हर साल दशहरे के समय हम सभी लंकापति रावण को जलाने के लिए याद करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि तमाम बुराईयों के बाद भी उसमें कुछ ऐसी अच्छाईयां जो हमें आज भी अच्छी सीख देती हैं.
भगवान राम की कथा यानि रामायण बगैर रावण के नहीं पूरी होती है. जिस रावण की छवि अक्सर हम तमाम रामलीलाओं, टीवी धारावाहिकों और फिल्मों आदि में खलनायक के रूप में देखते हैं, उस जैसा तपस्वी आज तक कोई नहीं हुआ है. वह वेद, तंत्र-मंत्र, सिद्धियों का ज्ञाता था. उसे अमोघ शक्तियां प्राप्त थीं
जिस रावण को हर साल दशहरे में सिर्फ जलाने के लिए याद किया जाता है, उसमें तमाम बुराईयों के बाजवूद कुछ ऐसी अच्छाईयां भी शामिल थीं, जिन्हें सीखने के लिए स्वयं भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को उसके पास भेजा था. आइए जानते हैं महापंडित रावण से जुड़ी वो बातें जो आज भी हमें बड़ी सीख देती है.
1. रावण के जीवन से हमें सबसे बड़ी यह शिक्षा मिलती है कि अपने शत्रु को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए. गौरतलब है कि रावण ने अपने जीवन में यह बड़ी भूल की थी. उसने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा था, उन्होंने उसकी पूरी सेना को समाप्त कर दिया था.
2. लंका पति रावण मरते समय लक्ष्मण को कहा था कि किसी भी शुभ कार्य को जितनी जल्दी हो, कर डालना चाहिए. शुभ कार्य में कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए.
3. रावण भगवान शिव का महान उपासक था. जिनके आशीर्वाद से उसने तमाम तरह की शक्तियां हासिल की थीं. मान्यता है कि रावण ने लंका में भगवान शिव के छह करोड़ से अधिक शिवलिंग की स्थापना करवाई थी. कठिन तप के बल पर रावण ने शनिदेव को बंधक बना लिया था. जिन्हें हनुमान जी ने मुक्त कराया था.
4. रावण को तंत्र-मंत्र, ज्योतिष के अलावा रसायन शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था, जिसके बल पर उसने अनेक चमत्कारिक कार्य संपन्न किये थे. उसके ज्ञान का साक्षात प्रमाण रावण संहिता है. जो न सिर्फ ज्योतिषविदों के लिए बल्कि तंत्र प्रेमियों और शिव के उपासकों के लिए अत्यंत उपयोगी है.
5.रावण ने लक्ष्मण को ज्ञान देते हुए कहा था कि जीवन में कभी भी किसी को तुच्छ नहीं समझना चाहिए. गौरतलब है कि उसने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगते समय कहा था कि मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई उनका वध न कर सके, क्योंकि वह मनुष्यों और वानरों को तुच्छ समझता था.
6. जीवन में अभिमान करने से हमेशा बचना चाहिए. गौरतलब है कि रावण को अपने धन, ज्ञान और ताकत आदि पर बहुत अभिमान था. उसका मानना था कि शक्ति के बल पर किसी भी चीज को पाया जा सकता है, लेकिन उसका यही अभिमान उसके पतन का कारण बना.
7. रावण अपने सभी कार्यों को पूरी लगन एवं निष्ठा के साथ करता था और जब तक वह संपन्न न हो जाए वह उसके लिए लगातार प्रयास करता रहता था. किसी भी कार्य के प्रति लगन या फिर कहें जुनून को रावण से सीखा जा सकता है.
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