15 नवम्बर से दोनों जिलों में शुरू होगा टास कक्षा एक से दो के बच्चों की होगी फाइलेरिया जाँच
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि बिहार से फाइलेरिया जैसे गंभीर एवं उपेक्षित रोग के उन्मूलन के लिए सरकार गंभीर है. इसको लेकर राज्य के 2 जिलों( गया एवं अरवल) में फाइलेरिया प्रसार की स्थिति को जानने के लिए 15 नवम्बर से टास( ट्रांसमिशन एस्सेमेंट सर्वे) किया जाएगा। इसके अंतर्गत दोनों जिले के कक्षा 1 और 2 के चिन्हित बच्चों( 6 से 7 वर्ष) की विशेष किट के द्वारा फाइलेरिया की जाँच की जाएगी। इसके लिए गया जिले के 100 विद्यालयों के 5000 बच्चे एवं अरवल जिले के 34 विद्यालयों के 1600 बच्चों की फाइलेरिया की जाँच की जाएगी। इससे यह पता चलेगा कि जिले में फाइलेरिया का प्रसार रुक गया है या नहीं।
श्री पांडेय ने कहा कि सर्वे में यदि इस बात की पुष्टि होती है कि फाइलेरिया का प्रसार रुक गया है तो जिला फाइलेरिया मुक्त घोषित हो सकेगा। साथ ही फिर इन जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन(एमडीए) अभियान चलाने की जरूरत नहीं होगी। फाइलेरिया प्रसार का पता लगाने के लिए टास एक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसा प्राप्त है। टास के लिए मुख्य रूप से दो मानक तैयार किए गए हैं। पहला मानक है कि चयनित जिले में सर्वजन दवा सेवन(एमडीए) का सफलतापूर्वक पांच राउंड संपन्न होना चाहिए। जबकि दूसरे मानक के अनुसार चिन्हित जिले में माइक्रो फाइलेरिया प्रसार की दर 1 से कम होनी चाहिए। इन दोनों विशेष मानकों को ध्यान में रखते हुए ही गया एवं अरवल जिले का चयन टास के लिए किया गया है।
श्री पांडेय ने कहा कि फाइलेरिया एक गंभीर एवं असाध्य रोगों की सूची में शामिल है। इससे व्यक्ति की जान तो नहीं जाती है। लेकिन यह रोग व्यक्ति को शारीरिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाचार जरुर कर देता है। हमें सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया को अपने परिवार, समाज एवं राज्य से दूर करने का संकल्प लेना है। इसके लिए यह जरूरी है कि टास के लिए चयनित दोनों जिलों के चयनित विद्यालय इसमें अपना पूरा सहयोग करें। साथ ही माता-पिता अपने बच्चे को टास के लिए निर्धारित किये गए दिन पर विद्यालय जरूर भेजें। इससे टास भी सफल होगा एवं बच्चों में फाइलेरिया की जाँच भी आसानी से हो सकेगी।
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