प्रेस-मीडिया को दबाब एवम भय दिखाकर डराना औऱ विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों को रोकना लोकतंत्र की हत्या,
मुख्यमंत्री द्वारा बिहार के प्रेस पर अघोषित सेंसरशिप, केंद्र पर लगा रहे हैं झूठा आरोप,
नेता प्रतिपक्ष के रूप में सरकार
की खामियों को उजागर करना हमारा कर्तव्य,
पटना 25 नवंबर 2023
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया है कि सरकार के इशारे पर नेता प्रतिपक्ष के प्रेस रिलीज की राजधानी के कुछ प्रमुख अखबारों द्वारा उपेक्षा की जाती है और नहीं छापा जाता है। दिनांक 24-11-2023 को अपने सरकारी आवास 1 पोलो रोड में आयोजित प्रेस वार्ता के बाद जारी प्रेस रिलीज को कुछ प्रमुख अखबारों द्वारा उपेक्षा पर वे अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।
श्री सिन्हा ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में सरकार की खामियों को उजागर करना उनका कर्तव्य है। इसी कर्तव्य निर्वहन में उनके द्वारा मीडिया के माध्यम से राज्य की जनता को वे वास्तविकता से अवगत कराते हैं। परन्तु उनके समाचार को छपने से रोका जाता है। इसका उदाहरण उनके 24 नवंबर के प्रेस कॉन्फ्रेंस का समाचार रोकना है।
श्री सिन्हा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को साधुवाद देते हुए कहा है कि वे निरपेक्ष भाव से सरकार और विपक्ष दोनों के समाचार को महत्व देते हैं। यह स्वस्थ परंपरा है।
श्री सिन्हा ने कहा कि विज्ञापन के माध्यम से सरकार मीडिया पर नियंत्रण रखती है। मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर बार-बार झूठा आरोप लगाते हैं। वास्तविकता यह है कि उनके दल के लोग और मंत्री, नेता प्रतिपक्ष के समाचार को नहीं छपने देते हैं। यह लोकतंत्र की हत्या है।
श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार द्वारा यह परंपरा कायम करना अनुचित एवं अनैतिक है। उनके प्रेस विज्ञप्ति का सम्मान होना चाहिए। सरकार के समाचार और मुख्यमंत्री की स्तुति में पूरा अखबार भरा रहता है।
श्री सिन्हा ने कहा कि 15 माह से वे नेता प्रतिपक्ष के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा अघोषित सेंसरशिप पर उन्हें दया आती है। हम हमेशा जनता के बीच बने रहते हैं। हमें अपने पार्टी पर नाज है, हम रोटी का इंतजाम करने के बाद राजनीति और जनसेवा में आये हैं ना कि राजनीति से रोटी कमाने आये हैं।
श्री सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों का महत्व है।दोनों की वातों को जनता के समक्ष प्रमुखता से रखने की जिम्मेवारी लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की है।यदि आवश्यकता पड़ी तो वे प्रामाणिकता के साथ कुछ समाचार पत्रों के राष्ट्रीय प्रमुख के सामने अपनी बात रखेंगे ताकि लोकतंत्र जीवित रहे।
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