कोरोना काल में भी एसएनसीयू पर स्वास्थ्य विभाग ने दिया विशेष ध्यान
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि नवजातों को स्वस्थ रखने के लिए विशेष नवजात देखभाल ईकाई (एसएनसीयू) वरदान साबित हो रहा है। श्री पांडेय ने कहा कि राज्य में बने 43 एसएनसीयू का संचालन नियमित रूप से हो रहा है और डिस्चार्ज रेट 65 प्रतिशत के करीब है, जो राज्य के निर्धारित लक्ष्य 70 प्रतिशत के करीब है। सैंपल डेटा रजिस्ट्रेशन 2019 के अनुसार राज्य में नवजात मृत्यु दर प्रति हजार 29 है, जो राष्ट्रीय औसत 30 से कम है।
श्री पांडेय ने कहा कि कोरोना काल में भी एसएनसीयू पर स्वास्थ्य विभाग का विशेष ध्यान रहा। नवजात मृत्यु दर में कमी का कारण नवजातों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के साथ एसएनसीयू की सतत मॉनिटरिंग और सुविधाओं को जारी रखना था। इस विषम स्थिति में भी वर्ष 2019-20 में कुल 47 हजार, 2020-2021 में 45 हजार और 2021-2022 में 33 हजार 209 (22 फरवरी तक) नवजातों की एसएनसीयू में भर्ती हुई, जिसमें औसतन करीब 66 प्रतिशत बच्चे डिस्चार्ज हुए। एसएनसीयू में गंभीर स्थिति में शिशुओं का इलाज किया जाता है, जिसमें जन्म के समय से सांस में तकलीफ, पीलिया, सक्सन में कमी, कम वजनी तथा अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थिति में इलाज किया जाता है।
श्री पांडेय ने कहा कि एसएनसीयू आपात स्थिति से निपटने में तकनीकी रूप से भी सक्षम होता है, जहां 24 घंटे शिशु रोग विशेषज्ञ के अलावा चार पारा मेडिकल स्टॉफ रोस्टरवाइज मौजूद रहते हैं। यहां रेडिएंट वार्मर, फोटोथेरेपी मशीन, अम्बू बैग, ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, सक्शन मशीन, सी-पैप, ऑक्सीमीटर जैसे मशीनें होती हैं, ताकि नवजातों को उचित उपचार मिल सके। एसएनसीयू में गंभीर स्थिति वाले नवजातों की हालत को स्थिर कर रेफर भी करती है।
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