मधेपुरा में समाज सुधार अभियान में शामिल हुए मुख्यमंत्री

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• हर तबके के लोग एकजुट होकर समाज को आगे बढ़ायें और गड़बड़ी करनेवालों से सचेत रहें। आप सभी के सहयोग से बिहार आगे बढ़ेगा और देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा- मुख्यमंत्री

पटना, 06 मार्च 2022 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह से मुक्ति हेतु बी०एन० मंडल स्टेडियम मधेपुरा में आयोजित समाज सुधार अभियान में शामिल हुए। आयोजित जनसभा का दीप प्रज्ज्वलित कर मुख्यमंत्री ने विधिवत शुभारंभ किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए मैं आप सबका अभिनंदन करता हूं। आप सब इस अभियान में शामिल हैं। सभी ने अपनी-अपनी बातों को रखा है। जीविका दीदियों ने भी अपने अनुभव साझा किये हैं। इन्होंने जिन कठिनाइयों को झेलते हुए नये रास्तों को अपनाया है। उसकी विस्तृत रूप से चर्चा की है। यह बहुत खुशी की बात है।

उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि हमने समाज सुधार अभियान दिसंबर 2021 से शुरु किया है। वर्ष 2016 में हम सभी 9 प्रमंडलों में शराबबंदी अभियान को लेकर जगह-जगह जाकर महिलाओं के अनुभवों की जानकारी ली थी। इस बार 12 जगहों पर जा रहे हैं।

दिसंबर 2021 में 5 जगहों पर यह कार्यक्रम हुआ था। इस वर्ष जनवरी में एक जगह ही कार्यक्रम हुआ था तभी पूरी दुनिया, देश और बिहार में कोरोना का तीसरा दौर शुरू हो गया, जिसके चलते अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा। खुशी की बात है कि इसका असर तेजी से खत्म होने लगा और अब अभियान की फिर से शुरुआत की गई। समाज सुधार अभियान का आज 12वां पड़ाव है।

यह अंतिम कार्यक्रम नहीं है बल्कि समाज सुधार अभियान की यह शुरुआत है। हर जगह यह कार्यक्रम अच्छे ढंग से हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में दुनिया के अन्य देशों में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये थे जिसे कोविड 19 नाम दिया गया। हमारे देश में यह वर्ष 2020 में शुरु हुआ तब से कोरोना संक्रमण का तीन दौर आया है लेकिन अब बिहार में कोरोना के मामले तेजी से घटे हैं।

मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इससे मुक्ति मिलेगी। अब कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या मधेपुरा में 6, सहरसा में 8 और सुपौल में 4 रह गयी है। समाज सुधार अभियान में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह को लेकर काम किया जा रहा है, इसके लिए कानून भी बनाए गए हैं।

जननायक कर्पूरी ठाकुर वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने शराबबंदी लागू की थी लेकिन 2 वर्ष बाद उसे हटा दिया गया। जब हम कॉलेज में पढ़ते थे तभी से हम शराब के खिलाफ थे प्रारंभ से ही हमलोग शराबबंदी पक्ष में हैं और वर्ष 2011 से ही इसको लेकर हमने अभियान चलाना शुरू कर दिया था।

शराबबंदी करने को लेकर मेरे मन में दुविधा थी कि इसे पूरे तौर पर लागू कर पाएंगे या नहीं। 9 जुलाई 2015 को पटना में श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में जीविका के एक कार्यक्रम में महिलाओं ने शराबबंदी को लेकर आवाज उठाना शुरू किया। मेरे मन शराबबंदी को लेकर जो दुविधा थी, वो खत्म हो गई। उसके बाद वापस माइक पर आया और कहा कि अगली बार सरकार में आएंगे तो बिहार में शराबबंदी लागू करेंगे।

उसके तीन माह बाद ही बिहार में विधानसभा का चुनाव था। बिहार की जनता ने पुनः हमलोगों को काम करने का मौका दिया और हमने शपथ लेने के बाद 26 नवंबर को ही मीटिंग बुलाकर शराबबंदी को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया।

इसके लिए लगातार अभियान चलता रहा। इसको लेकर कानून बनाया। पहले 1 अप्रैल 2016 को ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर रोक लगायी गई। जबकि शहरी इलाकों, नगर निगम और नगर परिषद् में अभी विदेशी शराब बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया था।

शहरों में कई जगहों पर महिलाएं, युवक-युवतियां और पुरुषों ने भी शराब की आवंटित दुकानों के खो जाने पर कड़ा विरोध जताया। इसके बाद 4 अप्रैल को हमने मीटिंग बुलाई और 5 अप्रैल 2016 से राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल नवंबर माह में राज्य के सभी अधिकारियों के साथ सात घंटे तक मीटिंग करके समाज सुधार अभियान चलाने का निर्णय लिया। शराबबंदी के बाद घर और समाज का माहौल बदल गया। शराब पीने के पक्षधर कुछ लोग मेरे खिलाफ बोल रहते हैं। वे खुद को ज्यादा काबिल, पढ़ा लिखा और विद्वान समझते हैं लेकिन ऐसे लोग काबिल नहीं हो सकते हैं।

जो शराब के पक्ष में बोलेगा वह गलत ही होगा। समाज में 10 प्रतिशत गड़बड़ करने वाले लोग होते हैं। शराबबंदी को लेकर कुछ लोग तरह-तरह के सवाल खड़े करने लगे। बिहार में जब शराबबंदी लागू नहीं थी तब भी जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुआ करती थी।

जिन राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं है वहां पर भी ऐसी घटनाएं सामने आती रहती है। जहरीली शराब पीकर लोग मरते हैं। तो हम शुरु से कहते हैं कि शराब बुरी चीज है, इसका सेवन मत करो, शराब पीने से मौत भी हो सकती है। हमने वर्ष 2018 में आकलन कराया तो पता चला कि शराबबंदी लागू होने के बाद 1 करोड़ 64 लाख से ज्यादा लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है।

हमने पुनः इसका आकलन कराने को कहा है। आजकल सोशल मीडिया पर कुछ लोग अनाप शनाप लिखते रहते हैं और हर बात में ट्वीट करते रहते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर 2017 को बापू सभागार का उद्घाटन किया था और उसी कार्यक्रम में दहेज प्रथा और बाल विवाह को लेकर अभियान चलाने की शुरुआत की गई थी। उस समय 5 हजार जीविका दीदियां आयी थीं। वर्ष 2018 सामाजिक कुरितियों के खिलाफ लोगों ने बहुत बड़ी मानव श्रृंखला बनायी थी।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब देश की आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे तो उस समय भी वे कहा करते थे कि शराब, आदमी से न सिर्फ उसका पैसा छीन लेती है बल्कि उसकी बुद्धि भी हर लेती है। शराब पीनेवाला इंसान हैवान हो जाता है। अगर एक घंटे के लिए मुझे तानाशाह बना दिया जाए तो शराब को पूरे तौर पर बंद करा देंगे। बापू की यह बात याद नहीं रखियेगा तो सब बर्बाद एवं बेकार हो जायेगा।

कुछ लोग खुद को काबिल समझते हैं लेकिन वे बापू की बातों को भी नहीं मानते हैं। जो लोग बापू की इन बातों को नहीं मानते हैं वो इस देश के सच्चे नागरिक नहीं हो सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरी दुनिया का वर्ष 2016 में सर्वेक्षण कराया और 2018 में रिपोर्ट प्रकाशित की। उस रिपोर्ट में बताया गया है कि शराब पीने से दुनियाभर में एक साल में 30 लाख लोगों की मृत्यु होती है यानि दुनिया में जितनी मृत्यु हुई है उसका 5.3 प्रतिशत मौत शराब पीने से होती है।

20 से 39 आयु वर्ग के लोगों में 13.5 प्रतिशत मृत्यु शराब पीने के कारण होती है। शराब के सेवन से करीब 200 प्रकार की बीमारियां होती हैं। 18 प्रतिशत लोग शराब पीने से आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि शराब पीने के कारण 18 प्रतिशत आपसी झगड़े होते हैं।

शराब पीने के कारण दुनियाभर में 27 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। शराबबंदी के बाद बिहार में सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आयी है। हमलोगों ने इस बुकलेट में शराब के सेवन से होनेवाली हानियों के बारे में एक-एक बातों को लिखवाया है। इस बुकलेट के बारे में लोगों को विस्तार बताएं। नई पीढ़ी के लोगों को भी इन सब चीजों के बारे में जानकारी दें ताकि वे सचेत रहें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब के धंधेबाजों पर तेजी से कार्रवाई हो रही है। अब ड्रोन का भी उपयोग किया जा रहा है। शराब के धंधेबाजों पर मद्य निषेध और पुलिस विभाग की पूरी नजर है। धंधेबाज ड्रोन ऊपर से चित्र लेता रहेगा और कार्रवाई होती रहेगी। अभी 34 ड्रोन की सहायता ली जा रही है।

ड्रोन हेलीकॉप्टर का भी उपयोग किया जा रहा है। ड्रोन के माध्यम से गंगा नदी के दोनों किनारों पर भी निगरानी की जा रही है। अगर कोई भी बच नहीं जाएगा। आप सभी से अपील है लोगों को जागरुक कीजिए और गड़बड़ी करनेवालों सूचना दीजिए। दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है। समाज सुधार अभियान सिर्फ नशामुक्ति के लिए ही नहीं है बल्कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ भी यह निरंतर चलते रहना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 24 नवंबर 2005 से आपने सेवा करने का मौका दिया तब से आपकी सेवा कर रहे हैं। बिहार की पहले क्या हालत थी। शाम के बाद घर से निकलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। सड़कें काफी जर्जर थीं, चाहकर भी कोई कहीं जा नहीं पाता था।

जब हम सांसद थे तब भी काफी पैदल चलना पड़ता था। हमने राज्य में कानून का राज स्थापित किया। हमलोगों ने सरकार में आने के बाद सड़क, स्कूल, अस्पताल सहित सभी क्षेत्रों में विकास का काम तेजी से किया। अब किसी को मजबूरीवश पैदल नहीं चलना पड़ता है है।

सड़कें, स्कूल, अस्पताल, भवन आदि का निर्माण के साथ-साथ उसका रखरखाव की भी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। हम विकास के कार्यों में कोई कमी नहीं आने देंगे। आज भी हमारा राज्य गरीब है लेकिन प्रतिवर्ष बिहार की प्रति व्यक्ति की आय बढ़ रही है। बिहार की तुलना में आज देश के विकसित एवं बड़े राज्यों में प्रति व्यक्ति आय उतनी नहीं बढ़ रही मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति- जनजाति, अल्पसंख्यक समाज के बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए काम किया गया।

पहले बिहार में शिक्षा की काफी बुरी स्थिति थी। पांचवी क्लास से आगे लड़कियां नहीं पढ़ पाती थीं। हमलोगों ने वर्ष 2007 से पोशाक योजना की शुरुआत की। इसके बाद 9वीं कक्षा में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए साइकिल योजना की भी शुरुआत की। वर्ष 2009 में लड़कों के लिए भी हमने साइकिल योजना की शुरुआत करायी। मैट्रिक की परीक्षा में पिछले साल की लड़कियों की संख्या लड़कों से 300 अधिक थी। इंटर पास लड़कियों को 25 हजार रुपये जबकि ग्रेजुएट पास करने वाली लड़कियों को 50 हजार रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2006 से ग्राम पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य बना। इसके बाद नगर निकाय के चुनाव में भी महिलाओं को आरक्षण दिया गया। जबकि केंद्र में यह कानून पहले से था कि देश भर के पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव महिलाओं को एक तिहाई का आरक्षण देने का प्रावधान था।

हमने कहा कि महिला और पुरुष दोनों बराबर हैं इसलिए महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण बिहार में सुनिश्चित की गई। तब से अब तक चार बार पंचायत का और तीन बार नगर निकाय का चुनाव संपन्न हो चुका है। इससे बड़ी संख्या में महिलाएं चुनाव जीतकर आयीं।

पुलिस एवं सभी सरकारी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया। इसका नतीजा है कि आज बिहार पुलिस में 25,128 महिलाएं तैनात हैं। पुलिस बल की और संख्या बढ़ानी है। इसमें महिलाओं की संख्या और अधिक बढ़ेगी। इसके साथ ही व्यवसाय में रुचि रखनेवाली सर्व धर्म समुदाय की महिलाओं को हमलोगों ने 5 लाख रुपये का अनुदान एवं 5 लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करा रहे हैं।

सामान्य वर्ग पुरुषों को भी व्यवसाय के लिए 5 लाख रुपये का अनुदान और 1 प्रतिशत की ब्याज पर 5 लाख रुपये का ऋण दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2006 में स्वयं सहायता समूह द्वारा कार्यों को मैंने जाकर देखा था। इसके बाद हमलोगों ने 10 लाख स्वयं सहायता समूह बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था और अब तक 10 लाख 28 हजार स्वयं सहायता समूहों को गठित किया जा चुका है जिनसे 1 करोड़ 27 लाख से परिवार जुड़ गया है।

इसका नामाकरण हमने जीविका रखा है। उस समय की केंद्र सरकार ने जीविका का अध्ययन किया और इसे पूरे देश में आजीविका के नाम से चलाया। कई परिवारों में महिलाएं पुरुषों से ज्यादा कमा रही हैं। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई काम किए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा सड़क, स्वास्थ्य, पुल-पुलिया, महिलाओं के उत्थान काम किया है। हर घर तक पक्की गली-नाली का निर्माण कराया। हर घर नल का जल पहुंचाने का काम किया। हर घर में शौचालय का निर्माण कराया गया। हर घर तक बिजली पहुंचाई गई।

हमलोग वर्ष 2005 से न्याय के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में बाल विवाह और दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून बना हुआ है। इसके बावजूद यह कुप्रथा आज भी देखने को मिल जाती है। लोग लड़के की शादी में दहेज मांगते हैं बहुत बुरी चीज है।

समाज में अगर पुरुष- स्त्री नहीं रहते तो हम सबका अस्तित्व नहीं रहता। समाज को आगे बढ़ाने में महिलाओं की बड़ी भूमिका है। लड़की नहीं होगी तो लड़के की शादी आप किससे करेंगे। इसलिए दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाते रहिए। दहेज मुक्त शादी समारोह में ही हमने जाने का निर्णय लिया है। शादी के कार्ड पर दहेज मुक्त शादी की बात लिखी जायेगी तो ही हम उस शादी समारोह में जायेंगे। आप सब भी ऐसा ही करें।

उन्होंने कहा कि बाल विवाह के कारण महिलाओं का शारीरिक, मानसिक एवं मनौवैज्ञानिक विकास प्रभावित हो जाता है। कम उम्र में गर्भधारण से माताएं अस्वस्थ रहा करती हैं। जन्म लेनेवाले बच्चे बौनेपन एवं मंदबुद्धि के शिकार हो जाते हैं। दहेज प्रथा के कारण नवविवाहिता को परेशान किया जाता है। हत्या एवं आत्महत्या की घटनाएं भी सामने आती रहती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बिहार में प्रजनन दर 4.3 था जो घटकर अब 3 हो गया है। प्रजनन दर में कमी लाने के लिए कई काम किये गये हैं। जल्द ही यह घटकर 2 पर आ जायेगा। हमलोग इसके लिए लड़कियों को शिक्षित कर रहे हैं। लड़कियां पढ़ेंगी तो प्रजनन दर में और कमी आएगी।

बिहार का क्षेत्रफल कम है, जनसंख्या का घनत्व अधिक है, इसलिए हमलोगों को प्रजनन दर घटाना है। विकास के साथ-साथ नशामुक्त समाज बनेगा तो बिहार को विकसित राज्य बनने में सहूलियत मिलेगी। उन्होंने कहा कि ताड़ी की जगह नीरा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए तेजी से काम करें। वर्ष 2017 से इस पर काम चल रहा है।

ताड़ी बुरी चीज है इसलिए सूर्योदय के पहले ताड़ के पेड़ से रस निकालकर नीरा बनाइये। यह काफी मीठा, स्वास्थ्यवर्द्धक एवं स्वादिष्ट पेय पदार्थ है। नीरा से गुड़ एवं पेड़ा भी बनाया जा सकता है। पटना में नीरा का लोग काफी उपयोग करते थे। कोरोना के कारण इसमें थोड़ी कमी आयी है।

नालंदा में काफी संख्या में ताड़ के पेड़ हैं। नीरा उत्पादन के लिए लोगों को प्रेरित करें। वर्ष 2018 में हमलोगों ने सतत् जीवकोपार्जन योजना की शुरुआत की। जिससे अनेक गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई गरीब गुरबा लोग जो शराब एवं ताड़ी के व्यवसाय से जुड़े थे उन्हें सतत् जीवकोपार्जन योजना से जोड़कर अन्य व्यवसाय शुरु करने को लेकर मदद दी गई। सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत 1 लाख रुपये तक की इसमें मदद की जा रही है। इससे लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी और रोजगार भी बढ़ेगा। कोसी क्षेत्र के सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में पारंपरिक देसी शराब एवं ताड़ी के व्यवसाय जुड़े 1 हजार 960 परिवारों को सतत् जीवकोपार्जन योजना का लाभ देकर दूसरे व्यवसाय से जोड़ा गया है। आपकी सेवा करना ही हमारा कर्तव्य एवं धर्म है।

हम वोट की परवाह नहीं करते हैं। वोट किसी को भी दे यह आपका व्यक्तिगत अधिकार है। हमने किसी धर्म एवं समुदाय की उपेक्षा नहीं की है। हाथ उठाकर आप सभी ने समाज सुधार अभियान निरंतर चलाने का वचन लिया है इसे मत भूलियेगा। प्रेम और भाईचारा के साथ हमलोग मिलकर आगे बढ़ते रहें। आप बढ़ेंगे तो राज्य बढ़ेगा, देश बढ़ेगा। हर तबके के लोग एकजुट होकर समाज को आगे बढ़ायें और गड़बड़ी करनेवालों से सचेत रहें। आप सभी के सहयोग से बिहार आगे बढ़ेगा और देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान देगा। 

कोशी प्रमंडल आयुक्त श्री राहुल रंजन महिवाल ने मुख्यमंत्री को जनसभा मंच पर पौध-गुच्छ जबकि कार्यपालक पदाधिकारी जीविका श्री बाला मुरुगन डी० ने स्मृति चिन्ह भेंटकर अभिनंदन किया। जीविका दीदियों ने मुख्यमंत्री के आगमन पर स्वागत गान प्रस्तुत किया। मुख्यमंत्री के समक्ष कलाकारों ने सामूहिक संथाली नृत्य की प्रस्तुति दी। बाल विवाह एक सामाजिक अभिशाप पर आधारित गीत जीविका दीदियों ने जनसभा में प्रस्तुत किया। नशाखोरी, बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुप्रथाओं के खिलाफ अभियान चला रही जीविका दीदियों के कार्यों एवं अनुभवों पर आधारित लघु वृत्तचित्र भी प्रदर्शित की गई।

कला जत्था के कलाकारों एवं जीविका दीदियों ने संयुक्त रूप से नशामुक्ति पर आधारित गीत प्रस्तुत किया।

जनसभा में शामिल होने से पहले मुख्यमंत्री ने जीविका द्वारा नीरा संग्रहण एवं उत्पाद निर्माण प्रक्रिया, स्वनिर्मित जैविक खाद, कंपोस्ट एवं कीटनाशक, कृषि गतिविधियां, सतत जीविकोपार्जन योजना, जीविका प्रोत्साहित जलवायु परिवर्तन अनुकूल खेती, आहार दीदी की रसोई, मधुमक्खी पालन, गैर कृषि एवं सूक्ष्म उद्यम आधारित गतिविधियां, जीविका दीदियों द्वारा पशुपालन, ग्रामीण यंत्र बैंक आदि से संबंधित लगाई गई चित्र प्रदर्शनी एवं विभिन्न स्टालों का अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह से मुक्ति हेतु चलाये जा रहे हस्ताक्षर अभियान में अपना हस्ताक्षर किया। 

जीविका दीदियों के साथ संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत जीविका समूह की दीदियों ने शराबबंदी, बाल विवाह एवं दहेज प्रथा मुक्त समाज बनाने के साथ ही समाज सुधार अभियान को निरंतर जारी रखने के प्रति अपनी-अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। मुख्यमंत्री द्वारा विकास कार्यों के साथ चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान की सराहना करते हुए श्रीमती सरोज देवी, श्रीमती सीमा देवी, श्रीमती खुशबू कुमारी, श्रीमती आयशा खातून, श्रीमती लालो मुर्मू एवं श्रीमती सबीना खातून ने अपनी आपबीती और अनुभवों को साझा किया। 

श्रीमती सरोज देवी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि मेरी शादी 14 साल की कम उम्र में हो गयी थी। जिसके कारण मुझे काफी परेशानी उठानी पड़ी। गरीबी के कारण दूसरे के खेतों में मजदूरी करके अपने बच्चों का भरण पोषण करना पड़ता था जीविका समूह जुड़ने के बाद स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगी। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के द्वारा बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान शुरु करने की जब मुझे जानकारी मिली तो मुझे बेहद खुशी हुई क्योंकि कम उम्र में मेरी शादी होने से मेरा सपना चूर-चूर हो गया। उस समय मैं छठे क्लास में पढ़ती थी। शादी के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर पायी।

बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान की शुरुआत होने पर मैं भी अभियान का हिस्सा बनी और लोगों को जागरुक एवं प्रेरित करने लगी ताकि कोई भी कम उम्र में अपनी बेटी की शादी नहीं करे। समाज सुधार अभियान चलाये जाने के लिए मैं मुख्यमंत्री का धन्यवाद करती हूँ, जिनके पहल से अब बहन और बेटियां पुलिस सेवा में भी बहाल होने लगी है।

 सतत् जीवकोपार्जन योजना की लाभार्थी श्रीमती सीमा देवी ने बताया कि मेरे पति शराब और ताड़ी बेचने के साथ-साथ उसका सेवन भी किया करते थे। मेरे मायके में दूर-दूर तक शराब और ताड़ी से कोई वास्ता नहीं था। मैंने अपने पति को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने और बीमार पड़ गये।

जीविका दीदियों से उनके इलाज हेतु मैंने आर्थिक मदद ली लेकिन उनका देहांत हो गया। पति की मौत के बाद मेरा एक पांच साल का बेटा और सात साल की बेटी का भार मेरे कंधे पर आ गया। मैं काफी परेशान रहने लगी। इसी बीच जीविका दीदी ने मुझे समूह से जोड़कर सतत् जीवकोपार्जन योजना के जरिये आर्थिक मदद दिलाई जिससे मैंने किराना दुकान खोली।

सात महीने तक प्रति माह 1-1 हजार रुपये की आर्थिक सहायता भी मुझे प्राप्त हुई। किराना दुकान से जो आमदनी होती थी उससे पैसे की बचत कर मैंने एक बकरी और एक सिलाई मशीन भी खरीदी। मेरा जीवन अब सुख से व्यतीत हो रहा है, बच्चे भी पढ़ रहे हैं। जीविका समूह के कारण मेरे अंधेरे जीवन में उजाला आया।

श्रीमती खुशबू कुमारी ने बताया कि दहेज प्रथा के कारण मेरी शादी नहीं हो पा रही थी क्योंकि मेरे माता-पिता गरीब थे, वे दहेज देने में असमर्थ थे। एक बार मेरी शादी तय हुई, छेका भी हो गया लेकिन दहेज नहीं देने के कारण लड़केवालों से शादी करने से इनकार कर दिया।

जीविका दीदियों को जब इसकी जानकारी हुई तो लड़केवालों को समझाया गया। कानून और पुलिस प्रशासन का भय दिखाने पर वो दहेज मुक्त शादी करने पर राजी हो गया और मेरी शादी बिना दहेज के हो गई। इस कुप्रथा के खिलाफ हम सभी जीविका दीदी मिलकर निरंतर अभियान चला रहे हैं और लोगों को दहेज का लेन देन नहीं करने के लिए जागरुक एवं प्रेरित कर रहे हैं।

श्रीमती आयशा खातून ने बताया कि मेरी पति बाहर कमाते थे लेकिन अपनी कमाई के सारे पैसे शराब में खर्च कर देते थे। मेरे पांच छोटे-छोटे बच्चे थे। जब मैंने उन्हें शराब पीने से मना किया और पैसे घर भेजने की बात कही तब काफी विवाद हुआ। इसके बाद मेरे पति ने बाहर जाकर दूसरी शादी कर ली। गांव के लोगों की मदद से मेरे बच्चों को खाना मिल जाता था लेकिन कभी कभार भूखे भी सोना पड़ता था।

तब एक जीविका दीदी के सहयोग से समूह से जुड़ी और सतत् जीवकोपार्जन योजना का लाभ मुझे मिला। जिससे मैंने दुकान खोली। आज मेरी स्थिति काफी अच्छी है। बच्चों का भी भरण पोषण अच्छे ढंग से हो रहा है। श्रीमती लालो मुर्मू ने बताय कि उनका परिवार शराब बनाने के काम में लगा था लेकिन शराबबंदी के बाद उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई।

तभी मुझे जीविका समूह के बारे में जानकारी मिली। जिससे जुड़कर मैंने जलावन का व्यापार और मछली पालन शुरु किया। अपने इलाके में नशामुक्ति के पक्ष में अभियान चलाकर लोगों को जागरुक कर रही हू। 

श्रीमती सबीना खातून ने बताया कि शराबबंदी कानून लागू होने से पहले हम महिलाओं को घर से निकलने में काफी परेशानी होती थी। शराबी फब्तियां कसते थे और बाजार जाते बीच रास्ते में बदतमीजी करते थे।

मेरे पड़ोस में एक शराबी पति अपने बीबी बच्चों के साथ शराब के नशे में अक्सर मारपीट किया करता था और गंदी-गंदी गालियां भी देता था। जब हमलोग बीच बचाव करते थे तब वह हमलोग से भी उलझ जाता था। वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद इन सबसे महिलाओं को छुटकारा मिला। बिजली के खंभों पर टॉल फ्री नंबर लिखे जाने से अब गड़बड़ी करनेवाले डरने लगे हैं कि कोई इसकी सूचना पुलिस को दे सकता है। शराबबंदी से महिलाओं को काफी सहूलियत मिली है।

कार्यक्रम को मंत्री जल संसाधन सह सूचना एवं जनसंपर्क सह मधेपुरा जिले के प्रभारी मंत्री श्री संजय कुमार झा, मंत्री मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन श्री सुनील कुमार, मुख्य सचिव श्री आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक श्री एस0के0 सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह एवं सामान्य प्रशासन श्री चैतन्य प्रसाद, अपर मुख्य सचिव मद्य निषेध उत्पाद, निबंधन श्री के०के० पाठक प्रधान सचिव सूचना एवं प्रावैधिकी सह प्रभारी सचिव मधेपुरा श्री संतोष कुमार मल्ल, सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन सह प्रभारी सचिव सहरसा श्री नर्मदेश्वर लाल, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सह प्रभारी सचिव सुपौल श्री लोकेश कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री एस० सिद्धार्थ, पुलिस उपमहानिरीक्षक कोशी प्रक्षेत्र श्री शिवदीप लांडे, जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्री बाला मुरुगन डी० एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह सहित अन्य वरीय पदाधिकारी, जीविका दीदियां एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

समाज सुधार अभियान कार्यक्रम के पत्रकारों से बात करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान निरंतर जारी रहेगा। कार्यक्रम में संवाद बहुत ठीक ढंग से हो रहा है। सब जगह हम जीविका की दीदियों की बात सुने। उन्होंने अपना अनुभव बताया कि वे कैसी खराब स्थिति में थीं, उनकी स्थिति कैसे सुधरी है, कैसे काम हो रहा है इन सब चीजों के बारे में बता रही हैं। सतत् जीविकोपार्जन योजना जो हमलोगों ने 2018 में शुरू किया उसके बारे में बता रही हैं। वे शराबबंदी के बारे में बता रही हैं।

बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ बोल रही हैं। यह अच्छी बात है, हमलोगों का यह उद्देश्य है। विकास का काम, लॉ एण्ड ऑर्डर का काम ये सब निरंतर जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि सिर्फ आप विकास का काम करियेगा और समाज सुधार का काम नहीं होगा तो उससे प्रेम और भाईचारे का माहौल नहीं पैदा होगा इसलिये इस काम को करना बहुत जरूरी है। हमलोग शुरू से इस तरह का अभियान चलाते रहे हैं और इसे फिर शुरू कर दिया है।

इस तरह से यह अभियान चलता रहेगा तो समाज में इतनी जागृति आयेगी कि बाल विवाह से मुक्ति होगी, दहेज प्रथा से भी मुक्ति होगी और नशामुक्ति का जो अभियान है उसमें भी सफलता मिलेगी। हमने 2018 का फिगर लिया था उसके अनुसार शराबबंदी के बाद 1 करोड़ 84 लाख लोगों ने शराब छोड़ा। हमने फिर कहा है कि अध्ययन कर लीजिये कि कितने लोगों ने शराब छोड़ा।

कुछ गड़बड़ करने वाले लोग तो होते ही हैं, वो अलग बात है लेकिन अभियान सबसे जरूरी चीज है। यह निरंतर जारी रहेगा तो लोग इसको समझेंगे। महिलाओं की इसमें बड़ी भूमिका है, पुरुषों की भी भूमिका है, मुझको भरोसा है कि सबलोग मिलकर इस काम को करेंगे। जीविका की दीदियों के कहने पर ही शराबबंदी लागू किया गया है। हमने 12 जगह जाना तय किया था, आज 12वां कार्यक्रम पूरा हो गया।

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Posted by - अप्रैल 23, 2024 0
पटना: 23 अप्रैल 2024: प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद डॉ. भीम सिंह ने तेजस्वी के उस वक्तव्य की तीखी…
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