वहीं यह पिटीशन मुख्य न्यायाधीश के बेंच में दायर किया गया है। पिटीशन दायर करने पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि यह बिहार सरकार ने रिट याचिका इसलिए भरा है क्योंकि वे अंतरिम आदेश को अंतिम आदेश मानते हैं।
पटनाः बिहार में हो रहे जातीय आधारित जनगणना पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने 3 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। अब हाईकोर्ट के इस स्टे को लेकर बिहार सरकार की ओर से पिटीशन दायर की गई है। जिसमें कोर्ट से यह निवेदन किया गया है कि इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई की जाए।
पिटीशन मुख्य न्यायाधीश के बेंच में किया गया दायर
वहीं यह पिटीशन मुख्य न्यायाधीश के बेंच में दायर किया गया है। पिटीशन दायर करने पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा कि यह बिहार सरकार ने रिट याचिका इसलिए भरा है क्योंकि वे अंतरिम आदेश को अंतिम आदेश मानते हैं। उन्हें इस बात का डर है कि कहीं यह अंतिम फैसला भी न बन जाए। पटना हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में कहा गया है कि जाति जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास हैं। राज्य सरकार जातीय गणना करवा रही है। राज्य सरकार के पास इसकी गणना करवाने की ही क्षमता है। गौरतलब हो कि जाति आधारित गणना का काम 80% पूरा हो चुका है, लेकिन 100% काम करने के लिए और समय की जरूरत है।
गुरुवार को कोर्ट ने गणना पर लगाई थी रोक
बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। अदालत मामले की सुनवाई अब तीन जुलाई को करेगी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने बिहार में हो रही जातीय जनगणना पर रोक लगाने की दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि मामले में अंतिम आदेश पारित होने तक इन आंकड़ों को किसी के भी साथ साझा नहीं किए जाए। अदालत मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई तय की है।
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