नालंदा में जहरीली शराब से मौत की घटना ने एक बार फिर सियासत को गर्मी दे दी है। सत्ताधारी दल की सहयोगी भाजपा और हम के नेताओं ने इसको लेकर सरकार को घेरा है। अरसे से शराबबंदी कानून की समीक्षा की मांग करने वाले पूर्व सीएम जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने एक बार फिर इसका राग अलापा है। मांझी ने कहा कि जब केंद्र सरकार कृषि कानून वापस ले सकती है तो फिर बिहार सरकार क्यों अड़ी हुई है। नीतीश कुमार जी (CM Nitish Kumar) इसे नहीं समझ पा रहे हैं। इसे अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिए हैं।
शराब की नीतिया पर चाहते हैं समीक्षा
जीतन राम मांझी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि माननीय नीतीश कुमार जी पता नहीं क्यों समझ नहीं पा रहे हैं। इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिए हैं। जब प्रधानमंत्री कृषि कानूनों को वापस ले सकते हैं तो शराब की नीति पर समीक्षा न किया जाए, यहां की बात है। समीक्षा करना ही हमलोग चाहते हैं। आज नालंदा में हुआ, कल गोपालगंज में हुआ, कहां नहीं होगी मौत, कहा नहीं जा सकता।
बिहारशरीफ की घटना नई तो नहीं है। आए दिन ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। इसका मतलब साफ है कि सीएम के नेतृत्व में चल रही शराबबंदी कानून में कुछ न कुछ खामी है। पहले भी हमने कहा था कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए। गरीब ही मरते हैं, उनपर ही केस-मुकदमा होता है। वही जेल में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई टिप्पणी की है। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। भाजपा के मुखिया भी कुछ ऐसी ही बातें बोल रहे हैं। इस नीति की समीक्षा में क्या दिक्कत है। मिलकर बात करना चाह रहे थे। समय मांगा लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हुई। पुलिस का व्यवहार संदेहास्पद है। बड़े लोगों को छोड़ देते हैं। नाम गिनाने के लिए छोटे लोगों को पकड़ लेते हैं।
मांझी तो समीक्षा तक ही रह गए लेकिन हम के प्रवक्ता ने दानिश रिजवान ने कानून की वापसी की मांग कर दी है। उन्होंने कहा कि हमारे दल का स्पष्ट मानना है कि जब केंद्र सरकार कृषि कानू वापस ले सकती है तो शराबबंदी कानून वापस लेने में बिहार सरकार क्यों कतरा रही है। किसी कानून की वापसी को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए। आज जिस तरह सूबे के हर जिले में जहरीली शराब बिक रही है, लोगों की मौत हो रही है। यह सरकार के उपर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।
हाल ही की टिप्पणियाँ