मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार के फैसले पर एतराज जताते हुए कहा कि बिहार और झारखंड एक साथ रहे हैं. भले ही दोनों राज्यों का बंटवारा हो गया और एक अलग राज्य झारखंड का गठन हुआ, लेकिन इसके बावजूद झारखंड के अंदर भोजपुरी और मगही बोलने वालों की बड़ी तादाद है.
पटना: झारखंड में भाषा विवाद पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने टिप्पणी की है. इसे लेकर सीएम ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. झारखंड के कुछ जिलों में क्षेत्रीय भाषा से भोजपुरी और मगही को हटाए जाने को लेकर भी अब विवाद हो रहा है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जो ऐसा कर रहे हैं वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं.
झारखंड में भोजपुरी और मगही बोलने वालों की बड़ी तादाद
मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार के फैसले पर एतराज जताते हुए कहा कि बिहार और झारखंड एक साथ रहे हैं. अलग होने के बाद भी बिहार और झारखंड में रिश्ता है. भले ही दोनों राज्यों का बंटवारा हो गया और एक अलग राज्य झारखंड का गठन हुआ, लेकिन इसके बावजूद झारखंड के अंदर भोजपुरी और मगही बोलने वालों की बड़ी तादाद है. बिहार में भी यही बात लागू होती है, लेकिन पता नहीं झारखंड सरकार क्यों इस तरह का फैसला कर रही है.
ये फैसला राज्य के हित में नहीं
सीएम नीतीश ने कहा कि राज्यों का जो बार्डर एरिया है, जहां बिहार-झारखंड अलग हो गये हैं, उसी पूरे बार्डर को देख लीजिए. एक तरफ भोजपुरी दिख जाएगी और एक तरफ मगही. मुख्यमंत्री ने कहा कि भोजपुरी तो बिहार और उत्तर प्रदेश में भी बोली जाती है. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ये सब बात जो कर रहे हैं, हम नहीं समझते कि वो राज्य के हित में कर रहे हैं. पता नहीं वो किस कारण से कर रहे हैं. वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं.
गौरतलब है कि झारखंड सरकार ने भाषा विवाद को देखते हुए कुछ जिलों से क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी और मगही भाषा की मान्यता समाप्त कर दी है. इस संबंध में शुक्रवार रात आदेश भी जारी कर दिया गया है. बोकारो और धनबाद के क्षेत्रीय भाषा से भोजपुरी व मगही को बाहर कर दिया गया है.
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