वही होगी. पीके बिहार में भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रहे हैं.’ – अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता’प्रशांत किशोर को कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है और बिहार के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया है. बिहार की राजनीति में उनका योगदान कुछ भी नहीं रहा है. ऐसे में बिहार की जनता उन्हें स्वीकार करने वाली नहीं है.’ – शक्ति यादव, राजद प्रवक्ता
‘प्रशांत किशोर को राजनीति का अनुभव नहीं है. अपने व्यवसाय के लिए वह मार्केटिंग का काम करते हैं. बिहार की राजनीति में उन्हें सफलता नहीं मिलेगी. अगर वह किसी दल के साथ काम करेंगे तो संभव है कि उन्हें कुछ सफलता मिल जाए.’ – विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता’प्रशांत किशोर भले ही अपने पत्ते नहीं खोल रहे हो लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है. फिलहाल वह पद यात्रा के जरिए लोगों को जागरूक करेंगे. 30 साल के दौरान बिहार में क्या कुछ हुआ और क्या नहीं हो सका. इसे लेकर वह जनता के समक्ष ब्लू प्रिंट लेकर जाएंगे, 2024 चुनाव से पहले हो सकता है कि वह अपने पत्ते खोलें.’ – डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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