बिहार सरकार जमीन विवाद का स्पीडी ट्रायल के माध्यम से करे समाधान- नेता प्रतिपक्ष
बांग्लादेशियों व पी.एफ.आई समर्थको को सुनियोजित ढंग से गैरमजरूआ जमीन पर बसाने की जांच कराये सरकार-.विजय कुमार सिन्हा
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री जनता दरबार में ज्यादातर जमीन विवाद की समस्या आने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में भ्रष्ट पदाधिकारी और भूमाफियाओं का गठजोड़ जमीन विवाद का मुख्य कारण है। सरकार इस गठजोड़ को तोड़ने में नाकाम रही है। श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार की तुष्टीकरण नीति भी इस समस्या के लिए जिम्मेवार है। इस नीति के तहत बांग्लादेशियों और पी.एफ.आई के सक्रिय सदस्य एवं समर्थकों को सरकारी जमीन एवं विवादित जमीन पर अवैध कब्जा दिलाकर राज्य का माहौल खराब कर रही है। इन्हें सुनियोजित ढंग से नागरिक बनाकर इनको सभी सुविधाओं का लाभ दिया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में बढ़ रही अपराध के मुख्य स्रोत यही लोग हैं। तुष्टिकरण के चक्कर में सरकार धर्म का भेद भाव बंद करे। यह आश्चर्य की बात है कि देश के संविधान और परम्परा को नहीं मानने वाले लोगों को सरकार प्रोत्साहित कर रही है। श्री सिन्हा ने कहा कि बेनामी और सरकारी जमीन पर ये लोग जबरदस्ती शासन प्रशासन के सहयोग से कब्जा कर राज्य की शांति व्यवस्था खराब कर रहे हैं। इन्हें सरकारी अधिकारियों का भरपूर समर्थन मिलता है।
श्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि अब मुख्यमंत्री जी को भी समझ में आ रहा होगा कि उनका फोन भी अधिकारी उपेक्षा करते हैं। सोमवार को मुख्य सचिव द्वारा देरी से फोन उठाने पर उन्हें बुरा लगा. अब उनको सोचना चाहिए ये अधिकारी मंत्री और विधायक की उपेक्षा कितना करते होगे। विधायिका को कमजोर करने से प्रशासनिक अराजकता फैली है। सरकार को इसे उदारता पूर्वक स्वीकार करना चाहिए।
श्री सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री जनता दरबार से लोग निराश हो चुके हैं उनकी समस्या जस की तस बनी रहती है। ऐसे में लोगों के पास घूस देकर काम कराने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है। सरकार का तंत्र पूरी तरह से विफल हो चुका है। श्री सिन्हा के अनुसार अब मुख्यमंत्री को हरेक विभागीय प्रधान चाहे अपर मुख्य सचिव हों, प्रधान सचिव हो या सचिव को जनता दरबार लगाने का हुक्म देना चाहिए। इससे कुछ न कुछ लोगों के मामले का समाधान निश्चित होगा। जनता दरबार खुला दरबार होना चाहिए। इसमें कोई भी पीड़ित व्यक्ति को आने पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
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