शिशु व प्रसूती रोग विशेषज्ञों को किया गया प्रशिक्षित
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग राज्य के सभी डिलीवरी प्वाइंट पर अब नवजात शिशुओं के लिए समेकित जांच की व्यवस्था का प्रावधान कर रहा है। इस सिलसिले में दो चरणों में 76 शिशु एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों को राज्य स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
श्री पांडेय ने कहा कि अब प्रशिक्षित चिकित्सक जिलों में जाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में कार्यरत एएनएम, जीएनएम एवं सभी सहयोगी चिकित्सकों को प्रशिक्षित करेंगे। इस कार्य के पूर्ण होने के बाद राज्य के सभी डिलिवरी प्वाइंट, जिला अस्पताल, रेफरल अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल एवं सभी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल पर समेकित जांच की शुरुआत हो जाएगी। ऐसा कर नवजात बच्चों में त्वरित गति से यह पता लगाया जा सकेगा कि उनमें किसी प्रकार की शारीरिक कमियां या गंभीर बीमारी के लक्षण तो नहीं हैं। इससे शारीरिक अपंगता या दुर्बलता की स्थिति से बचाया जा सकेगा। सरकारी अस्पतालों में जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशुओं की होने वाली जांच को पहले के मुकाबले सुदृढ़ किया जा रहा है। यदि नवजात में किसी प्रकार की शारीरिक कमियां या विकृति नजर आएगी तो तुरंत चिकित्सक अपने नजदीकी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) केंद्र पर सूचित करेंगे। इसके बाद इलाज की प्रक्रिया शुरु कर दी जाएगी।
श्री पांडेय ने कहा कि अनुवांशिक लक्षणों या गर्भावस्था के दौरान कुछ जटिलताओं की वजह से नवजात बच्चे यदि किसी बीमारी के साथ जन्म लेते हैं। उसे समय रहते डिलीवरी प्वाइंट पर पकड़ लिया जाता है तो बहुत हद तक उस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। डिलीवरी के दौरान चार श्रेणियों में जांच की जायेगी, विजीवल बर्थ डिफेक्ट, फंकशनल डिफेक्ट, न्यूरोलॉजिकल डिफेक्ट एवं मेटाबोलिक डिफेक्ट। इसमें अभी मेटाबोलिक डिफेक्ट से संबंधित कुछ ही बीमारियों की डिलवरी प्वांइट पर जांच हो पायेगी।
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