जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे आज यानी 5 अगस्त 2023 को चार साल पूरे हो गए हैं। इन चार सालों में घाटी में बड़े बदलाव देखे गए हैं। केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर विकास कार्य कराये हैं
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे आज यानी 5 अगस्त 2023 को चार साल पूरे हो गए हैं। इन चार सालों में घाटी में बड़े बदलाव देखे गए हैं। केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर विकास कार्य कराये हैं। सरकार की मंशा है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों का अधिक से अधिक लाभ मिले। कश्मीर में इस बार सैलानियों की संख्या में बड़ा इजाफा देखा गया। करीब 30 साल बाद कश्मीर के लालचौक पर मुहर्रम का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाएं शून्य हो गई हैं। मॉल और सिनेमाघर घुले हैं।
आईए जानते हैं जम्मू-कश्मीर में और क्या बड़े बदलाव हुए?
अमित शाह बने गृह मंत्री
2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में प्रचंड बहुमत के साथ दूसरी बार सरकार बनाई। करीब 3 दशक बाद किसी राजनीतिक पार्टी को लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत मिला। नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद नेता अमित शाह को केंद्र में गृहमंत्री बनाया। इसके बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि अमित शाह को किसी बड़े काम के लिए गृह मंत्रालय सौंपा गया है क्योंकि इससे पहले यह जिम्मेदारी राजनाथ सिंह के पास थी। शाह पहले भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
कैसे हटा अनुच्छेद 370?
अमित शाह ने मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का काम शुरू कर दिया था। तमाम कानूनी अड़चनों के बारे में जानकारी ली। अनुच्छेद 370 हटने से पहले घाटी में अमरनाथ यात्रा चल रही थी। अचानक आनन-फानन में आतंकी घटना का जिक्र कर श्रृद्धालुओं और सैलानियों को घाटी छोड़ने का निर्देश दिया गया। जम्मू-कश्मीर में बड़ी संख्या में पेरामिलिट्री फोर्सेज और सेना के जवानों को तैनात किया गया। जिससे कि कोई अनहोनी न हो। यह सब देखकर जम्मू-कश्मीर के नेताओं के शक होने लगा कि अनुच्छेद 370 हटने वाला है लेकिन सरकार ने ऐसे कोई फैसला लेने से इनकार कर दिया था। फारूख अबदुल्ला, महबूबा मुफ्ती, उमर अबदुल्ला समेत कई नेताओं के पीएसए के तहत नजरबंद कर दिया गया था और अंत में वह तारीख करीब आई, जिसका पूरे देश को कई सालों से इंतजार था।
पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बिल पेश किया, जिसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर से तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। राज्यसभा में यह बिल इसलिए पेश किया गया क्योंकि सरकार के पास राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा नहीं था। बीजेडी और वाईएसआरसीपी की मदद से यह बिल राज्यसभा से पास हो गया। लोकसभा में सरकार के पास बहुमत था इसलिए लोकसभा में सरकार को कोई परेशानी नहीं हुई।
बड़े पैमाने पर किये जा रहे विकास कार्य
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। हालांकि, इसमें कहा गया था कि समय आने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दे दिया जाएगा और लद्दाख यूटी बना रहेगा। सरकार के इस फैसले की आलोचना भी हुई। लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सरकार ने बड़े पैमाने पर घाटी में सरकारी योजनाएं चलाईं। लोगों को इसका लाभ मिलने लगा है। घाटी में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। कई बड़ी सुरंग बनाई जा रही हैं, जिससे लोगों को आने-जाने में सुविधा होगी। पीएमजेएसवाई के तहत गांव-देहात में पक्की सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं जो योजनाएं पहले केंद्र सभी राज्यों के लिए लागू करता था उनका लाभ जम्मू-कश्मीर के लोगों को नहीं मिल पाता था। अब लोगों को योजनाओं का लाभ मिलने लगा है। एलओसी से सटे इलाकों में गुर्जर-बकरवाल और पहाड़ी समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण लागू किया गया है।
पहली बार हुए डीडीसी के चुनाव
जम्मू-कश्मीर में पहली बार डीडीसी के चुनाव हुए। लोगों को उनका हक मिला। अब गांव में पंचायतों के जरिए लोगों तक छोटी-बड़ी योजनाएं पहुंचाई जा रही हैं। डीडीसी चुनाव का महबूबा मुफ्ती, फारूख अबदुल्ला समेत कई पार्टियों ने विरोध किया। लेकिन बाद में सभी पार्टियों ने एक गठबंधन बनाया। जिसको ‘गुपकार’ नाम दिया गया। गुपकार गठबंधन ने मिलकर डीडीसी का चुनाव लड़ा।
घाटी में बढ़ी टूरिस्टों की संख्या
आतंकवाद के कारण जहां उत्तर पूर्वी राज्यों के पर्यटकों ने कश्मीर का रुख करना बंद कर दिया था, वहीं अब इन राज्यों से करीब 25 हजार पर्यटकों ने कश्मीर का दौरा किया है, इनमें ज्यादातर पर्यटक असम से संबंधित थे। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 1.88 करोड़ पर्यटक आए और यह आंकड़ा 2 करोड़ को पार कर गया। आतंकवाद के कारण कई दशकों तक वह घाटी में घूमने नहीं आ सके, लेकिन धारा 370 हटाए जाने के बाद हालात बिलकुल सुधर गए हैं।
पत्थरबाजी की घटनाओं में आई कमी
जम्मू-कश्मीर में साल 2015 में विधानसभा के चुनाव हुए थे। पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई। बीच में उनका निधन हो गया। इसके बाद राज्य में कुछ दिनों तक राज्यपाल शासन रहा। भाजपा ने फिर पीडीपी के साथ मिलकर अप्रैल 2016 में सरकार बनाई और महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं। इसके बाद घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं तेजी से बढ़ीं। केंद्र सरकार ने पत्थरबाजों पर कार्रवाई की लेकिन महबूबा मुफ्ती के दबाव में फैसला वापस लेना पड़ा। इसके बाद केंद्र सरकार ने साल 2018 में सरकार से समर्थन वापस ले लिया। घाटी में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद केंद्र सरकार ने पत्थरबाजों पर एक्शन लेना शुरू किया। करीब 5 साल बाद अब जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं इतिहास हो गई हैं। पिछले कुछ सालों से एक भी पत्थरबाजी की घटना सामने नहीं आई है।
आतंकी घटनाओं में आई कमी
कभी आंतक का गढ़ बन चुके जम्मू कश्मीर की तस्वीर पिछले 3 सालों में काफी बदली नजर आ रही है। आज भारतीय सुरक्षाबल आतंकी संगठनों और आतंकियों के लिए काल बन गए हैं। इसका असर यह हुआ कि आतंकी वारदातों और आतंकियों की घुसपैठ में कमी आ गई है। यहां पिछले तीन साल में 280 टेरर इनसिडेंट हुए। इसमें 2021 में जम्मू-कश्मीर में 129 आतंकी वारदात हुए। वहीं 34 बार घुसपैठ के प्रयास में आतंकियों को सफलता मिली। 2022 में 125 आतंकी घटनाएं हुईं और 14 बार आतंकियों ने घुसपैठ किया। वहीं इस साल 2023 में जम्मू कश्मीर में 26 आतंकी वारदात सामने आई हैं। बड़ी बात यह है कि अभी एक बार भी घुसपैठ के प्रयास में आतंकियों को सफलता नही मिली है।
रिकॉर्डतोड़ आ रहा निजी इन्वेस्टमेंट
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी के तो हालात सुधरे ही हैं। इसके अलावा रिकॉर्ड लेवल पर प्राइवेट इन्वेस्टमेंट भी आ रहा है। कई देशों ने जम्मू-कश्मीर में निवेश की इच्छा जताई है। खाड़ी मुल्क सऊदी अरब ने कश्मीर में मॉल और सिनेमा हॉल खोलने का प्रस्ताव दिया है। इससे घाटी में बड़े पैमाने पर युवाओं को रोजगार मिलेगा। हाल ही में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने करीब 80,122 करोड़ रुपये के 5,973 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इन प्रस्तावों में भारत और विदेश दोनों शामिल हैं, कई बड़े औद्योगिक घरानों ने भी जम्मू-कश्मीर में निवेश के लिए आवेदन किया है।
यूटी प्रशासन ने 24,729 करोड़ रुपये के 1,767 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है, जबकि 130 औद्योगिक इकाइयों ने जमीन पर काम करना शुरू कर दिया है, जिसमें जम्मू संभाग में 88 और कश्मीर में 42 इकाइयां शामिल हैं। 19 औद्योगिक एस्टेट विकसित किए जा रहे हैं। औद्योगिक निवेश से युवाओं के लिए पांच लाख नौकरियां आने की उम्मीद है। दुबई का एम्मार समूह श्रीनगर में 500 करोड़ रुपये की लागत से 10 लाख वर्ग फुट का मॉल विकसित करेगा, जबकि 3000 करोड़ रुपये का एक और विदेशी निवेश जल्द ही प्राप्त किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में पिछले चार वर्षों के दौरान, 7.7 लाख नए उद्यमियों को पंजीकृत किया गया है, जिसका मतलब है कि हर दिन 527 युवाओं ने छोटे, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों के साथ उद्यमशीलता की यात्रा शुरू की।
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