- मुरली मनोहर श्रीवास्तव
धनतेरस का पर्व पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली के पहले दिन मनाया जाता है। इसे दिवाली से 2 दिन पहले मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस का त्योहार होता है। ऐसे में कल धनतेरस का त्योहार है। मान्यता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान सोने का घड़ा लेकर प्रकट हुए थे। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतिर के अलावा भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदारी करना बहुत ही शुभ होता है। इस कारण से वर्षों से धनतेरस के मौके पर सोना-चांदी के अभूषण, बर्तन, घरों में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं, कार, मोटर साइकिल और जमीन-मकान के सौदे होते हैं। माना जाता है धनतेरस पर जो भी चीजें घर खरीदकार लाई जाती है उसमें सालभर तेरह गुना की बढ़ोतरी होती है और घर में सुख समृद्धि आती है। साथ ही पैसों की कमी कभी नहीं होती।
धनतेरस पर लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं। इस दिन विशेष रूप से लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते है। मान्यता है जो भी धनतेरस पर भगवान कुबेर, मां लक्ष्मी संग धन्वंतरि की पूजा करता है उसका घर हमेशा धन-धान्य, सुख-सुविधा और वैभव से भरा हुआ रहता है। धनतेरस पर ज्यादातर लोग सोने-चांदी से बनी चीजों को प्रमुखता से खरीदते हैं और इसके लिए शुभ मुहूर्त पर विचार करते हैं। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त पर सोने चांदी से बने बर्तन या आभूषण खरीदने पर बहुत ही शुभ परिणाम प्राप्त होता हैं।
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