जल-जीवन-हरियाली अभियान : एक परिचय
बिहार को सुंदर, हरित और स्वच्छ बनाने तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने, पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने, पर्याप्त जल उपलब्धता सुनिश्चित करने, वन आच्छादन को बढ़ावा देने, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत पर बल देने तथा बदलते पारिस्थितिकीय परिवेश के अनुरूप कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को नया स्वरूप प्रदान करने के लिए 11 अवयवों की कार्य योजना तैयार कर दिनांक 02 अक्टूबर, 2019 से राज्य में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरूआत की गयी।
विभिन्न विभागों के मध्य समन्वय हेतु ग्रामीण विकास विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है। इस योजना के तहत कुल 11 अवयवों पर कार्य किया जा रहा है, जो इस प्रकार है:
- सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा-तालाबों/पोखरों/आहरों/पईनों को चिन्हित कर अतिक्रमण मुक्त करना 2. सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा-तालाबों/ पोखरों/आहरों/पईनों का जीर्णोदधार’ 3. सार्वजनिक कुओं को चिन्हित कर उनका जीर्णोद्धार 4. सार्वजनि चापाकलों के किनारे सोख्ता/रिचार्ज/अन्य जल संचयन संरचनाओं का निर्माण 5. छोटी-छोटी नदियों/नालों एवं पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण क्षेत्रों में चेक डैम एवं जल संचयन की अन्य संरचनाओं का निर्माण 6. नए जल स्त्रोतों का सृजन एवं अधिशेष (Surplus) नदी जल क्षेत्र से जल की कमी (Deficit) वाले क्षेत्रों में जल ले जाना 7. भवनों में छत वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) की संरचना का निर्माण 8. पौधशाला सृजन एवं सघन वृक्षारोपण 9. वैकल्पिक फसलों, टपकन सिंचाई, जैविक खेती एवं अन्य नई तकनीकों का उपयोग 10. सौर ऊर्जा उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा की बचत 11. जल-जीवन-हरियाली जागरूकता अभियान ।
- पूर्वी चम्पारण एवं गया जिला को जल शक्ति अभियान- “Catch the Rain” अंतर्गत राष्ट्रीय सम्मान
- जलशक्ति अभियान- “Catch the Rain” अंतर्गत तृतीय राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में पूर्वी चम्पारण जिला को पूर्वी क्षेत्र श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ जिला के रूप में पुरस्कृत किया गया । गया जिला के नीमचक बथानी प्रखंड स्थित तेलारी ग्राम पंचायत को पूर्वी क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत के रूप में पुरस्कृत किया गया ।
- दिनांक 29.03.2022 को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित सम्मान समारोह में महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार से पूर्वी चम्पारण के जिलाधिकारी श्री शीर्षत कपिल अशोक एवं गया के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एम. एस. ने यह प्रस्कार ग्रहण किया ।
- पूर्वी चम्पारण : पूर्वी क्षेत्र श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ जिला
- राज्य सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत पूर्वी चम्पारण जिला में जल संरक्षण तथा भू-जल स्तर में वृद्धि हेतु समेकित प्रयास किए जा रहे हैं । अभियान के प्रारंभ से अभी तक जिले में कुल 535 जल संरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त कराया जा चुका है | पोखर, आहर एवं पईनों के जीर्णोद्धार के कुल 1636 जल संरचनाओं पर कार्य किया गया है । ‘प्रत्येक ग्राम में एक तालाब’ अंतर्गत 315 तालाबों का सौंदर्गीकरण, मोतिहारी झील में वाटर स्पोर्ट्स की शुरुआत, 290 सरकारी इमारतों पर छत-वर्षा जल संचयन (Rain Water Harvesting) संरचनाओं का निर्माण, 1071 कुँओं का जीर्णोद्धार कार्य कराया गया है । ग्रामीण क्षेत्रों में चापाकलों के पास बड़ी संख्या में सोक-पिट बनाए गए हैं । कुल 1632 खेत पोखर एवं 3 चेक डैम बनाए गए। जीविका, मनरेगा एवं वन विभाग द्वारा विगत दो वर्षों में 29 लाख पौधारोपण किया गया ।
- इन समेकित प्रयासों के फलस्वरूप लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में पूर्वी चम्पारण के भूजल स्तर में 2 से 3 फीट की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है ।
- गया : पूर्वी क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत (नीमचक बथानी प्रखंड का तेलारी ग्राम पंचायत)
- गया जिलांतर्गत नीमचक बथानी प्रखंड के तेलारी ग्राम पंचायत में राज्य सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत सघन कार्यक्रम चलाया गया । इसके तहत 450 फीट लंबे, 35 फीट चौड़े एवं 3 फीट गहरे सारणी (Drainage Channel) के माध्यम से वर्षा के जल को 93 फीट गहरे रिचार्ज बोरवेल जाता है । इस प्रक्रिया के तहत वर्षा जल को पुन: परिष्कृत कर प्रति वर्ष 45 लाख लीटर वर्षा जल को भूगर्भ में पहँचाया जाता है । अतिरिक्त पानी का उपयोग मनरेगा के तहत लगाए गए पौधों का पटवन में किया जाता
- जल-जीवन-हरियाली अभियान की प्रगति
- जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत अभी तक कल 16680 अतिक्रमित सार्वजनिक जल संचयन सरचनाओ एप 3589 सार्वजनिक कुओं को अतिक्रमण मक्त कराया गया है। कल 8595 तालाबों/पोखरों, 7123 सार्वजनिक आहरी, 15323 सार्वजनिक पईनों, 14859 सार्वजनिक कओं के जीर्णोदधार का कार्य पूर्ण किया गया है। कुल 11125 सार्वजनिक कुओं एवं 118211 सार्वजनिक चापाकलों के किनारे सोख्ता निर्माण कार्य पूर्ण किया गया है। छोटी-छोटी नदियों/नालों एवं पहाडी क्षेत्रों में चेकडैम एवं जलसंचयन की 7657 संरचनाओं का निर्माण किया गया है। नए जल स्त्रोतों का सृजन अंतर्गत कल 18001 संरचनाओं का निर्माण किया गया है। भवनों में छत वर्षा जल संचयन संरचना निर्माण अंतर्गत कल 13321 कार्य किये गए हैं। सघन वृक्षारोपण अंतर्गत 7.84 करोड़ से अधिक पौधे लगाये गए हैं। वैकल्पिक फसलों, टपकन सिंचाई, जैविक खेती एवं अन्य नई तकनीको को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। जैविक खेती अपनाये जा रहे खेतों में टपकन सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सभी कार्यालयों में सौर ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन एवं ऊर्जा के बचत पर बल दिया जा रहा है। अभी तक लगभग 2000 सरकारी भवनों पर सौर ऊर्जा संयत्रों की स्थापना की जा चुकी है
- जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन अनेक स्तरों पर विभिन्न विभागों के दवारा किया जा रहा है । इसका उददेश्य राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना है। इसके लिए संचार के नवीन एवं परंपरागत तकनीकों को अपनाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनमानस में जागरूकता लाने का कार्य किया जा रहा है । इसी कड़ी में प्रत्येक माह के प्रथम मंगलवार को जल-जीवन-हरियाली दिवस का आयोजन किया जा रहा है। जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जल-जीवन-हरियाली मिशन के माध्यम से अंतर्विभागीय समन्वय एवं अनुश्रवण का कार्य किया जा रहा है । जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत संरचनाओं एवं क्रियान्वित योजनाओं की अदयतन प्रगति, बेहतर समन्वय एवं क्रियान्वयन में जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जल-जीवन-हरियाली पोर्टल एवं मोबाइल एप विकसित किया गया है। इस पोर्टल पर जिला से संबंधित सभी अवयवों की प्रविष्टि की जाती है । साथ ही संबंधित विभागों दवारा Scheme Authentication का भी प्रावधान दिया गया है । इसके अंतर्गत विभिन्न अवयवों की प्रगति, सतत् अनुश्रवण, जिलावार मासिक रैंकिंग की व्यवस्था की गई है।
- जल संरक्षण एवं पारिस्थितिकीय संतुलन को समर्पित यह अभियान जन-भागीदारी के साथ अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर सतत् अग्रसर है।है तथा तालाबों एवं आहरों तक पहुँचाया जाता है । मनरेगा के तहत जल संचयन कार्य के साथ-साथ मत्स्य पालन को भी बढ़ावा मिला है ।
- जल-जीवन-हरियाली अभियान के क्रियान्वयन के फलस्वरूप गया जिला के भूजल स्तर में विगत तीन वर्षों में 22 फीट की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है । जिले में 80 लाख 69 हजार पौधारोपण अब तक किया गया है। कुल 3,642 सार्वजनिक जल संरचनाओं यथा तालाब, पोखर, आहार, पड़न का जीर्णोद्धार किया गया हैं। कुल 532 सार्वजनिक कओं का जीर्णोदधार किया गया हैं। सार्वजनिक कँओं एवं चापाकल के समीप 5326 सोख्ता संरचना निर्माण किया गया है। छोटी छोटी नदियों नालों एवं पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण हेतु-200 संरचनाओं का निर्माण किया गया है। जल की कमी वाले क्षेत्रों में नए जल स्रोतों का 440 संरचना सृजित किया गया है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 416 संरचना का निर्माण किया गया है। सौर ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत हेतु 39 भवनों में सौर ऊर्जा संयत्रों की स्थापना की गयी है ।
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