पटना, 5 सितंबर। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जलजमाव से प्रभावित लोगों को आपात स्थिति में त्वरित प्राथमिक उपचार की सुविधा दी जा रही है। प्रभावित क्षेत्रांे में जरूरी दवाओं के साथ-साथ चिकित्सकों की टीम की भी तैनाती की गई है। ब्लीचिंग पावडर के छिड़काव से लेकर हेलोजोन टैबलेट्स को जिलांतर्गत आकलन कर उसकी उपलब्धता सिविल सर्जन द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है।
श्री पांडेय ने बताया कि एएसवी एस (स्नेक वेनोम एंटीसीरेम) जिला औषधी भंडार में एक हजार वायल्स व बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 50 वायल्स उपलब्ध करवाई गयी है। एआरवी (एंटी रैबिज वैक्सीन) जिला औषधी भंडार में 750 वायल्स व बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 30 वायल्स उपलब्ध है। ओआरएस पैकेट जिला औषधि भंडार में 50 हजार जबकि बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 10 हजार पैकेट, जिंक टैबलेट जिला औषधि भंडार में 30 हजार व बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में तीन हजार टैबलेट की उपलब्धता है। हेलोजोन टैबलेट जिला औषधि भंडार में 50 हजार वहीं बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में दस हजार टैबलेट उपलब्ध करवा दी गयी है। ब्लीचिंग पावडर सभी बाढ़ प्रभावित जिलों के औषधि भंडार में 500 बैग व बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 25 बैग उपलब्ध करवाई गयी। चूना जिला औषधि भंडार में 1500 बैग व बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में 75 बैग उपलब्ध करवाई गयी है।
श्री पांडेय ने बताया कि बाढ़ एवं उससे उत्पन्न जलजनित महामारी की रोकथाम के दौरान कोविड के संक्रमण से बचाव के समुचित उपाय भी किए जा रहे हैं। प्रभावित इलाकों में ऐसी महिलाएं, जो गर्भवती हैं और उनका प्रसव बाढ़ की अवधि में होना है। वैसी महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहां आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर एवं एएनएम द्वारा प्रति सप्ताह लाइन लिस्टिंग हो रहा है। बाढ़ के दौरान नियमित टीकाकरण एवं कोविड टीकाकरण के निर्बाध संचालन के लिए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी की देख-रेख में आशा एवं एएनएम से समन्वय कर वैकल्पिक टीकाकरण स्थान को चिह्नित किया गया है। इसके अलावे चलंत चिकित्सा दल भी गठित किया गया है, जिसमें सारी सुविधाएं मौजूद हैं। जहां बाढ़ का पानी कम हो रहा है, वहां ब्लीचिंग पावडर के छिड़काव में तेजी लायी गई है।
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