नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने मणिपुर में जद यू के पांच विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के जवाब पर किया पलटवार 

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बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने मणिपुर में जद यू के पांच विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के जवाब पर पलटवार करते हुए कहा है कि भाजपा ‘सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास’ तथा अंत्योदय के सिद्धांत पर चलने वाली एक राष्ट्रीय पार्टी है।वह सर्वस्पर्शी और समावेशी विकास की पक्षधर है।भाजपा के इन सिद्धांतों से प्रभावित होकर यदि मणिपुर में जद यू के पांच विधायकों ने भाजपा में शामिल हुए हैं तो यह लोकतंत्र का हनन कैसे हुआ ?नीतीश जी कहते हैं किसी पार्टी के जीतने वाले लोगों को अपनी तरफ लेना लोकतंत्र का हनन है तो वो खुद को और लालू जी को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।शायद उन्हें भूलने की आदत हो गयी है क्योंकि आज की पीसी में नीतीश कुमार जी के बगल में बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक चौधरी खड़े थे तो वो कहां से आए हैं? यह भी उन्हें हमें याद दिलाना होगा। और हाल ही नीतीश कुमार जी के सहयोगी तेजस्वी यादव ने AIMIM के चार विधायकों का अपनी पार्टी राजद में विलय कराया तो क्या वो सही था ? पूर्व में उन्होंने दर्जनों विधायकों को लोजपा से , बसपा से , कांग्रेस से , राजद से तोड़ा तो क्या वह सब पुण्य का काम था ? दरअसल प्रधानमंत्री बनने की लालसा में लगता है कि श्री नीतीश कुमार जी अब अपने हिसाब से राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण करने लगे हैं जो

इनके थके-हारे दोहरे चरित्र की ओर इंगित करता है। माननीय मुख्यमंत्री जी गठबंधन कर सरकार बनाते हैं बाद में गठबंधन तोड़ कर नया गठबंधन बनाते हैं, मुख्यमंत्री तो यही रहते हैं लेकिन उपमुख्यमंत्री और बाकी मंत्री बदल जाते हैं, क्या यह सब संवैधानिक है। ये अपनी सुविधानुसार बयान और पाला दोनों बदलते रहते हैं, जो न तो राजनीति के लिए शुभ है और न ही बिहार की जनता के लिए। जनता आने वाले वक्त में उनसे इसका जवाब जरूर लेगी । श्री नीतीश कुमार जी का जनाधार लगातार घट रहा है। 2010 में वे 115 पर थे, 2015 में 70 पर आये और 2020 में 43 पर आ गये। 2025 में यह आंकड़ा इकाई में रह जायेगा।बिहार की जनता को ना उन पर विश्वास रहा और ना जनप्रतिनिधियों को। वह उनका विश्वास हासिल करने के बजाय दिन-रात भाजपा को कोसने में लगे हैं, उन्हें इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। वह दिवा स्वप्न देख रहे हैं।

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