आबादी बढ़ने से सरकार के खजाने पर पड़ता है अतिरिक्त बोझ
स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार में मिलेगी लोगों को अधिक सुविधा
पटना। परिवार कल्याण कार्यक्रम से राज्य के विकास में मदद मिलेगी। आबादी बढ़ने से सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। उक्त बातें बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने परिवार कल्याण कार्यक्रम अंतर्गत राज्य स्तरीय एक दिवसीय वार्षिक कार्यशाला के दौरान यहां कहीं। श्री पांडेय ने कहा कि आजादी के समय से ही सरकार परिवार नियोजन को लेकर कार्य करती रही है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। समय-समय पर कार्यक्रमों में कुछ बदलाव जरूर हुए, मगर उद्देश्य एक ही रहा परिवार नियोजन। इससे मानव जीवन के स्तर को बेहतर करने में मदद मिलेगी। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व आधारभूत संरचनाओं के उचित विकास के प्रति बेहतर कार्य हो पाएंगे। साथ ही राज्य और देश दुनिया के अन्य विकसित देशों की तुलना में आगे बढ़ेंगे।
श्री पांडेय ने कहा कि बिहार का जनसंख्या का घनत्व देश की आबादी की तुलना में लगभग तीन गुणा अधिक है। यदि जमीन कम होगा और आबादी अधिक होगी, तो उसका असर कृषि पर भी पड़ेगा। यदि देश व राज्य को विकसित करना होगा तो परिवार नियोजित करना ही होगा। इस हेतु जितने भी उपाय हों उसे करना आवश्यक है। सरकार नीतियां बनाती हैं, मगर उसे जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी विभाग के सभी कर्मियों की होती है। सरकार की सभी योजनाओं को फलीभूत करने के लिए मिलकर कार्य करना होगा। 2005 में कुल प्रजनन दर जहां 4.2 था, वहीं आज 17 वर्षों के बाद वह 3.0 है। यदि हमें परिवार कल्याण कार्यक्रम के प्रति सफलता हासिल करनी है, तो उसके लिए प्रजनन दर को 2.0 पर लाना होगा। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे स्वीकार करना होगा और मिलकर स्वास्थ्य सेवा संबंधी सभी कार्यों को जनता तक पहुंचाना होगा। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रमंडल और जिलों के वरीय स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को मंत्री श्री पांडेय द्वारा प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया।
श्री पांडेय ने कहा कि आप सभी ने बेहतर कार्य किया है। आगे भी ऐसा कार्य होता रहे। आशा बहनों को भी जागरूक कर परिवार कल्याण कार्यक्रम में मदद ले सकते हैं। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने अपने संबोधन में उपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों के बेहतर कार्य की प्रशंसा की और आगे भी अपने कार्य को बेहतर करने की सलाह दी। इस समीक्षा सह तकनीकी उन्मुखीकरण कार्यशाला में राज्य के 9 प्रमंडलों से क्षेत्रीय अपर निदेशक, क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक एवं क्षेत्रीय आशा समन्वयक तथा 38 जिलों के एसीएमओ सह नोडल पदाधिकारी के अलावे जिला समुदायिक उत्प्रेरक सह नोडल सलाहकार मौजूद रहे। इस अवसर पर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय सिंह, अपर कार्यपालक निदेशक श्री केशवेन्द्र, भारत सरकार के डॉ. एस. के. सिकदर, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के परियोजना निदेशक अंशुल अग्रवाल एवं राज्य प्रोग्रामिंग पदाधिकारी डॉ. सज्जाद समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
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